आसिफ अली जरदारी (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शनों की चेतावनी देने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) में अपने भविष्य की भूमिका को लेकर अटकलों के बीच पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी 18 महीने लंबा स्व-निर्वासन खत्म करते हुए देश लौट आए हैं.
पार्टी ने 27 दिसंबर से पहले सरकार से गृह मंत्री को बदलने और पूर्णकालिक विदेश मंत्री की नियुक्ति समेत अन्य मांगें मानने या विरोध प्रदर्शनों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा है. सरकार ने अब तक एक भी मांग नहीं स्वीकार की है.
जरदारी शुक्रवा दोपहर बाद कराची के जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की आलोचना करते हुए एक विशाल रैली को संबोधित किया.
हालांकि, स्थानीय मीडिया जरदारी की भूमिका को लेकर आश्वस्त नहीं है, जो अपने बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ सबसे बड़े विपक्षी दल और दक्षिणी प्रांत सिंध में सत्तारूढ पीपीपी के सह-अध्यक्ष हैं.
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा है, 'क्या जरदारी फिर से पीपीपी का नियंत्रण संभालेंगे? सत्तारूढ़ पीएमएल-एन से सामना करने के लिए क्या पार्टी रणनीति बदलेगी? क्या उनके बेटे पीछे रहेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो जरदारी के कराची लौटने के बाद राजनीतिक गलियारों में जोरों पर है.' इन सभी सवालों का जवाब है 'नहीं.'
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने पीपीपी के शीर्ष अधिकारियों के साथ साक्षात्कार के आधार पर यह बात कही है. उनका कहना है कि बिलावल पार्टी का चेहरा बने रहेंगे, जबकि जरदारी संरक्षक के तौर पर काम करेंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पार्टी ने 27 दिसंबर से पहले सरकार से गृह मंत्री को बदलने और पूर्णकालिक विदेश मंत्री की नियुक्ति समेत अन्य मांगें मानने या विरोध प्रदर्शनों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा है. सरकार ने अब तक एक भी मांग नहीं स्वीकार की है.
जरदारी शुक्रवा दोपहर बाद कराची के जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की आलोचना करते हुए एक विशाल रैली को संबोधित किया.
हालांकि, स्थानीय मीडिया जरदारी की भूमिका को लेकर आश्वस्त नहीं है, जो अपने बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ सबसे बड़े विपक्षी दल और दक्षिणी प्रांत सिंध में सत्तारूढ पीपीपी के सह-अध्यक्ष हैं.
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा है, 'क्या जरदारी फिर से पीपीपी का नियंत्रण संभालेंगे? सत्तारूढ़ पीएमएल-एन से सामना करने के लिए क्या पार्टी रणनीति बदलेगी? क्या उनके बेटे पीछे रहेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो जरदारी के कराची लौटने के बाद राजनीतिक गलियारों में जोरों पर है.' इन सभी सवालों का जवाब है 'नहीं.'
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने पीपीपी के शीर्ष अधिकारियों के साथ साक्षात्कार के आधार पर यह बात कही है. उनका कहना है कि बिलावल पार्टी का चेहरा बने रहेंगे, जबकि जरदारी संरक्षक के तौर पर काम करेंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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