पीड़ितों की सहायता के लिए 10 लाख पाउंड जुटाए गए हैं (फाइल फोटो)
लंदन:
लंदन की 24 मंजिला रिहायशी इमारत में बुधवार तड़के लगी आग में मरने वाले लोगों की संख्या 17 हो गई लेकिन पुलिस का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी बढ़ सकती है क्योंकि इमारत में से किसी के जिंदा निकलने की उम्मीद अब कम है. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने मामले में पूर्ण सार्वजनिक जांच के आदेश देते हुए कहा कि एक जज के नेतृत्व में जांच किए जाने की आवश्यकता है ताकि भयावह घटना की सही जांच सुनिश्चित की जा सके. मे ने कहा, 'हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या हुआ, हमें एक स्पष्टीकरण की जरूरत है. यह उन परिवारों, उन लोगों के लिए जरूरी है जिनके रिश्तेदार वहां रहते थे. इसलिए मैं एक पूर्ण सार्वजनिक जांच की मांग कर रही हूं ताकि हमें इनके जवाब मिल सकें, हमे पता चल सके कि वास्तव मैं वहां क्या हुआ था.'
लेटिमेर रोड पर स्थित लैंकेस्टर वेस्ट एस्टेट के ग्रेनफेल टावर में स्थानीय समयानुसार बुधवार आधी रात के बाद एक बज कर 16 मिनट पर आग लग गई थी. माना जा रहा है कि जिस वक्त आग लगी उस वक्त टावर के 120 फ्लैटों में तकरीबन 600 लोग मौजूद थे और उनमें से अधिकतर सो रहे थे. पुलिस ने इमारत में मौजूद 600 लोगों में से 17 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. लेकिन मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना है.
स्कॉटलैंड यार्ड ने बताया कि मृतक संख्या के बढ़ने की संभावना है क्योंकि आपात सेवाओं को अब इमारत से किसी के जिंदा निकलने की उम्मीद नहीं है. घायल हुए 78 लोगों में से 34 अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से 18 की हालत गंभीर है. मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमांडर स्टुअर्ट मुंडी ने कहा, 'यह एक लंबा और जटिल राहत अभियान होने वाला है. मेरा अनुमान है कि मृतक संख्या बढ़ सकती है.' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'इस घटना के तार आतंक से जुड़े होने के कोई सबूत नहीं हैं.' लंदन के दमकल आयुक्त डैनी कॉटन ने कहा कि अग्निशमन दल के लोगों के लिए इमारत के एकदम नजदीक जाना सुरक्षित नहीं है. कॉटन ने स्काई न्यूज से कहा, 'आग अब बुझ चुकी है, छोटे छोटे सुलगते हुए ढेर दिखाई दे रहे हैं. इमारत की गर्मी के कारण दिन भर धुआं निकलता दिखाई देगा. हमारा मानना है कि इमारत के अंदर अभी भी अज्ञात संख्या में लोग हैं.'
उन्होंने कहा, 'आगजनी की भयावहता को देखते हुए और जिस प्रकार से चीजें हैं हमें गहनता से खोज करने में वक्त लगेगा, दुर्भाग्य से अब हमें किसी के जिंदा होने की उम्मीद नहीं है.' रातभर दल के लोग आग बुझाने में लगे रहे. बीबीसी ने अपनी रिपेार्ट में कहा कि बचाव दल हवाई प्लेटफॉर्म बना कर फ्लोर दर फ्लोर जा कर इमारत में रोशनी डालकर देख रहे हैं और खोज अभियान चला रहे हैं. मे ने पहले डाउनिंग स्ट्रीट पर कहा था, 'जब एक बार आग लगने के कारणों का पता चल जाएगा तब यकीनन व्यापक जांच होगी और अगर उससे कोई सबक लेने की जरूरत होगी तो वह लिया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी.' पीड़ितों की सहायता के लिए 10 लाख पाउंड जुटाए गए हैं. जो लोग रात में घर नहीं लौट सकते थे उन्हें स्वंय सेवकों और धर्मार्थ संस्थाओं ने खाना और आश्रय दिया. बेघर हुए लोगों के लिए गुरुद्वारे और मस्जिदों ने अपने दरवाजे खोल दिए.
अनुदानों का लेखा जोखा रखने वाले एक ब्रिटिश सिख भूपिंदर सिंह ने कहा, 'इसी वक्त हमारे समुदाय की अच्छाई सामने आती है, आपको यह पता चलता है कि इंग्लैंड में रहना कितना अच्छा है और लंदन निवासी होना कितना अच्छा.' आग लगने के बाद यह प्रश्न उठ रहें हैं कि आग कुछ ही समय में कैसे पूरी इमारत में फैल गई. इमारत के नवीनीकरण का काम करने वाली विनिर्माण कंपनी रायडन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, 'कंपनी ने 2016 में इमारत के नवीनीकरण का कार्य पूरा किया और इसमें इमारत नियंत्रण, अग्नि नियंत्रण तथा स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को पूरा किया था.
समझा जाता है कि आग आधी रात के ठीक बाद तीसरी और चौथी मंजिल पर एक खराब रेफ्रिजरेटर के कारण लगी और फैलती चली गई. प्रत्यक्षदशर्यिों ने बताया कि आग की लपटों में घिरी इमारत के अंदर फंसे कई लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगा रहे थे. कुछ लोगों को चादर का इस्तेमाल कर इमारत से बच कर निकलने की कोशिश करते देखा गया. लोगों का आरोप है कि इमारत में गंभीर सुरक्षा खामियां थीं लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लेटिमेर रोड पर स्थित लैंकेस्टर वेस्ट एस्टेट के ग्रेनफेल टावर में स्थानीय समयानुसार बुधवार आधी रात के बाद एक बज कर 16 मिनट पर आग लग गई थी. माना जा रहा है कि जिस वक्त आग लगी उस वक्त टावर के 120 फ्लैटों में तकरीबन 600 लोग मौजूद थे और उनमें से अधिकतर सो रहे थे. पुलिस ने इमारत में मौजूद 600 लोगों में से 17 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. लेकिन मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना है.
स्कॉटलैंड यार्ड ने बताया कि मृतक संख्या के बढ़ने की संभावना है क्योंकि आपात सेवाओं को अब इमारत से किसी के जिंदा निकलने की उम्मीद नहीं है. घायल हुए 78 लोगों में से 34 अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से 18 की हालत गंभीर है. मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमांडर स्टुअर्ट मुंडी ने कहा, 'यह एक लंबा और जटिल राहत अभियान होने वाला है. मेरा अनुमान है कि मृतक संख्या बढ़ सकती है.' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'इस घटना के तार आतंक से जुड़े होने के कोई सबूत नहीं हैं.' लंदन के दमकल आयुक्त डैनी कॉटन ने कहा कि अग्निशमन दल के लोगों के लिए इमारत के एकदम नजदीक जाना सुरक्षित नहीं है. कॉटन ने स्काई न्यूज से कहा, 'आग अब बुझ चुकी है, छोटे छोटे सुलगते हुए ढेर दिखाई दे रहे हैं. इमारत की गर्मी के कारण दिन भर धुआं निकलता दिखाई देगा. हमारा मानना है कि इमारत के अंदर अभी भी अज्ञात संख्या में लोग हैं.'
उन्होंने कहा, 'आगजनी की भयावहता को देखते हुए और जिस प्रकार से चीजें हैं हमें गहनता से खोज करने में वक्त लगेगा, दुर्भाग्य से अब हमें किसी के जिंदा होने की उम्मीद नहीं है.' रातभर दल के लोग आग बुझाने में लगे रहे. बीबीसी ने अपनी रिपेार्ट में कहा कि बचाव दल हवाई प्लेटफॉर्म बना कर फ्लोर दर फ्लोर जा कर इमारत में रोशनी डालकर देख रहे हैं और खोज अभियान चला रहे हैं. मे ने पहले डाउनिंग स्ट्रीट पर कहा था, 'जब एक बार आग लगने के कारणों का पता चल जाएगा तब यकीनन व्यापक जांच होगी और अगर उससे कोई सबक लेने की जरूरत होगी तो वह लिया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी.' पीड़ितों की सहायता के लिए 10 लाख पाउंड जुटाए गए हैं. जो लोग रात में घर नहीं लौट सकते थे उन्हें स्वंय सेवकों और धर्मार्थ संस्थाओं ने खाना और आश्रय दिया. बेघर हुए लोगों के लिए गुरुद्वारे और मस्जिदों ने अपने दरवाजे खोल दिए.
अनुदानों का लेखा जोखा रखने वाले एक ब्रिटिश सिख भूपिंदर सिंह ने कहा, 'इसी वक्त हमारे समुदाय की अच्छाई सामने आती है, आपको यह पता चलता है कि इंग्लैंड में रहना कितना अच्छा है और लंदन निवासी होना कितना अच्छा.' आग लगने के बाद यह प्रश्न उठ रहें हैं कि आग कुछ ही समय में कैसे पूरी इमारत में फैल गई. इमारत के नवीनीकरण का काम करने वाली विनिर्माण कंपनी रायडन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, 'कंपनी ने 2016 में इमारत के नवीनीकरण का कार्य पूरा किया और इसमें इमारत नियंत्रण, अग्नि नियंत्रण तथा स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को पूरा किया था.
समझा जाता है कि आग आधी रात के ठीक बाद तीसरी और चौथी मंजिल पर एक खराब रेफ्रिजरेटर के कारण लगी और फैलती चली गई. प्रत्यक्षदशर्यिों ने बताया कि आग की लपटों में घिरी इमारत के अंदर फंसे कई लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगा रहे थे. कुछ लोगों को चादर का इस्तेमाल कर इमारत से बच कर निकलने की कोशिश करते देखा गया. लोगों का आरोप है कि इमारत में गंभीर सुरक्षा खामियां थीं लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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