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This Article is From May 22, 2017

योगी सरकार में भी खत्म नहीं होगा अल्पसंख्यकों को मिल रहा 20 फीसदी कोटा!

यूपी की योगी सरकार जल्द ही सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों को मिल रहा कोटा को खत्म नहीं करेगी. कोटा खत्म होने की लेकर मीडिया में दिनभर भ्रामात्मक खबरें आती रही.

योगी सरकार में भी खत्म नहीं होगा अल्पसंख्यकों को मिल रहा 20 फीसदी कोटा!
समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने अल्पसंख्यक कोटे पर रोक से इनकार किया है...
  • कोटा खत्म होने की लेकर मीडिया में दिनभर भ्रामात्मक खबरें आती रही
  • पहले खबर आई कि योगी सरकार ने कोटा खत्म करने की तैयारी कर ली है
  • शाम होते-होते योगी के एक मंत्री ने बिल्कुल उलट बयान दिया
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल्द ही सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों को मिल रहा कोटा को खत्म नहीं करेगी. कोटा खत्म होने की लेकर मीडिया में दिनभर भ्रामात्मक खबरें आती रही. पहले खबर आई कि योगी सरकार ने कोटा खत्म करने की पूरी तैयारी कर ली है और जल्द ही कैबिनेट प्रस्ताव ला सकती है. सुबह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कोटे पर रोक का बयान दिया. 
 शाम होते-होते खबर बिल्कुल बदल गई और कोटा जारी रहने की बात सामने आने लगी. वहीं समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने अल्पसंख्यक कोटे पर रोक से इनकार किया है. गौरतलब है कि 2012 में अखिलेश यादव ने सत्ता में आते ही अल्पसंख्यकों के लिए कोटे की शुरुआत की थी. इसके तहत प्रदेश की 85 योजनाओं नें अल्पसंख्यकों के लिए 20 फ़ीसदी का कोटा आरक्षित था.​
 
इन विभागों में मिलता है कोटा
कृषि, गन्ना विकास, लघु सिंचाई, उद्यान, पशुपालन, कषि विपणन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, रेशम विकास, पर्यटन, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा कल्याण, नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा, समाज कल्याण, विकलांग कल्याण, महिला कल्याण, दुग्ध विकास, समग्र ग्राम विकास में कोटा का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल रहा है.

नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया गया था फैसला
अखिलेश सरकार ने यह फैसला नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया था. सर्वे की रिपोर्टों में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था. रिपोर्टों में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है. ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था. शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था.

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