बीजिंग:
चीन के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की परमाणु-क्षमता सम्पन्न मिसाइल अग्नि-5 की मारक क्षमता जितनी बताई जा रही है उससे कहीं अधिक है। एक चीनी शोधकर्ता का कहना है कि इस मिसाइल में दरअसल 8,000 किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता है।
चीन की पीएलए एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज के शोधकर्ता डू वेनलांग ने 'ग्लोबल टाइम्स' से कहा कि वास्तव में अग्नि-5 की 8,000 किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, "अन्य देशों में इसे लेकर चिंता न बढ़े इसलिए भारत सरकार ने जानबूझकर इस मिसाइल की मारक क्षमता कम बताई है।"
भारत ने गुरुवार को अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के 5,000 किलोमीटर से दूर के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होने की बात कही गई है। इसके साथ ही भारत ने इस क्षमता से पहले से सम्पन्न राष्ट्रों के विशेष समूह में प्रवेश कर लिया है।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेशनल डिफेंस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर झांग झाओजोंग ने 'ग्लोबल टाइम्स' से कहा कि चीन के मानक के मुताबिक एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) की मारक क्षमता कम से कम 8,000 किलोमीटर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "अग्नि-5 को आईसीबीएम बनाने के लिए उसकी मारक क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।"
चीन में राज्य संचालित 'ग्लोबल टाइम्स' के सम्पादकीय पृष्ठ पर गुरुवार को कहा गया था कि भारत के पास चीन के ज्यादातर हिस्सों के लक्ष्यों तक पहुंच सकने वाली मिसाइलें हो सकती हैं लेकिन समग्र हथियारों की दौड़ में वह चीन के सामने कहीं नहीं टिकता।
लेख में भारत की आलोचना करते हुए लिखा गया है, "भारत अब भी गरीब है और बुनियादी ढांचे के निर्माण में पिछड़ा हुआ है लेकिन परमाणु शक्ति विकसित करने की दिशा में वहां का समाज बहुत मददगार है। पश्चिम को भारत की ओर से की जा रही परमाणु व मिसाइल नियंत्रण संधियों की अनदेखी पर नजर रखनी चाहिए।"
इसमें जोर देकर कहा गया, "भारत को अपनी क्षमताओं को वास्तविकता से अधिक नहीं समझना चाहिए।"
लेख में कहा गया, "भारत के पास चीन के किसी भी हिस्से में लक्ष्यों को निशाना बनाने वाली मिसाइलें होने का मतलब यह नहीं है कि वह चीन के साथ विवादों के दौरान अहंकार दिखाए। भारत को यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि चीन की परमाणु शक्ति ज्यादा ठोस व विश्वसनीय है। निकट भविष्य में भारत के हथियारों की दौड़ में चीन के सामने टिकने का कोई सवाल नहीं है।"
चीन की पीएलए एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज के शोधकर्ता डू वेनलांग ने 'ग्लोबल टाइम्स' से कहा कि वास्तव में अग्नि-5 की 8,000 किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, "अन्य देशों में इसे लेकर चिंता न बढ़े इसलिए भारत सरकार ने जानबूझकर इस मिसाइल की मारक क्षमता कम बताई है।"
भारत ने गुरुवार को अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के 5,000 किलोमीटर से दूर के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होने की बात कही गई है। इसके साथ ही भारत ने इस क्षमता से पहले से सम्पन्न राष्ट्रों के विशेष समूह में प्रवेश कर लिया है।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेशनल डिफेंस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर झांग झाओजोंग ने 'ग्लोबल टाइम्स' से कहा कि चीन के मानक के मुताबिक एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) की मारक क्षमता कम से कम 8,000 किलोमीटर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "अग्नि-5 को आईसीबीएम बनाने के लिए उसकी मारक क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।"
चीन में राज्य संचालित 'ग्लोबल टाइम्स' के सम्पादकीय पृष्ठ पर गुरुवार को कहा गया था कि भारत के पास चीन के ज्यादातर हिस्सों के लक्ष्यों तक पहुंच सकने वाली मिसाइलें हो सकती हैं लेकिन समग्र हथियारों की दौड़ में वह चीन के सामने कहीं नहीं टिकता।
लेख में भारत की आलोचना करते हुए लिखा गया है, "भारत अब भी गरीब है और बुनियादी ढांचे के निर्माण में पिछड़ा हुआ है लेकिन परमाणु शक्ति विकसित करने की दिशा में वहां का समाज बहुत मददगार है। पश्चिम को भारत की ओर से की जा रही परमाणु व मिसाइल नियंत्रण संधियों की अनदेखी पर नजर रखनी चाहिए।"
इसमें जोर देकर कहा गया, "भारत को अपनी क्षमताओं को वास्तविकता से अधिक नहीं समझना चाहिए।"
लेख में कहा गया, "भारत के पास चीन के किसी भी हिस्से में लक्ष्यों को निशाना बनाने वाली मिसाइलें होने का मतलब यह नहीं है कि वह चीन के साथ विवादों के दौरान अहंकार दिखाए। भारत को यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि चीन की परमाणु शक्ति ज्यादा ठोस व विश्वसनीय है। निकट भविष्य में भारत के हथियारों की दौड़ में चीन के सामने टिकने का कोई सवाल नहीं है।"
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