(प्रतीकात्मक तस्वीर)
वाशिंगटन:
अमेरिका अफगानिस्तान में 3,500 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करेगा, जिसके बाद युद्धरत देश में तैनात उसके कुल सैनिकों की संख्या बढ़कर 14,500 हो जाएगी. रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगान नीति के अनुसार सैनिकों की इस नई तैनाती को मंजूरी दे दी है, जबकि इस नीति में वहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की कोई समय सीमा निश्चित नहीं है. अधिकारी ने बताया कि मैटिस ने अफगानिस्तान में 3,500 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की मंजूरी दे दी है.
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उल्लेखनीय है कि इससे पिछले सप्ताह ही पेंटागन ने अफगानिस्तान में तैनात कुल सैनिकों के अपने पहले के 8,400 सैनिकों के आंकड़ों को संशोधित करके 11,000 सैनिक किया था. मैटिस ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हालांकि उन्होंने सैनिकों की सटीक संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
मैटिस और विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कांग्रेस के सदस्यों को नई अफगान और उत्तर कोरिया के बारे में बताया था, जिसके बाद अफगानिस्तान में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की घोषणा की गई है. इसमें ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल जोसेफ डूनफोर्ड और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के निदेशक दान कोट्स भी शामिल थे.
सीनेटर टोड यंग ने कहा, ‘अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों, हमारे कमांडरों की सलाह और जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित होना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादी फिर से अफगानिस्तान को अपने प्रशिक्षण अथवा हमारे देश में आतंकवादी हमलों के प्रक्षेपण स्थल के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकें.’ सीनेटर जैरी मोरान ने अफगानिस्तान से लौटने के बाद ‘मिलिट्री टाइम्स’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘अफगानिस्तान, कोई अल्पकालिक स्थति नहीं है.
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में जिसका सामना करना है. उत्साहजनक संकेतों के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि हम अफगानिस्तान से जल्दी वापस आ जाएंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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मैटिस और विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कांग्रेस के सदस्यों को नई अफगान और उत्तर कोरिया के बारे में बताया था, जिसके बाद अफगानिस्तान में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की घोषणा की गई है. इसमें ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल जोसेफ डूनफोर्ड और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के निदेशक दान कोट्स भी शामिल थे.
सीनेटर टोड यंग ने कहा, ‘अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों, हमारे कमांडरों की सलाह और जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित होना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादी फिर से अफगानिस्तान को अपने प्रशिक्षण अथवा हमारे देश में आतंकवादी हमलों के प्रक्षेपण स्थल के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकें.’ सीनेटर जैरी मोरान ने अफगानिस्तान से लौटने के बाद ‘मिलिट्री टाइम्स’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘अफगानिस्तान, कोई अल्पकालिक स्थति नहीं है.
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