
- यूपी ATS ने बलरामपुर कोर्ट के कर्मचारी राजेश उपाध्याय को छांगुर के अवैध धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार किया है.
- राजेश उपाध्याय ने पूछताछ में छांगुर और उसके सहयोगियों को सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत की जानकारी दी.
- छांगुर के खिलाफ कई शिकायतें होने के बावजूद बलरामपुर पुलिस और प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
छांगुर के अवैध धर्मांतरण केस में एक सरकारी कर्मचारी की भी गिरफ़्तारी हुई है. यूपी एटीएस ने रविवार को राजेश उपाध्याय को लखनऊ से अरेस्ट किया. जो कि बलरामपुर कोर्ट के कर्मचारी है. छांगुर और उसके सहयोगियों के लिए तमाम तरह के सरकारी काग़ज़ वहीं तैयार करते थे. यूपी एटीएस की एक रिपोर्ट के बाद राजस्व और पुलिस विभाग के कई अफसर भी रडार पर हैं. इस लिस्ट में दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी भी है.
पूछताछ में मिली अहम जानकारी
बलरामपुर कोर्ट में राजेश उपाध्याय साल 2022 से 2024 तक तैनात रहे. गिरफ़्तारी के बाद वे जेल भेज दिए गए पर उससे पहले पूछताछ में छांगुर और उसके सहयोगियों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली है. उन्होंने उन अफ़सरों के बारे में बताया है कि जो छांगुर के गलत कामों में उसकी मदद करते थे. अवैध धर्मांतरण से लेकर जमीन की ख़रीद बिक्री में सरकारी कर्मचारी और अधिकारी उससे मिले हुए थे.
छांगुर के खिलाफ शिकायतों पर नहीं हुआ एक्शन
छांगुर उर्फ़ जलालुद्दीन के इलाके का पुलिस थाना तो सिर्फ़ उसकी हाज़िरी लगाता था. पिछले 7 सालों में उसके ख़िलाफ़ कई बार शिकायतें हुई. पर हर बार पुलिस वाले अनसुनी करते रहे. इस दौरान बलरामपुर के एसपी और डीएम तक भी लोग अपनी शिकायतें लेकर गए. छांगुर और उसके सहयोगियों की करतूतों के बारे में बताया पर कभी कुछ नहीं हुआ. छांगुर और नीतू उर्फ़ नसरीन के घरों को बलरामपुर में बुलडोज़र से गिराया गया है.
इनमें से एक तालाब की जमीन पर बना था. एक और घर विवादित जमीन पर बनाई. नाबालिग से जमीन ख़रीद कर उस पर घर बना. जबकि उस जमीन को लेकर विवाद था. ये मामला पुलिस थाने से लेकर अदालत तक गया. पर सबने छांगुर की मदद की. इस केस की जांच के बाद कुछ और सरकारी अफ़सरों की गिरफ्तारी हो सकती है.
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