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AI से न्यूज पूछना किसी काम का नहीं! लगभग आधी खबर गलत- यूरोपीय मीडिया की स्टडी में बड़ा खुलासा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस असिस्टेंट की गलतियों में पैरोडी को सच्ची खबर मान लेना, तारीखों का गलत होना या यहां तक कि जो घटनाएं हुई नहीं उसका खुद से आविष्कार तक कर लेना शामिल था.

AI से न्यूज पूछना किसी काम का नहीं! लगभग आधी खबर गलत- यूरोपीय मीडिया की स्टडी में बड़ा खुलासा
  • यूरोपियन पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स की स्टडी में ChatGPT समेत चार AI असिस्टेंट ने समाचारों में लगभग 45% गलतियां कीं
  • AI असिस्टेंट्स ने खबरों में तारीखों की गलत जानकारी और कभी-कभी काल्पनिक घटनाओं को सच मान लिया है
  • कुल उत्तरों में से हर पांच में से एक में सटीकता की कमी पाई गई, जिससे भ्रामक या पुरानी जानकारी मिली
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क्या आप भी ChatGPT से खबर मांगकर पढ़ते हैं? अगर इस सवाल का जवाब हां है तो आपको संभल जाना चाहिए. बुधवार, 22 अक्टबूर को जारी यूरोपियन पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स के एक व्यापक स्टडी के अनुसार, ChatGPT जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस असिस्टेंट ने समाचार घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर लगभग आधे समय गलतियां कीं. इन गलतियों में पैरोडी को सच्ची खबर मान लेना, तारीखों का गलत होना या यहां तक कि जो घटनाएं हुई नहीं उसका खुद से आविष्कार तक कर लेना शामिल था.

यूरोपीय ब्रॉडकास्टिंग यूनियन की रिपोर्ट में चार व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले AI असिस्टेंट की स्टडी की गई: OpenAI का ChatGPT, माइक्रोसॉफ्ट का कोपायलट, गूगल का जेमिनाई और पर्प्लेक्सिटी.

AI न्यूज में क्या कमी पाई गई?

  1. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, सभी AI उत्तरों में से 45 प्रतिशत में (चाहे किसी भाषा या मूल देश के हों) "कम से कम एक महत्वपूर्ण गलती/ इश्यू" था.
  2. हर पांच जवाबों में से एक में एक्यूरेसी यानी सटीकता को लेकर गलती थी. AI ने भ्रामक डिटेल्स दिए या फिर पुरानी जानकारी दी. 
  3. इन चारों AI असिस्टेंट में से सबसे खबरा परफॉर्मेंस जेमिनाई का रहा जिसके 76 प्रतिशत जवाबों में बड़ी गलतियां थीं और ऐसा मुख्यतः इसके खराब सोर्सिंग प्रदर्शन (सोर्सिंग परफॉर्मेंस) के कारण हुआ.
  4. मई के अंत और जून की शुरुआत के बीच, ज्यादातर यूरोपीय देशों के 22 सार्वजनिक मीडिया आउटलेट्स ने AI असिस्टेंट से एक ही न्यूज के सवाल पूछे. 3,000 प्रतिक्रियाओं में पुरानी जानकारी सबसे आम समस्याओं में से एक थी. जैसे जब पूछा गया कि "पोप कौन हैं?", तो ChatGPT ने फिनलैंड के सरकारी ब्रॉडकास्टर येल को बताया, और कोपायलट और जेमिनी ने डच मीडिया आउटलेट NOS और NPO को बताया, कि यह "फ्रांसिस" हैं. जबकि उस समय तक पोप फ्रांसिस पहले ही मर चुके थे और उनकी जगह पोप लियो XIV ने ले ली थी.

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