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भारत के खिलाफ सलामी स्लाइसिंग के बाद चीन किसके खिलाफ अपना रहा 'एनाकोंडा' रणनीति

सैन्य अभ्यास के दो मुख्य उद्देश्य हैं - ताइवान को मनोवैज्ञानिक रूप से डराना और अमेरिका और जापान जैसी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के सामने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना, जो ताइवान संकट के दौरान हस्तक्षेप करने की योजना बनाते हैं. 

भारत के खिलाफ सलामी स्लाइसिंग के बाद चीन किसके खिलाफ अपना रहा 'एनाकोंडा' रणनीति
ताइवान के लड़ाकू फाइटर.
नई दिल्ली:

China Taiwan relation: भारत के खिलाफ चीन की सलामी स्लाइसिंग चाल (Salami slicing against India) के बारे में भारतीय जानते हैं. सलामी स्लाइसिंग के जरिए चीन इंच दर इंच जमीन पहले अपने पाले में लेता रहा है और फिर उसे अपना इलाका बताने लगा. इससे सीमा पर विवाद होना तय था. भारत ने चीन की इस चाल को पकड़ा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया था तो चीन बौखला गया था. चीन ने इस प्रकार के आरोपों का खंडन भी किया था. लेकिन अब चीन का एक और पड़ोसी मुल्क ताइवान भी चीन की चाल से परेशान है. ताइवान की ओर से चीन पर एनाकोंडा रणनीति (Anaconda strategy against Taiwan) अपनाने का आरोप लगाया जा रहा है. आपको बता दें कि ताइवान चीन का पड़ोसी मुल्क है और चीन ताइवान पर लगातार नजरें गाढ़े हुए हैं. चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वहां पर चीन का शासन होना चाहिए. 

ताइवान के घेरने के लिए नई रणनीति

ताइवान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने आरोप लगाया है कि चीन एनाकोंडा रणनीति के जरिए धीरे-धीरे ताइवान को घेर रहा है. वह अपना पूरा समय ले रहा है. चीन यह चाह रहा है कि उसकी इस रणनीति से ताइवान की डिफेंस फोर्स परेशान होकर थक जाए और हार जाए. गौरतलब है कि एनाकोंडा नाम का सांप अपने शिकार को चारों तरफ से घेर के उसके चारों ओर लिपट जाता है और धीरे-धीरे शिकार के दम घुटने का इंतजार करता है. जब शिकार मर जाता है तब उसे अपना निवाला बनाता है. ऐसा ही कुछ चीन ताइवान के साथ कर रहा है. ऐसा आरोप ताइवान के वरिष्ठ अधिकारी ने लगाया है. 
अधिकारी का कहना है कि चीन इस तरह से ताइवान की घेराबंदी कर रहा है जैसे वह उसे मार रहा हो. चीन यह चाह रहा है कि ताइवान की सेना इस रणनीति के आगे हार जाए और सरेंडर कर दे. 

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चीन ने ताइवान के चारों तक सैन्य उपस्थिति भरवाई

यूरेशियन टाइम्स की खबर में कहा गया है कि ताइवान के आकलन के अनुसार, चीनी सेनाएं "धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से" द्वीप देश के आसपास अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं. ताइवान के नौसेना कमांडर एडमिरल तांग हुआ कहते हैं, "पीएलए द्वीप पर कब्ज़ा करने के लिए 'एनाकोंडा रणनीति' का उपयोग कर रहा है."  उनका कहना है कि चीन  जब चाहें ताइवान की नाकेबंदी करने के लिए तैयार हैं.

चीन कर रहा सैन्य सीमाओं का उल्लंघन

आंकड़े भी बताते हैं कि चीन की सेना ने पिछले कुछ समय में जिस प्रकार ताइवानी वायुक्षेत्र का उल्लंघन किया उसकी संख्या बढ़ती जा रही है. जनवरी में जहां यह आंकड़ा 36 था वह अगस्त में 193 पर पहुंच गया है.  इसी प्रकार जल क्षेत्र में भी चीन ने जिस प्रकार से ताइवान के इलाके के करीब प्रवेश किया वह भी बढ़ गया है. जनवरी में यह आंकड़ा 142 था वहीं अगस्त में यह आंकड़ा दोगुना के करीब 282 हो गया है. ताइवान के कमांडर का आरोप है कि चीन की गश्त भी पिछले कुछ समय में काफी ज्यादा हो गई है. ताइवानी कमांडर का यह भी आरोप है कि जिस प्रकार से चीनी नौसेना से पीएलए के साथ मिलकर इस क्षेत्र में अब युद्धाभ्यास शुरू किया है वह दर्शाता है कि चीन काफी आक्रामक है. 

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ताइवान को साइबर युद्ध का खतरा

ताइवान का कहना है कि एनाकोंडा रणनीति के तहत बीजिंग ताइवान पर दबाव बना रहा है. बीजिंग संभवत: आक्रमण करने के बजाय, साइबर युद्ध और गलत सूचना के जरिए नाकाबंदी या अन्य उपाय करने की रणनीति पर काम कर रहा है. यह चीन तब से कर रहा है जब 1996 में इलाके में चीन की चाल को फेल करने के लिए अमेरिकी युद्धपोत यहां पहुंचे थे और चीन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. अब चीन नई रणनीति पर काम कर रहा है. 

ताइवान को तिल-तिल तोड़ रहा चीन

ताइवान को यह डर सता रहा है कि चीन पड़े पैमाने पर ताइवान में साइबर हमला कर सकता है. यह हमला ताइवान की अर्थव्यवस्था तबाह करने के लिए किया जा सकता है ताकि ताइवान को अलग-थलग किया जा सके.

चीन से सैन्य अभ्यास बढ़ाए

गौरतलब है कि ग्लोबल ताइवान इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के अनुसार, 23-24 मई, 2024 को, ताइवान के नए राष्ट्रपति विलियम लाई चिंग-ते के शपथ ग्रहण के तीन दिन बाद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के चीन के पूर्वी थिएटर कमांड ने सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल को शामिल करते हुए संयुक्त स्वॉर्ड-2024ए कोड नाम से सैन्य अभ्यास किया था. अध्ययन में कहा गया कि "सैन्य अभ्यासों की आवृत्ति और पैमाने में वृद्धि हुई है." 2016 में ताइवान की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के सत्ता में आने के बाद से पीएलए के सैन्य अभ्यासों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है.

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"2018 की शुरुआत में, चीन ने ताइवान की डीपीपी के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव डालने के लिए बढ़ती आवृत्ति के साथ ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास किया, जिसे चीन स्वतंत्रता समर्थक मानता है। इन अभ्यासों ने भविष्य के ताइवान संकट के संभावित संचालन क्षेत्रों में पीएलए की संयुक्त वास्तविक लड़ाकू क्षमताओं का परीक्षण करने का काम किया है," अध्ययन में कहा गया है।

ताइवान के डराने की चाल

स्टडी के अनुसार सैन्य अभ्यास के दो मुख्य उद्देश्य हैं - ताइवान को मनोवैज्ञानिक रूप से डराना और अमेरिका और जापान जैसी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के सामने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना, जो ताइवान संकट के दौरान हस्तक्षेप करने की योजना बनाते हैं. 

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अमेरिका ने की है ताइवान की मदद

बता दें कि चीनी युद्धाभ्यास ताइवान की नौसेना पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल रहे हैं. चीनी नौसेना के पास दोगुने फ्रिगेट और दस गुना ज़्यादा विध्वंसक हैं. हर चीनी अभ्यास के लिए ताइवान अपने 25-50 प्रतिशत लड़ाकू जहाज़ों को तैनात करता है. एक सरकारी ऑडिट में पाया गया कि ताइवान के आधे से ज़्यादा मुख्य युद्धपोत नियमित रखरखाव के अभाव में पिछड़ रहे हैं. ऐसे में ताइवान का डर और गहराता जा रहा है कि चीन कब उसे मजबूर कर दे और वह अपनी संप्रभुता खो दे.

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