झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुई है 10 बच्चों की मौत
"भगवान ये क्या हो गया! इन मासूमों का क्या दोष था. आखिर इनको किस बात की सजा मिली है. जिन्हें अभी अपनी मां की गोद में दुलार पाना था वो आज झुलसी हालत में मेरे हाथ पर पड़े हैं, भगवान ये दिन किसी को ना दिखाए", झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग के बाद बच्चा वार्ड से नवजात बच्चों के जले शव को निकालने वाले परिजनों के भाव कुछ इसी तरह रहे होंगे. बच्चों के परिजन अपने जिगर के टुकड़ों को बचाने के लिए खुद ही वार्ड में घुस गए थे. इस रेस्क्यू ऑपरेशन का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दिख रहा है किस तरह से खिड़की के रास्ते बच्चों के शवों को बाहर निकाला जा रहा है.
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इन नवजात बच्चों के शव आग में इस कदर झुलस चुके थे कि उन्हें बाहर निकालने वाले लोग भी सिहर गए थे. इस वीडियो में दिख रहा है कि जब नवजात बच्चे के जले हुए शव को बाहर निकाला गया तो खिड़की के बाहर जो लोग उन शवों को लेने के लिए खड़े थे वो भी उन बच्चों की हालत को देखकर सिहर गए.
झांसी : मृतक बच्चों की लाशें हाथ में लेते इस बचावकर्मी की हालत देखिए, कलेजा फट जाएगा.#Jhansi | #Uttarpradesh | #MedicalCollege | #Fire pic.twitter.com/JqiHnj4jRs
— NDTV India (@ndtvindia) November 16, 2024
सेफ्टी अलॉर्म भी नहीं कर रहा है था काम
इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेज की लापरवाही भी निकल कर सामने आई है. अभी तक की जांच में पता चला है कि मेडिकल में ना तो कोई सेफ्टी अलॉर्म काम नहीं कर रहा था और ना ही इस अस्पताल में कोई बर्न वार्ड था. अगर सेफ्टी अलॉर्म काम कर रहा होता तो शायद इस घटना को होने से रोका जा सकता था. साथ ही अगर मेडिकल कॉलेज में ही बर्न वार्ड होता तो शायद समय रहते कई मासूमों की जान भी बचाई जा सकती थी.
'दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा'
इस घटना को लेकर यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि नवजातों की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. परिवारों के साथ मिलकर नवजात शिशुओं के शवों की पहचान करने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि जांच सबसे पहले प्रशासनिक स्तर पर की जाएगी. दूसरी जांच पुलिस प्रशासन करेगा. इसमें अग्निशमन विभाग की टीम भी शामिल होगी. आग लगने के कारणों की भी जांच के निर्देश दिए गए हैं. किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर जो भी जिम्मेदार होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी उनके खिलाफ और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. सरकार बच्चों के परिजनों के साथ है.
10 बच्चों की मौत, एक्शन में सीएम और डिप्टी सीएम
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि फरवरी में अस्पताल का फायर सेफ्टी ऑडिट हुआ था. जून में इसे लेकर मॉक ड्रिल भी की गई थी. अस्पताल में आग कैसे और क्यों लगी, ये तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जा सकेगा. उन्होंने बताया कि 7 बच्चों की पहचान हो चुकी है, अन्य 3 की पहचान की जा रही है. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद दी जाएगी.
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