बुधवार को प्रकाशित शोध के अनुसार, खगोलविदों ने एक ग्रह का पता लगाया है जो एक मृत तारे के सुलगते अवशेषों के चक्कर लगा रहा है. पहली बार एक सघन एक्सोप्लैनेट की खोज की गई है. शोधकर्ताओं ने कहा कि नया ग्रह (डब्ल्यूडी 1586 बी) हमारे सौर मंडल के बारे में बताता है कि किस तरह सूर्य लगभग पांच अरब वर्षों में एक व्हाइट ड्वार्फ के रूप में बदल जाता है.
जब यह हाइड्रोजन के अपने भंडार के चलते जलने लगता है और एक लाल विशालकाय रूप ले लेता है और आस-पास के ग्रहों को घेर लेता है. फिर यह अपने जले हुए कोर को कम करते हुए ढह जाता है. यह व्हाइट ड्वार्फ बची हुए थर्मल एनर्जी के साथ चमकता है और धीरे-धीरे अरबों वर्षों तक लुप्त होता है. पिछले शोध ने सुझाव दिया है कि कुछ व्हाइट ड्वार्फ अपने सौरमंडल के अधिक दूर के अवशेषों को बनाए रख सकते हैं. लेकिन अब तक किसी भी मृत तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले ग्रहों का पता नहीं चला था. विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर एंड्रयू वेंडरबर्ग ने कहा,"यह खोज एक आश्चर्य है."
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ग्रह अपने सिकुड़े हुए मूल तारे से लगभग दस गुना बड़ा है, जिसे WD 1856 + 534 के रूप में जाना जाता है. यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन के जेमिनी ऑब्जर्वेटरी के एक सहायक खगोल विज्ञानी सियि जू ने कहा कि क्योंकि तारे के चारों ओर ग्रह से कोई मलबा नहीं मिला, शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यह बरकरार था.
NSF के NOIRLab के एक बयान में जू ने कहा, "हमारे पास अप्रत्यक्ष सबूत हैं कि ग्रह व्हाइट ड्वार्फ के आसपास मौजूद हैं और आखिरकार इस तरह का ग्रह खोजना आश्चर्यजनक है."
बयान में कहा गया है कि खोज से पता चलता है कि ग्रह व्हाइट ड्वार्फ के रहने योग्य क्षेत्र में या उसके आस-पास समाप्त हो सकते हैं, और संभावित रूप से उनके तारे के मरने के बाद भी जीवन के लिए अनुकूल हो सकते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं