Offer to Sheikh Hasina : बांग्लादेश में उठापटक का दौर जारी है. शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद हिंसा और अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो आज देश के मुख्य न्यायाधीश को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया. अब तक यह तय नहीं है कि बांग्लादेश में आगामी चुनाव कब होंगे, लेकिन इतना तय है कि खालिदा जिया (Khaleda Zia) के नेतृत्व वाली Bangladesh Nationalist Party (बीएनपी) की इसमें अहम भूमिका होगी. शनिवार को एनडीटीवी (NDTV) से विशेष रूप से बात करते हुए बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर (Mirza Fakhrul Islam Alamgir) ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश का पद छोड़ना छात्रों के विरोध के कारण हुआ, क्योंकि उन्हें शेख हसीना (Sheikh Hasina) के करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता था.
मुख्य न्यायाधीश को क्यों हटाया?
मुख्य न्यायाधीश के पद छोड़ने के बारे में पूछे जाने पर आलमगीर ने कहा, "मुख्य न्यायाधीश को यहां पूर्व शासन के सहयोगी के रूप में जाना जाता है, जिसने इस देश में इतने सारे लोगों को मार डाला और इस अवधि के दौरान असाधारण, अभूतपूर्व भ्रष्टाचार किया था... तो हमेशा से ही उन्हें हटाने की मांग की जाती रही थी. बांग्लादेश में न्यायपालिका पूरी तरह से नष्ट हो गई है. यह एक संस्था है, लेकिन पिछले शासन की मदद से इसका पूरी तरह से राजनीतिकरण कर दिया गया."
खालिदा जिया लड़ेंगी चुनाव?
नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ले ली है और उन्हें उन छात्रों के बीच लोकप्रिय माना जाता है, जिनके कारण शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा. अब हर किसी के मन में यह सवाल है कि बांग्लादेश में फिर से चुनाव कब होंगे? इस सप्ताह जेल से रिहा हुईं 78 वर्षीय खालिदा जिया चुनाव में क्या भूमिका निभाएंगी? आलमगीर ने जवाब दिया, "वह बहुत बीमार हैं. वह अस्पताल में हैं. वह पीड़ित हैं. कई बीमारियों के कारण उनका इलाज बांग्लादेश में ठीक से नहीं चल रहा था और हमने न्यायपालिका के साथ-साथ सरकार से भी खालिदा जिया को विदेश भेजने के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ... डॉक्टरों का कहना है कि वह अभी यात्रा करने के लिए फिट नहीं हैं. हमें उन्हें देश से बाहर ले जाने से पहले कुछ समय इंतजार करना होगा. अगर वह शारीरिक रूप से स्वस्थ रहीं, तो वह निश्चित रूप से चुनाव लड़ेंगी.''
शेख हसीना को ये था ऑफर
बीएनपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है, लेकिन अंतरिम सरकार को चुनाव कराने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा, "पूरी चुनाव मशीनरी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है और वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की स्थिति में नहीं हैं. इसलिए उन्हें चुनाव प्रणाली में भी कुछ सुधार लाने होंगे."आलमगीर ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा नहीं दिया है, साथ ही उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि उन्हें बंदूक की नोक पर हटा दिया गया था. आलमगीरने कहा, "राष्ट्रपति ने स्वयं राजनीतिक दलों और सेना की उपस्थिति में कहा है कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. कोई जबरदस्ती या कुछ भी नहीं था... यह एक क्रांति थी. जब लाखों लोगों की भीड़ शेख हसीना के आवास की ओर बढ़ रही थी, तो उनकी सुरक्षा में तैनात सेना और सशस्त्र बलों ने उनसे कहा कि उसके पास दो विकल्प हैं: यहीं रहो और भीड़ में फंस जाओ या देश छोड़ कर चले जाओ, और, आखिरी क्षण में, उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया.''
भारत-बांग्लादेश संबंध
आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंध (India-Bangladesh Relationship) मजबूत बने रहेंगे और कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है तो इसे बेहतर बनाने का प्रयास करेगी. जब नेता से देश में हिंदू, बौद्ध और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों पर हमलों (Attacks on Minorities) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "यह बिल्कुल सच नहीं है. जब हमारे देश या किसी भी देश में कोई बदलाव होता है, विशेष रूप से तीसरी दुनिया के देशों में तो कुछ लोग फायदा उठाने की कोशिश करते हैं... बांग्लादेश में, दुर्भाग्य से हर क्रांति के साथ, मौजूदा पार्टी के नेताओं को पीड़ित किया जाता है, चाहे वे मुस्लिम हों या हिंदू. कुछ छिटपुट हमले हो सकते हैं (अल्पसंख्यकों पर) लेकिन यह बिल्कुल भी राजनीतिक या व्यवस्थित एजेंडा नहीं था.'' उन्होंने दावा किया कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव ''शानदार'' है.
शेख हसीना की पार्टी का क्या होगा
जब बीएनपी नेता से पूछा गया कि क्या शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग (Awami League) के समर्थकों के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई होगी या उनकी सरकार के करीबी माने जाने वाले पूर्व सेना और पुलिस अधिकारियों का सफाया होगा, तो उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से कहा गया है वह जांच करें. उन्होंने कहा, "अगर कोई मानवाधिकारों के उल्लंघन, विपक्ष की व्यवस्थित हत्या या जबरन गायब करने का दोषी पाया जाता है, तो स्वाभाविक रूप से, उनके मामलों की जांच की जाएगी और उन पर कार्रवाई की जाएगी." आलमगीर ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि आगे बढ़ने वाली राजनीतिक प्रक्रिया में सेना का कोई हस्तक्षेप होगा. उन्होंने कहा, "लोगों को सेना पर भरोसा है कि वे देश के रक्षक हैं. इसलिए मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कुछ भी करेंगे, जो लोगों की इच्छा के खिलाफ जाएगा."
हिंदुओं पर क्यों हो रही हिंसा?
आलमगीर ने कहा कि देश में हिंसा काफी हद तक कम हो गई है और उन्होंने शेख हसीना के शासन के खिलाफ आंदोलन में चरमपंथी तत्वों के शामिल होने की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की. आलमगीर ने कहा, "जमात (Jamaat-e-Islami) एक चरमपंथी राजनीतिक दल नहीं है, लेकिन बांग्लादेश में अन्य चरमपंथी समूह थे और मुझे नहीं लगता कि वे अब अस्तित्व में हैं... चरमपंथी तत्व किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हैं, बिलकुल नहीं हैं. यह आंदोलन पूरी तरह से छात्रों के नेतृत्व में है और उनमें से अधिकांश बहुत प्रगतिशील तत्व हैं. मुझे यकीन है और मुझे विश्वास है कि यह क्रांति निश्चित रूप से सफल होगी."
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