
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध के हालातों के बीच एक अनोखा ऐतिहासिक रिश्ता सामने आया है. इस समय अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का केंद्र बने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई और उनके आध्यात्मिक गुरु अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी का संबंध भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र से जुड़ता है. महोबा जनपद के चरखारी कस्बे के मोहल्ला तुर्कियाना स्थित गोलाघाट इलाके में आज भी खुमैनी के पूर्वजों की सातवीं पीढ़ी निवास कर रही है.
यह परिवार अयातुल्ला खुमैनी के चचा जात रिश्तेदारों का है. परिवार के सदस्य सैय्यद अली फरहान काजमी बताते हैं कि उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतूर गांव से चरखारी आकर बस गए थे. उन्होंने बताया कि 1830 के आसपास उनके पूर्वज सैय्यद अहमद हुसैन मुसवी हिन्दी हजरत अली के रोजे की जियारत के लिए गए और ईरान के खुमैन शहर में बस गए. उन्होंने वहां विवाह कर एक नई पीढ़ी को जन्म दिया और हमेशा अपने नाम में 'हिन्दी' जोड़कर हिंदुस्तान से रिश्ते को कायम रखा.

इन्हीं के वंशज पोते अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी का जन्म 1902 में खुमैन में हुआ था, जिन्होंने 1979 में ईरान की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व कर अमेरिका समर्थित शाह रजा पहलवी की सत्ता को उखाड़ फेंका और ईरान को इस्लामी गणराज्य घोषित किया. उनके प्रिय शिष्य अयातुल्ला अली खामेनेई ने 1989 में उनके निधन के बाद ईरान की सर्वोच्च धार्मिक सत्ता संभाली. जो अब ईरान के सुप्रीम लीडर है.
फरहान काजमी का कहना है कि खुमैनी के रास्ते पर चलकर खामेनेई आज भी ईरान की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इजरायल और अमेरिका मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे पहले अमेरिका ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की थी. ईरान की ओर से दिए जा रहे जवाब को लेकर चरखारी में मौजूद परिवार ने अपना समर्थन जताया और कहा कि वे ईरान के साथ खड़े हैं.
इस ऐतिहासिक और भावनात्मक जुड़ाव ने न केवल अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम को महोबा से जोड़ा है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि बुंदेलखंड की मिट्टी से भी वैश्विक नेतृत्व की जड़ें जुड़ी हैं. चरखारी के इस मुसवी परिवार को गर्व है कि उनका संबंध उस शख्सियत से है, जिसने एक पूरे देश की तकदीर बदल दी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं