सना खानम की ज़िन्दगी पूरी तरह बदल गई, जब उन्होंने मामून शाह से निकाह कर लिया, और एक निजी स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका कुछ ही हफ्तों में रामपुर नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष बन गई.
उनका निकाह 15 अप्रैल को हुआ, अगले ही दिन सना ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. दरअसल, मामून शाह खुद चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन लड़ नहीं सकते थे, क्योंकि यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी.
उन्होंने कहा कि वह पिछले 20 साल से समाजसेवा करते आ रहे हैं, और उन्होंने शहर में पोलियो उन्मूलन के लिए काफी काम किया है. मामून पहले कांग्रेस के रामपुर शहर अध्यक्ष थे, लेकिन हाल ही में वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे.
मामून शाह ने बताया, "शादी का फैसला 13 अप्रैल को लिया गया था और यह 15 अप्रैल को हुआ था... सना ने नामांकन पत्र 16 अप्रैल को दाखिल किया..." रामपुर नगर पालिका परिषद की नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने साफ-साफ कहा कि उनकी शादी अरेंज्ड थी. सना खानम ने कहा, "शादी पाक महीने (रमजान) में हुई... यह भाग्य का लिखा है... चुनाव लड़ने का फैसला शादी के बाद किया गया, क्योंकि सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित की गई थी..."
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने लोगों की समस्याओं को बेहद करीब से देखा और अब वह हरसंभव तरीके से उनका समाधान करने का काम करेंगी. सना खानम ने यह भी कहा कि उनके छात्र शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में उनकी जीत से उत्साहित हैं.
45-वर्षीय मामून शाह ने कहा कि स्थानीय लोग उनसे प्यार करते हैं, क्योंकि वह उनके संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े रहे. उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने पिछले 40 साल में केवल आज़म खान को वोट दिया है, उन्होंने इस बार हमें वोट दिया है... उन्होंने स्वीकार किया था कि मैंने ही उनकी मदद की थी, लेकिन इसके बावजूद वोट आज़म खान को जाता था..."
समर्थन के लिए लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए सना खानम ने समाचार एजेंसी PTI-भाषा से कहा, ''मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करूंगी, जिन्होंने मेरा समर्थन किया और जीत दर्ज करने में मेरी मदद की... चीज़ें कुछ मुश्किल थीं, लेकिन 'मामून साहब' (पति) और लोगों के समर्थन से हमें कामयाबी मिली... अगर टीम वर्क हो तो किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति से पार पाना मुश्किल नहीं है..."
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