
मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले का उद्देश्य दक्षिण एशिया के भविष्य को आश्चर्यजनक रूप से बदलना था और शायद परमाणु शक्ति संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भड़काना था। अमेरिका के एक शीर्ष आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ ने यह दावा किया है।
सीआईए के एक पूर्व विश्लेषक और दक्षिण एशिया के मसलों पर चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के सलाहकार रह चुके ब्रूस रीड ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके दल से इस बारे में उन्होंने कई बार चर्चा की थी। एक समाचार और विचार वेबसाइट 'डेली बीस्ट' में उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने बहुत सावधानीपूर्वक अपने निशाने चुने थे। इसके लिए उसने कई वर्ष तक शोध किया था।
रीड के अनुसार, इसके लिए उनको दो स्रोतों -पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा से मदद मिली थी।
इनमें से हर का अपना अलग एजेंडा था, लेकिन उनका निशाना भारतीय, अमेरिकी और यहूदी थे। यह अलकायदा द्वारा 1990 के दशक में शुरू किए गए वैश्विक जिहाद के अनुरूप था।
मुंबई हमले को न्यूयार्क पर 9/11 के हमले के बाद का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला मानते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि 10 आतंकवादियों की रणनीति की नकल कई अन्य आतंकवादी हमलों में की गई। हाल ही में नैरोबी में हुआ आतंकवादी हमला इसका एक उदाहरण है।
रीड के अनुसार मुंबई हमले का सबसे स्तब्धकारी पहलू पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली द्वारा हमले के पहले ठिकानों के बारे में खुफिया सूचनाएं देना था।
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