दक्षिण सूडान में तीन भारतीय शांति रक्षकों की उस वक्त मौत हो गई जब हमलावरों ने संयुक्त राष्ट्र अड्डे पर हमला कर दिया जहां जारी हिंसा और असंतोष के बीच असैनिकों ने पनाह ले रखी थी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत अशोक मुखर्जी ने शांतिरक्षण पर विश्व निकाय की एक बैठक में कहा, बदकिस्मती से, आज सुबह में मिलिशिया समूहों ने दक्षिण सूडान में भारत के तीन सैनिकों को लक्षित किया और उनकी हत्या कर दी। दक्षिण सूडान के दूसरे सबसे बड़े जातीय समूह ‘नुएर’ के विद्रोही देश के सबसे बड़े जातीय समूह ‘दिनका’ के असैनिको पर हमला करते हुए जोंगलेइ प्रांत के अकोबो में संयुक्त राष्ट्र अड्डे में घुस गए।
तकरीबन 1500-2000 विद्रोहियों ने अड्डे पर हमला किया जहां छह संयुक्त राष्ट्र पुलिस सलाहकार और दो असैनिकों के साथ 43 भारतीय शांति रक्षक मौजूद थे।
‘दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र अभियान’ (यूएनएमआईएसएस) ने एक बयान में इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि तकरीबन 30 दक्षिण सूडानियों ने अकोबो इलाके में हिंसा से बचने के लिए संयुक्त राष्ट्र अड्डे में पनाह लेनी चाही थी।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वहां और लोगों के हताहत होने की रिपोर्टें मिली हैं। बहरहाल, उसने इसकी तफ्सील नहीं दी। यूएनएमआईएसएस ने कहा कि वह उन हालात का पता लगाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है, जिसमें यह हमला हुआ। वह वहां बचे अपने कर्मियों की सुरक्षा के लिए कोशिश कर रहा है।
जब से राष्ट्रपति सल्वा किइर ने अपने पूर्व सहायक रिइक मशार पर बगावत करने का आरोप लगाया है दक्षिण सूडान में हिंसा का दौर चल रहा है।
रविवार को शुरू हुई हिंसा और असंतोष में अभी तक तकरीबन 500 लोग मारे जा चुके हैं। सबसे पहले राजधानी जुबा में झड़पों की शुरूआत हुई जो उसके बाद वह चारों तरफ फैल गई।
दिंका समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रपति किइर ने आरोप लगाया है कि इस हिंसा के लिए सैनिकों का एक समूह जिम्मेदार है, जो मशार की हिमायत करते हैं। मशार नुएर हैं।
राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि मशार ने रविवार की रात बगावत की कोशिश की और उनसे जुड़े सैनिकों ने बलपूर्वक सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश की। पूर्व उपराष्ट्रपति ने इससे इनकार कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा कि वह दक्षिण सूडान के अनेक हिस्सों में हिंसा में जारी इजाफा, मानवाधिकार उल्लंघन और जातीय तनाव पर आधारित हत्याओं की रिपोर्टों पर बहुत चिंतित हैं।
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