
- उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में सेना और एनडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है
- सेना की इंजीनियरिंग विंग टूटे हुए रास्तों की मरम्मत कर अस्थाई पुल बनाकर गांवों को जोड़ने का काम कर रही है
- सड़क संचार बहाल करने में कम से कम दस दिन लगने की संभावना है और मलबा हटाने की कोशिश हो रही है
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रक्षा बंधन के त्योहार पर भी सन्नाटा है, यहां कई बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया है और इनमें से ज्यादातर ऐसी बहनें भी हैं, जिनके भाई अब तक मलबे में दबे हुए हैं. फिलहाल धराली और हर्षिल इलाके में रेस्क्यू ऑपेरशन जारी है और सेना लोगों की लगातार हर तरह की मदद कर रही है. हताश हो चुके लोगों के लिए सेना और एनडीआरएफ किसी फरिश्ते से कम नहीं है, सैटेलाइट फोन से जहां उनके अपनों से बात कराई जा रही है, वहीं फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने का काम भी हो रहा है.
धराली से अब सेना और बाकी दलों के रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें सामने आ रही हैं. जिनमें देखा जा सकता है कि सभी जवान अपनी पूरी ताकत से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश में जुटे हैं.

सेना की इंजीनियरिंग विंग की तरफ से टूट चुके रास्तों की मरम्मत की जा रही है और अस्थाई पुल बनाकर गावों को कनेक्ट किया जा रहा है. धाराली गांव और मुखवा गांव के दोनों ओर एक ऐसा ही ब्रिज तैयार किया गया है.


बताया जा रहा है कि सामान्य सड़क संचार की बहाली में कम से कम 10 और दिन लगने की उम्मीद है. मलबा हटाने के लिए लगातार हैवी ड्यूटी वाले बुलडोजरों का इस्तेमाल किया जा रहा है.


सेना और एनडीआरएफ ने 50 पर्यटकों को सुरक्षित रूप से गंगोत्री से धाराली तक पहुंचाया और आगे हर्षिल के लिए रवाना किया. इसके अलावा आसपास फंसे लोगों को भी सुरक्षित तरीके से उनके घरों तक पहुंचाया गया.


सेना की तरफ से बताया गया है कि 14 राज राइफल के लापता जवानों की खोज के लिए भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. सुक्की टॉप से हर्षिल तक जेसीबी से मलबा हटाने का काम चल रहा है.

भारतीय सेना की तरफ से कम्युनिकेशन बहाली की कोशिशें भी जारी है, फिलहाल के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. स्थानीय संचार को पूरी तरह से बहाल करने के लिए लाइनें बिछाने की शुरुआत हो चुकी है.

सेना की तरफ से हेलिकॉप्टर से लगातार राहत सामग्री भी धराली पहुंचाई जा रही है, जिन लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है या जो लोग फंसे हुए हैं, उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं.
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