पाकिस्तान के लाहौर में बसी देश की सबसे बड़ी ईसाई कालोनी में आज दो गिरिजाघरों में प्रार्थना के दौरान तालिबान के आत्मघाती हमलों में 14 लोग मारे गए और 68 अन्य घायल हो गए। इसके बाद भीड़ ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को जलाकर मार डाला।
हमलावरों ने रविवार की प्रार्थना के दौरान योहानाबाद इलाके में स्थित रोमन कैथलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च के दरवाजों पर विस्फोट कर दिया, जिसके बाद वहां भगदड़ मच गई और दहशत में आए लोग अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए संगठन जमात-उल-अहरार ने दावा किया है कि दोनों विस्फोटों में पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 14 लोग मारे गए।
लाहौर जनरल अस्पताल के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि योहानाबाद इलाके में विस्फोटों में मारे गए लोगों की संख्या 14 है, वहीं घायलों की संख्या 68 है। इनमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
स्थानीय ईसाई नेता असलम परवेज सहोत्रा ने कहा, 'योहानाबाद ईसाई कॉलोनी में क्राइस्ट चर्च और कैथलिक चर्च में रविवार की प्रार्थना सभा चल रही थी तभी दोनों आत्मघाती हमलावर वहां पहुंचे और चर्चों में घुसने का प्रयास किया। हालांकि जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वहां घुसने से रोका तो उन्होंने वहीं विस्फोट कर दिया।' उन्होंने कहा कि घटना के समय चर्चों में बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोग थे।
हमले के तुरंत बाद भीड़ ने दो संदिग्धों को कथित तौर पर पीटा। बाद में भीड़ ने उन्हें आग के हवाले कर दिया। उनका शरीर पूरी तरह जल गया। एक चश्मदीद ने कहा, 'हमने दो संदिग्धों को पकड़ा जो आत्मघाती हमलावरों के साथी लग रहे थे। गुस्साई भीड़ ने दोनों आतंकवादियों की पिटाई के बाद उन्हें जला दिया। संदिग्धों ने माना कि वे आत्मघाती हमलावर के साथी थे और अभियान पर नजर रखने के लिए आए थे।'
पाकिस्तान के सबसे बड़े ईसाई रिहायशी इलाके योहानाबाद में कम से कम दस लाख लोग रहते हैं और यहां 150 से अधिक चर्च हैं।
लाहौर के उप महानिरीक्षक हैदर अशरफ ने भी दोनों हमलों के आत्मघाती होने की पुष्टि की। अशरफ ने कहा, 'दोनों हमले आत्मघाती विस्फोट थे। चर्चों के दरवाजों पर पुलिसकर्मी तैनात थे। विस्फोटों में दो पुलिसकर्मी मारे गए।'
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों को लंबे समय से चरमपंथियों और आतंकवादी समूहों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है। साल 2013 में पेशावर के कोहाटी गेट इलाके में आल सेंट्स चर्च पर दो आत्मघाती हमलों में 80 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
घटनाओं के बाद ईसाई सड़कों पर उतरे और शहर में अनेक रास्तों पर यातायात अवरुद्ध कर दिया।
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