पेरिस:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया भर के करीब 150 नेता कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के दीर्घकालीन समझौते तक पहुंचने के लिए पेरिस में सोमवार से शुरू हो रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शरीक होंगे। यह सम्मेलन पेरिस में हुए आतंकवादी हमले के बाद हो रहा है।
पीएम मोदी ने फ्रांस की राजधानी के लिए रवाना होने के साथ टिप्पणी की कि यह सबकी जिम्मेदारी है कि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ काम किया जाए। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बढ़ते ग्रीन हाउस उत्सर्जन से निपटने के लिए एक टिकाऊ सार्वभौम करार की जरूरत का जिक्र किया।
(पढ़ें : जलवायु परिवर्तन से विश्व चिंतित, अब पृथ्वी का तापमान बढ़ना नहीं चाहिए : पीएम मोदी)
प्रधानमंत्री ने पेरिस रवाना होने से ठीक पहले कहा, '...सम्मेलन में हम पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' कार्यक्रम का उपयोग भी यह कहने में किया कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित है। उन्होंने कहा, 'इस पर हर जगह चर्चा है और चिंता जताई जा रही है...अब पृथ्वी का तापमान नहीं बढ़ना चाहिए। यह सभी की जिम्मेदारी और चिंता है।
पेरिस में नेताओं का जमावड़ा
विश्व के नेताओं का 12 दिवसीय सम्मेलन के लिए यहां पहुंचना शुरू हो गया है जो पेरिस हमले के मद्देनजर अभूतपूर्व सुरक्षा कवर में हो रहा है। इस हमले में 130 लोग मारे गए थे। पीएम मोदी के अलावा अन्य नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के शी चिनफिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के आधिकारिक शुभारंभ में सोमवार को शरीक होंगे। इस सम्मेलन में प्रथम वास्तविक सार्वभौम जलवायु समझौते तक पहुंचना है।
सम्मेलन का लक्ष्य
30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच हो रहा पेरिस जलवायु सम्मेलन का लक्ष्य पिछले 20 से भी अधिक साल में पहली बार जलवायु पर एक कानूनी बाध्यकारी और सार्वभौम समझौता करना है। साथ ही इसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है।
भारत का रुख
पीएम मोदी इस अहम सम्मेलन में भारतीय पैवेलियन का उद्घाटन करेंगे। वह इस मुद्दे पर भारत के रुख पर भाषण भी देंगे और प्रकृति, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को कम करने पर भारत के सौहार्द को भी जाहिर करेंगे। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत का कहना है कि विकसित देश सदियों से बड़े प्रदूषक हैं और उन्हें विकासशील देशों को कोष मुहैया कर और कम कीमत पर प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा कर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में व्यापक भूमिका निभानी चाहिए।
पीएम मोदी ने फ्रांस की राजधानी के लिए रवाना होने के साथ टिप्पणी की कि यह सबकी जिम्मेदारी है कि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ काम किया जाए। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बढ़ते ग्रीन हाउस उत्सर्जन से निपटने के लिए एक टिकाऊ सार्वभौम करार की जरूरत का जिक्र किया।
(पढ़ें : जलवायु परिवर्तन से विश्व चिंतित, अब पृथ्वी का तापमान बढ़ना नहीं चाहिए : पीएम मोदी)
प्रधानमंत्री ने पेरिस रवाना होने से ठीक पहले कहा, '...सम्मेलन में हम पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' कार्यक्रम का उपयोग भी यह कहने में किया कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित है। उन्होंने कहा, 'इस पर हर जगह चर्चा है और चिंता जताई जा रही है...अब पृथ्वी का तापमान नहीं बढ़ना चाहिए। यह सभी की जिम्मेदारी और चिंता है।
पेरिस में नेताओं का जमावड़ा
विश्व के नेताओं का 12 दिवसीय सम्मेलन के लिए यहां पहुंचना शुरू हो गया है जो पेरिस हमले के मद्देनजर अभूतपूर्व सुरक्षा कवर में हो रहा है। इस हमले में 130 लोग मारे गए थे। पीएम मोदी के अलावा अन्य नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के शी चिनफिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के आधिकारिक शुभारंभ में सोमवार को शरीक होंगे। इस सम्मेलन में प्रथम वास्तविक सार्वभौम जलवायु समझौते तक पहुंचना है।
सम्मेलन का लक्ष्य
30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच हो रहा पेरिस जलवायु सम्मेलन का लक्ष्य पिछले 20 से भी अधिक साल में पहली बार जलवायु पर एक कानूनी बाध्यकारी और सार्वभौम समझौता करना है। साथ ही इसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है।
भारत का रुख
पीएम मोदी इस अहम सम्मेलन में भारतीय पैवेलियन का उद्घाटन करेंगे। वह इस मुद्दे पर भारत के रुख पर भाषण भी देंगे और प्रकृति, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को कम करने पर भारत के सौहार्द को भी जाहिर करेंगे। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत का कहना है कि विकसित देश सदियों से बड़े प्रदूषक हैं और उन्हें विकासशील देशों को कोष मुहैया कर और कम कीमत पर प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा कर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में व्यापक भूमिका निभानी चाहिए।
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