उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारियों में वीआरएस मांगने लेने के ताबड़तोड़ कई मामले आने से हड़कंप मच गया है. ताजा मामला आईएएस अफसर रेणुका कुमार है, जिन्होंने केंद्र में प्रतिनियुक्ति की सेवाएं खत्म होने के बाद वापस यूपी में सेवाएं देने की जगह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया है. यह यूपी में भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी वरिष्ठ अफसर द्वारा हाल ही में वीआरएस मांगने का यह तीसरा मौका है.आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि उत्तर प्रदेश काडर की आईएएस अधिकारी रेणुका कुमार (1987 बैच), जूथिका पाटणकर (1988 बैच) और विकास गोठलवाल (2003 बैच) ने वीआरएस मांगा है.
रेणुका कुमार ने 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के बैनर तले तीन सबसे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान करने का अभियान चलाकर सुर्खियां बटोरी थीं. रेणुका कुमार फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में तैनात थीं और उन्हें पिछले महीने उत्तर प्रदेश वापस भेज दिया गया था. रेणुका अगले साल 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाली थीं.
वहीं, लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के गवर्नर की प्रमुख सचिव के पद पर रहीं पाटणकर का कार्यकाल 31 जनवरी 2024 तक है. गोठलवाल फिलहाल अध्ययन अवकाश पर ब्रिटेन में हैं. उन्होंने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की याचिका दी है. गोठलवाल की पत्नी अमृता सोनी भी उत्तर प्रदेश काडर की आईएएस अधिकारी हैं. इन अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी मुख्य सचिव तथा नियुक्ति विभाग के अन्य संबंधित अधिकारियों को भेज दी है. अधिकारियों के वीआरएस मांगने का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक पाटणकर ने निजी कारणों से वीआरएस मांगा है जबकि गोठलवाल ने स्वास्थ्य कारणों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया है.
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