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Explainer: सर्दियों में सुलग रहे उत्‍तराखंड के जंगल, जानें अब तक 16 जगह क्‍यों लगी आग

सर्दियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग भड़क रही है. अब तक 16 जगह आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे पयर्टकों के साथ-साथ स्‍थानीय लोग भी परेशान हैं.

Explainer: सर्दियों में सुलग रहे उत्‍तराखंड के जंगल, जानें अब तक 16 जगह क्‍यों लगी आग
  • उत्तराखंड में दिसंबर तक 16 जगहों पर जंगलों में आग लगी, जिससे कुल 6.35 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है
  • लंबे समय तक बारिश न होने से जंगलों की नमी कम हुई, जिससे सूखी घास और पत्तों में आग तेजी से फैल रही है
  • जंगलों की आग से धुआं बढ़ रहा है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और पर्यटकों के लिए समस्या उत्पन्न हो रही है
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देहरादून:

उत्तराखंड में जंगलों की आग अक्सर गर्मियों के मौसम में लगती है. उत्तराखंड का वन विभाग 15 फरवरी से हर साल फॉरेस्ट फायर सीजन मानता है. लेकिन उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन से पहले ही दिसंबर के महीने में एक दर्जन से ज्यादा जगह पर जंगल में आग लगी हुई है. यह आग क्यों लगी और इस आग के पीछे क्या कारण है? क्या इसके पीछे की वजह जलवायु परिवर्तन है, क्या इस आग के पीछे की वजह बारिश का नहीं होना है या फिर किसी और साजिश का परिणाम?

फायर सीजन से पहले 16 जगह आग! 

उत्तराखंड में लगभग 41 फॉरेस्ट डिवीजन है, जिसमें गढ़वाल रीजन के टोंस पुरोला डिवीजन में पांच जगह पर आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई है. टोंस पुरोला डिवीजन में आग लगने की घटनाओं से 1.4 हेक्टर जंगल प्रभावित हुआ है. वहीं, बद्रीनाथ गोपेश्वर डिवीजन में 6 जगह पर आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई है, जिसमें 2.7 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इसी तरह से केदारनाथ वाइल्डलाइफ डिवीजन में चार जगह पर आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई है, जिसमें 2.25 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. केदारनाथ वाइल्डलाइफ डिवीजन के वन पंचायत क्षेत्र में एक जगह आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई है. कुल मिलाकर उत्तराखंड में 23 दिसंबर 2025 तक 16 जगह पर आग लगने की घटना रिकॉर्ड की गई, जिसमें कुल मिलाकर 6.35 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. 

जंगलों में क्‍यों लग आग, क्‍या पड़ रहा इसका असर? 

  • लंबे समय से बारिश नहीं होने की वजह से हवा में नमी नहीं है और जमीन भी सूखी हुई है, इसकी वजह से जंगलों में सूखे पत्तों और सूखी घास होने की वजह से आग तेजी से भड़क रही है.
  • जंगलों की आग की वजह से उठने वाला धुआं भी एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ा रहा है यानि वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. चारों तरफ ऊंचे पहाड़ों में धुआं दिख रहा है जिससे जमीन पर सूर्य की रोशनी भी ठीक से नहीं पहुंच रही है.
  • यह भी माना जा रहा है कि जंगलों की आग अक्सर वन्य जीव का शिकार करने वाले शिकारी भी इसका फायदा उठाते हैं, क्योंकि अक्सर सर्दियों में वन्य जीव ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में चले जाते हैं और वन्यजीवों का शिकार करने वाले आग लगाकर वन्यजीवों को नीचे की ओर खदेड़ते है.
  • दिल्ली और एनसीआर के अलावा अन्य क्षेत्रों से उत्तराखंड में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह आग परेशानी का सबब बन सकती है. दरअसल, दिल्ली और एनसीआर से साफ हवा लेने के लिए पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे हैं, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगने वाली आग उनकी छुट्टियों का मजा किरकिरा कर रही है.
  • जंगलों में आग की वजह से जंगली जानवर शहरों और कस्बों की तरफ आ रहे हैं. इससे वन्य जीव संघर्ष बढ़ रहा है, क्योंकि लोग घास के लिए जंगलों में जाते हैं.

आग से ग्रामीणों की बढ़ी मुश्किलें 

ग्रामीणों का कहना है कि जंगलों में लगने वाली आग से काफी नुकसान हो रहा है. स्थानीय महिला ललिता का कहना है कि लोगों के लालच की वजह से जंगलों में आग लग रही है, जिसकी वजह से जंगली जानवर गांव और कस्बों की तरफ आ रहे हैं. इससे जंगली जानवरों के हमले इंसानों पर बढ़ रहे हैं. नीलिमा का भी कहना है कि जंगलों में आग लगने से चारों तरफ धुआं-धुआं हो रहा है, जिससे आने-जाने में काफी दिक्कत हो रही है. सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है. दिल्ली और अन्य जगहों से उत्तराखंड में घूमने आने वाले लोगों पर बुरा असर पड़ रहा है. ग्रामीण नीरज कैठैत का मानना है कि जंगलों में आग लगने से वन्य जीव और इंसानों को काफी नुकसान पहुंचता है. 

कंट्रोल फॉरेस्ट फायर वन विभाग द्वारा लगाई गई 

उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया रंजन कुमार मिश्रा ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि बारिश नहीं हुई है और इस समय जंगलों में पेड़ों से लगातार पत्ते गिर रहे हैं, जो नीचे भारी मात्रा में इकट्ठे हो गए हैं. अगर इनको इस वक्त नहीं जलाया गया, तो फॉरेस्ट फायर सीजन में इससे बड़ा नुकसान हो सकता है और जंगलों की आग ज्यादा भड़क सकती है. राज्य के सभी डीएफओ और वन अधिकारियों को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि वह कंट्रोल फॉरेस्ट फायर की लगातार मॉनिटरिंग करें. यह आग भड़क कर इंसानी बस्तियां या फिर जंगलों को ना जाला डालें इस बात का ध्यान रखा जाए. 
रंजन कुमार मिश्रा इस बात को भी इनकार नहीं करते हैं कि ऐसे समय वन्यजीवों के शिकारी सक्रिय हो जाते हैं और पहाड़ी क्षेत्र की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आग लगाकर वन्यजीवों को निचले क्षेत्रों में खदेड़ते है. उन्‍होंने कहा कि इसे लेकर भी वन कर्मियों और फॉरेस्ट रेंजर्स को अलर्ट किया गया है.
 

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