बीजिंग:
चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ सीमा संवाद व्यवस्था ने ‘सकारात्मक भूमिका’ निभाई है तथा इससे सीमा विवाद का समाधान किया जा सकता है।
चीन-भारत सीमा मामलों पर संवाद एवं सहयोग कार्य व्यवस्था पिछले साल शुरू की गई थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, ‘इस व्यवस्था ने सीमा संबंधी विभागों के बीच सहयोग एवं समझ बढ़ाने तथा सीमा से जुड़े मुद्दों पर समय से कदम उठाने एवं सीमा पर हालात स्थिर बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाई है।’
इस व्यवस्था का विचार साल 2010 में चीन के पूर्व प्रधानमंत्री वेन च्याबो ने दिया था। इसकी चौथी बैठक 29 एवं 30 सितम्बर को होगी जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के मामलों के निराकरण के उद्देश्य से नए सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) को अंतिम रूप दिया जाना है।
दोनों पक्षों से विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस व्यवस्था की अगुवाई करते हैं। इसी साल डेपसांग घाटी में चीन के सैनिकों की घुसपैठ तथा एलएसी से लगे दूसरे इलाकों में घुसपैठ के कारण पैदा हुए तनाव को दूर करने में इस व्यवस्था ने अहम भूमिका निभाई है।
होंग ने कहा कि सीमा विवाद को हल करने में यह व्यवस्था काफी मददगार साबित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘द्विपक्षीय सीमा विभागों के बीच आदान प्रदान तथा कुछ विशेष कदमों से सीमा पर सौहार्द और शांति बरकरार रखी जा सकती है।’
होंग ने कहा, ‘सीमा पर शांति एवं सौहार्द बरकरार रखना दोनों पक्षों का साझा संकल्प तथा द्विपक्षीय संबंधों के ठोस विकास के लिए महत्वपूर्ण बुनियाद है।’ भारत की ओर से करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा से लगे इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास किए जाने के कारण तनाव बढ़ गया है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के मकसद से अब तक विशेष प्रतिनिधि स्तर की 16 चरणों की बातचीत हो चुकी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अगले महीने होने वाले बीजिंग दौरे के समय दोनों देशों के बीच बीडीसीए पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
सिंह की चीन के नेताओं के साथ होने वाली बातचीत के दौरान चीनी सैनिकों के बार बार घुसपैठ का मुद्दा एजेंडे में सबसे ऊपर रहने की उम्मीद है।
चीन-भारत सीमा मामलों पर संवाद एवं सहयोग कार्य व्यवस्था पिछले साल शुरू की गई थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, ‘इस व्यवस्था ने सीमा संबंधी विभागों के बीच सहयोग एवं समझ बढ़ाने तथा सीमा से जुड़े मुद्दों पर समय से कदम उठाने एवं सीमा पर हालात स्थिर बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाई है।’
इस व्यवस्था का विचार साल 2010 में चीन के पूर्व प्रधानमंत्री वेन च्याबो ने दिया था। इसकी चौथी बैठक 29 एवं 30 सितम्बर को होगी जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के मामलों के निराकरण के उद्देश्य से नए सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) को अंतिम रूप दिया जाना है।
दोनों पक्षों से विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस व्यवस्था की अगुवाई करते हैं। इसी साल डेपसांग घाटी में चीन के सैनिकों की घुसपैठ तथा एलएसी से लगे दूसरे इलाकों में घुसपैठ के कारण पैदा हुए तनाव को दूर करने में इस व्यवस्था ने अहम भूमिका निभाई है।
होंग ने कहा कि सीमा विवाद को हल करने में यह व्यवस्था काफी मददगार साबित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘द्विपक्षीय सीमा विभागों के बीच आदान प्रदान तथा कुछ विशेष कदमों से सीमा पर सौहार्द और शांति बरकरार रखी जा सकती है।’
होंग ने कहा, ‘सीमा पर शांति एवं सौहार्द बरकरार रखना दोनों पक्षों का साझा संकल्प तथा द्विपक्षीय संबंधों के ठोस विकास के लिए महत्वपूर्ण बुनियाद है।’ भारत की ओर से करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा से लगे इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास किए जाने के कारण तनाव बढ़ गया है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के मकसद से अब तक विशेष प्रतिनिधि स्तर की 16 चरणों की बातचीत हो चुकी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अगले महीने होने वाले बीजिंग दौरे के समय दोनों देशों के बीच बीडीसीए पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
सिंह की चीन के नेताओं के साथ होने वाली बातचीत के दौरान चीनी सैनिकों के बार बार घुसपैठ का मुद्दा एजेंडे में सबसे ऊपर रहने की उम्मीद है।
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