अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बंदूकधारी ने रविवार सुबह दो महिला जजों की (Kabul Women Judges Killed) गोली मार कर हत्या कर दी. अफगानिस्तान (Afghanistan) में शांति वार्ता खटाई में पड़ने के बीच ऐसी सुनियोजित हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.अफगान सरकार और तालिबान (Taliban) के बीच वार्ता के दौर के बावजूद लगातार खूनखराबा हो रहा है. खासकर आतंकी संगठनों द्वारा हाई प्रोफाइल हस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है.
यह हमला ऐसे वक्त हुआ है, जब अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (Pentagon) ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या घटाकर 2500 करेगा. यह दो दशकों में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान की जमीन पर सबसे कम संख्या होगी. सुप्रीम कोर्ट की प्रवक्ता अहमद फहीम कावीम ने कहा कि दोनों महिला जजों पर हमला उस वक्त हुआ, जब वे कोर्ट के वाहन में बैठकर अपने कार्यालय जा रही थीं. कावीम के मुताबिक, हमने हमले में दो महिला जजों को खो दिया. गाड़ी का ड्राइवर भी घटना में घायल हुआ है. अफगानिस्तान की शीर्ष अदालत में करीब 200 महिला जज काम कर रही हैं.
काबुल पुलिस ने भी इस हमले की पुष्टि की है. अफगानिस्तान की सुप्रीम कोर्ट (Afghanistan supreme Court Attacked) पर इससे पहले 2017 में आत्मघाती हमला हुआ था. जब कोर्ट परिसर में आत्मघाती बम हमलावर ने खुद को उड़ा लिया था. उस हमले में 20 लोग मारे गए थे और 41 घायल हुए थे.हालिया महीनों में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और कई अन्य शहरों में कई नामी नेता, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, डॉक्टर और सरकारी वकीलों की सुनियोजित हमलों में हत्या की गई है. अफगान सरकार ने ऐसे टारगेटेड हमलों के पीछे तालिबान का हाथ बताया है. हालांकि आतंकी संगठन लगातार इससे इनकार करता रहा है. ऐसी कई हत्याओं की जिम्मेदारी तालिबान के प्रतिद्वंद्वी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है.
हाल ही में अमेरिकी सेना ने पहली बार सीधे तौर पर इन हत्याओं के पीछे तालिबान की साजिश बताई थी. अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज के प्रवक्ता कर्नल सॉनी लेगेट ने कहा कि तालिबान बिना कोई दावा किए सरकारी अधिकारियों, सिविल सोसायटी के लोगों और पत्रकारों को निशाना बना रहा है. वह शांति वार्ता को सफल नहीं होने देना चाहता.
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