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This Article is From May 16, 2017

पति के अंतिम संस्कार के लिए बेटे को रखा गिरवी, बच्चों की प्यास बुझाने के लिए नाली का पानी पिलाने को हुई मजबूर

घर में पति की लाश पड़ी थी और रीता की मदद करने वाला कोई नहीं था. मजबूरी में उसने अपने बेटे को गिरवी रख दिया और पति का अंतिम संस्कार करने के बाद वह देवर के साथ अपनी 3 साल की बेटी और डेढ़ साल के बेटे को लेकर आगरा चली आई ताकि कोई काम मिल सके. 

पति के अंतिम संस्कार के लिए बेटे को रखा गिरवी, बच्चों की प्यास बुझाने के लिए नाली का पानी पिलाने को हुई मजबूर
प्रतीकात्मक फोटो
  • 20 साल की रीता ने जब अपनी मजबूरी बताई तो लोगों का दिल भर आया
  • वह दीमापुर में चाय के बागान में करती थी उसके तीन बेटे हैं
  • कुछ दिन पहले ही बीमारी की वजह से पति की मौत हो गई थी
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आगरा:

गरीबी और लाचारी कई बार इंसान से क्या-क्या नहीं कराती है.  सोचिए एक महिला पर क्या बीती होगी जब उसे अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए अपने बेटे को 2 हजार रुपए के लिए गिरवी रखना पड़ा हो.  आगरा में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर दीमापुर की रहने वाली रीता को जब अपने दो बच्चों को नाली का पानी पिलाते देखा गया तो लोगों ने उसे खूब डांटा लेकिन जब  20 साल की रीता ने जब अपनी मजबूरी बताई तो लोगों का दिल भर आया.


उसने बताया कि वह दीमापुर में चाय के बागान में करती थी उसके तीन बेटे हैं. कुछ दिन पहले ही बीमारी की वजह से पति की मौत हो गई थी. उसने बताया कि उसकी माली हालत काफी खराब थी और अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं थे.
कोई रास्ता न देख उसने नागालैंड के रहने वाले के एक महाजन से 2 हजार रुपए उधार मांगे और वादा किया कि वह मेहनत-मजदूरी करके पैसे वापस कर देगी लेकिन महाजन ने शर्त रखी कि रुपयों के बदले उसको अपने बेटे को गिरवी रखना पड़ेगा.


घर में पति की लाश पड़ी थी और रीता की मदद करने वाला कोई नहीं था. मजबूरी में उसने अपने बेटे को गिरवी रख दिया और पति का अंतिम संस्कार करने के बाद वह देवर के साथ अपनी 3 साल की बेटी और डेढ़ साल के बेटे को लेकर आगरा चली आई ताकि कोई काम मिल सके. 


लेकिन उसको कोई काम नहीं मिल पाया और जो थोड़े बहुत पैसे थे वह खत्म हो गए. इसी बीच उसका देवर भी उसे छोड़कर कहीं भाग गया. उसके बच्चे भूख और प्यास तड़प रहे थे. रीता ने बताया कि एक-दो दुकानों में उसने पीने के लिए पानी मांगा तो उसको भगा दिया गया. भीषण गर्मी में उसके दोनों बेटों का गला सूखने लगा था तब उसने मजबूरी में दोनों बेटों को नाली का पानी पिलाने का फैसला किया. 


रीता के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि लोग उसकी भाषा भी नहीं समझ पा रहे थे. हालांकि एक दुकानदार ने रीता और उसके बच्चों को फिर पानी पिलाया और स्थानीय लोगों की मदद से नागालैंड की पुलिस के संपर्क किया गया जहां से उसके बारे में पुष्टि की गई.


दीमापुर के लिए किया गया रवाना
मिली जानकारी के मुताबिक स्थानीय लोगों की मदद से रीता को  ब्रह्मपुत्र मेल से डिब्रूगढ़ के लिए बैठ दिया गया है जहां से उसे जीआरपी की मदद से दीमापुर भेज दिया जाएगा. उसकी मदद के लिए लोगों ने 3 हजार रुपए और खाने-पीने का सामान और कपड़े भी दिए हैं.

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