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उपचुनावः रोजगार नहीं है, सड़क भी खो गई... केदारनाथ के दिल में क्या दर्द? जरा पढ़िए

केदारनाथ विधानसभा में उपचुनाव है, तो यहां की जनता कई मुद्दों पर वोट डालने की बात कर रही है. ऐसे में NDTV ने ये जानने की कोशिश की है कि उपचुनाव को लेकर यहां के लोग क्या सोचते हैं.

उपचुनावः रोजगार नहीं है, सड़क भी खो गई... केदारनाथ के दिल में क्या दर्द? जरा पढ़िए
देहरादून/केदारनाथ:

उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर प्रचार हो रहा है. 20 नवंबर को केदारनाथ विधानसभा सीट पर वोटिंग होनी है. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे, लेकिन उससे पहले इस विधानसभा में आखिर वह कौन से मुद्दे हैं, जिनको सोचकर जनता अपना वोट डालेगी.

यूं तो केदारनाथ विधानसभा में 90540 मतदाता हैं, जिसमें महिला वोटर करीब 45 हजार, पुरुष मतदाता 44 हजार हैं. केदारनाथ विधानसभा की अर्थव्यवस्था का मूल स्रोत केदारनाथ यात्रा के साथ तीर्थाटन है. इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे पर्यटन के क्षेत्र हैं, जिससे यहां के लोगों की आय होती है.

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केदारनाथ विधानसभा में उपचुनाव है, तो यहां की जनता कई मुद्दों पर वोट डालने की बात कर रही है. ऐसे में NDTV ने ये जानने की कोशिश की है कि उपचुनाव को लेकर यहां के लोग क्या सोचते हैं. 

केदारनाथ विधानसभा के बावई गांव की समुद्रा देवी कहती हैं, "सड़क नहीं है. रोजगार भी नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि सड़क और रोजगार होना चाहिए."
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सड़कें बदहाल
बावई गांव की उषा कहती हैं, "यहां सड़क नहीं है. रोजगार नहीं है. केदारनाथ की यात्रा भी इस बार ठीक नहीं हुई है. हालांकि, मेरा बेटा नौकरी में है. लेकिन हम बुजुर्ग लोगों का क्या होगा. सरकार बुजुर्गों के लिए भी कुछ करें."

रोजगार सबसे प्रमुख मुद्दा
पीलू गांव की रश्मि का कहना है, "लड़के बेरोजगार हैं. वो पढ़ लिखकर घर में बैठे हैं, क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं है. घरवालों का इतना प्रेशर है कि वह आत्महत्या कर रहे हैं. इसके अलावा चाहे टैक्सी वाले हैं या फिर यात्रा में काम करने वाले अन्य लोग... सबके लिए कुछ ना कुछ दिक्कतें हैं. इस बार केदारनाथ की यात्रा भी अच्छे से नहीं चल पाई है. केदारनाथ यात्रा में लोगों को इस बार काफी नुकसान हुआ है. इसलिए सरकार को रोजगार के बारे में सोचना चाहिए."

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पटीयू गांव के युवा भी भी रोजगार की मांग कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि सड़क पूरी तरह से खराब है. केदारनाथ यात्रा पर बात करते हुए उनका कहना है कि सब यात्रा में बाहरी लोग काम कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं है. यात्रा भी इस बार नहीं चल पाई है, जिससे ना हमें रोजगार मिला है और नुकसान भी काफी हुआ है.

केदारनाथ यात्रा में बढ़नी चाहिए स्थानीय लोगों की भागीदारी
युवाओं का कहना है कि गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए, जबकि बाहरी लोगों की वहां भागीदारी ज्यादा है. इसलिए हमें रोजगार नहीं मिल पाता है. इसके अलावा गुप्तकाशी से लेकर उत्तरकाशी वाले मार्ग को भी ठीक किया जाना चाहिए, लेकिन आज भी उसके हालात जस के तस बने हुए हैं.

नेशनल हाईवे में जगह-जगह गड्ढे
अगस्त मुनि के टैक्सी स्टैंड के वाहन चालकों का भी यही कहना है कि नेशनल हाईवे में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे होने की वजह से गाड़ियों की हालत खराब हो जाती है. 15 साल में सरकार गाड़ियों को स्क्रैप करने की बात करती है. जबकि 10 साल तक गाड़ियों का बैंक लोन ही चलता रहता है. ऐसे में हमारी कमाई नहीं हो पाती. इसके अलावा चार धाम यात्रा भी इस बार नहीं चल पाई.


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