ढाका:
बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में एक हिन्दू मंदिर के प्रांगण में अज्ञात हमलावरों के देसी बम हमले में कम से कम दस लोग जख्मी हो गए। जब यह हमला हुआ तब मंदिर में 5000 से अधिक लोग किसी त्योहार के मौके पर जुटे थे। इस्लामी हमलों से प्रभावित बांग्लादेश में यह नया हमला है।
उत्तर-पश्चिम दीनाजपुर के कांताजी मंदिर के प्रांगण में रस मेला त्योहार के मौके पर लोग खुला एयरशो देख रहे थे, उसी दौरान तीन बम विस्फोट हुए। पुलिस ने बताया कि हमले में कम से कम दस व्यक्ति जख्मी हो गए और उनमें से अधिकतर को छर्रे लगे हैं। पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में पूछताछ के लिए सात लोगों को हिरासत में लिया है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार घायलों में छह को दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। कांताजी मंदिर सरकार द्वारा संरक्षित पुरातात्विक स्थल है, लेकिन हिंदू वहां अपने धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं तथा मुसलमानों सहित हजारों लोग वार्षिक रसमेला में शामिल होते हैं।
इस मंदिर का निर्माण दिनाजपुर के शासकों ने कांतानगर में कराया था, जो धेपा नदी के पास ही है। महाराजा प्राणनाथ ने सन् 1704 में उसके निर्माण की शुरुआत करायी थी और कुछ दशक बाद यह मंदिर उनके दत्तक उत्तराधिकारी महाराजा रामनाथ के शासन काल में बनकर तैयार हुआ।
प्रशासन ने इस हमले के बाद वार्षिक महोत्सव को बंद कर दिया। यह हमला इतालवी पुरोहित पर हमले के 15 दिन बाद हुआ है। इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, लेकिन पुलिस इस हमले के सूत्रधारों की पहचान नहीं कर पाई है।
इस हमले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय हलकान है और चिंता पैदा हो गयी कि पारंपरिक रूप से उदार इस दक्षिण एशियाई देश में धार्मिक कट्टरपंथ बढ़ रहा है।
उत्तर-पश्चिम दीनाजपुर के कांताजी मंदिर के प्रांगण में रस मेला त्योहार के मौके पर लोग खुला एयरशो देख रहे थे, उसी दौरान तीन बम विस्फोट हुए। पुलिस ने बताया कि हमले में कम से कम दस व्यक्ति जख्मी हो गए और उनमें से अधिकतर को छर्रे लगे हैं। पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में पूछताछ के लिए सात लोगों को हिरासत में लिया है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार घायलों में छह को दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। कांताजी मंदिर सरकार द्वारा संरक्षित पुरातात्विक स्थल है, लेकिन हिंदू वहां अपने धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं तथा मुसलमानों सहित हजारों लोग वार्षिक रसमेला में शामिल होते हैं।
इस मंदिर का निर्माण दिनाजपुर के शासकों ने कांतानगर में कराया था, जो धेपा नदी के पास ही है। महाराजा प्राणनाथ ने सन् 1704 में उसके निर्माण की शुरुआत करायी थी और कुछ दशक बाद यह मंदिर उनके दत्तक उत्तराधिकारी महाराजा रामनाथ के शासन काल में बनकर तैयार हुआ।
प्रशासन ने इस हमले के बाद वार्षिक महोत्सव को बंद कर दिया। यह हमला इतालवी पुरोहित पर हमले के 15 दिन बाद हुआ है। इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, लेकिन पुलिस इस हमले के सूत्रधारों की पहचान नहीं कर पाई है।
इस हमले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय हलकान है और चिंता पैदा हो गयी कि पारंपरिक रूप से उदार इस दक्षिण एशियाई देश में धार्मिक कट्टरपंथ बढ़ रहा है।
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