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This Article is From Feb 06, 2012

ब्रिटेन में भारत को दी जाने वाली सहायता पर बढ़ता विरोध

लंदन: ब्रिटेन में भारत को दी जाने वाली अनुदान सहायता को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। आर्थिक संकट से घिरी ब्रिटेन की डेविड कैमरन सरकार पर इस सहायता को रोकने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। ब्रिटेन के लोगों की नजर में भारत में तेजी से आर्थिक विकास हो रहा है। ऐसे में उसे ब्रिटेन, जो कि इन दिनों आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, से सहायता दिया जाना अखर रहा है। इस विरोध को उस समय और हवा मिल गई जब पिछले सप्ताह भारत ने लड़ाकू विमानों के रक्षा सौदे के लिये फ्रांस की राफले को चुना।

संडे टेलीग्राफ में एक समाचार प्रकाशित होने के बाद यह चर्चा और जोर पकड़ गई। प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले साल अगस्त में राज्यसभा में कहा कि भारत को ब्रिटेन की सहायता नहीं चाहिए, उनके मुताबिक यह बहुत कम है।

इसके अलावा लड़ाकू जेट विमानों के सौदे में भारत द्वारा ब्रिटेन के बजाय फ्रांस को तवज्जो दिए जाने से ब्रिटेन में जनता का भारत को दी जाने वाली सहायता रोकने का दबाव और बढ़ गया। हालांकि, कल रात अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को ब्रिटेन की तरफ से दी जाने वाली सहायता जरूरी है और ‘‘फिलहाल भारत को सहायता बंद करने का सही समय नहीं है।’’ ब्रिटेन की कैमरन सरकार की भारत को सहायता जारी रखने की नीति उस समय और दबाव में आ गई जब उसके अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री एंड्रयू मिशेल ने सहायता जारी रखने को ब्रिटेन की टायफून जेट की बिक्री से जोड़ा।

वर्तमान में ब्रिटेन सालाना भारत को 28 करोड़ पौंड की सहायता देता है जो कि वर्ष 2015 तक 1.4 अरब पौंड तक पहुंच जाएगी। बहरहाल, ब्रिटेन के मीडिया में प्रकाशित मुखर्जी की टिप्पणी को राज्यसभा की प्रतिलिपि से हासिल किया गया है, ब्रिटेन मीडिया में इससे पहले रिपोर्ट नहीं आई थी। अब इसके प्रकाशित होने से लोगों में भारत को ब्रिटेन की सहायता रोकने की मांग तेजी से बढ़ी है।

बहरहाल, मिशेल ने इस मामले में कल रात कैमरन सरकार का बचाव करते हुए कहा, ‘‘भारत के साथ हमारा पूरी तरह से नया कार्यक्रम दोनों देशों के राष्ट्रीय हित में है यह दोनों देशों के व्यापक रिश्तों में एक बहुत छोटा हिस्सा है।’’

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