
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुटखा और पानमसाला खाने वालों की लार से दागदार फाइलें स्वीकार न करने का आदेश दिया है.
- कोर्ट ने पाया कि लार के कारण फाइलों के पन्नों पर लाल धब्बे लग जाते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
- लार के संपर्क में आने से वायरस और बैक्टीरिया के कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस सहित कई संक्रमण फैल सकते हैं.
नोट गिनने में या पन्नों का पलटने में बहुत से लोग लार का इस्तेमाल करते हैं. ये लार कुछ देर बाद सूख जाती है, लेकिन गुटखा और पानमसाला खाने वालों की लार अपने पीछे निशान छोड़ जाती है. गुटखा और पानमसाला खाने वाले लोग जब नोट गिनने में या पन्नों का पलटने में अपनी लार का इस्तेमाल करते हैं, तो लाल रंग के लिशान नोटों और पन्नों पर नजर आने लगते हैं. ऐसे में समस्या तब आती है, जब इन नोटों या पन्नों को कोई और पलटता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब इस पर आपत्ति जताई है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लार के इस्तेमाल से दागदार फाइलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
थूक से पन्नों पर लाल धब्बे
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फाइलों और याचिकाओं के पन्ने पलटने में ‘लार' के इस्तेमाल पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. पीठ ने कहा कि अगर कोई पान या पान मसाला खाने वाला व्यक्ति लार (थूक) का इस्तेमाल करता है, तो पन्नों पर लाल धब्बे पड़ जाते हैं और संक्रमण का भी खतरा हो सकता है. पीठ ने इसकी गंभीरता को देखते हुए अपनी रजिस्ट्री और हाई कोर्ट के सरकारी कार्यालयों को निर्देश दिया कि अगर पेपर बुक का कोई पन्ना लार के इस्तेमाल के कारण लाल पाया जाता है, तो वे कोई भी फाइल स्वीकार न करें. दरअसल, ये स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक बात है.
दूसरे व्यक्ति की लार (saliva) छूने या उसके संपर्क में आने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं...
- दूसरे व्यक्ति की लार छूने या उसके संपर्क में आने से इसमें मौजूद वायरस और बैक्टीरिया से कई संक्रमण हो सकते हैं.
- लार के माध्यम से हाथों पर आए बैक्टीरिया या वायरस भोजन के रास्ते पेट में प्रवेश कर सकते हैं और गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट का संक्रमण) पैदा कर सकते हैं.
- अगर आपके हाथ या उंगलियों पर कोई खुला घाव या कट है और वह दूषित लार के संपर्क में आता है, तो संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है.
- आँखों, नाक या मुँह को छूने से लार में मौजूद रोगाणु सीधे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
जैसे ही अदालत ने फाइल अपने हाथ में ली
न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने 22 सितंबर को कृष्णावती और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. जैसे ही अदालत ने फाइल अपने हाथ में ली, उसने देखा कि अदालत में पेश करने से पहले पेपर बुक के पन्नों को पलटने के लिए लाल रंग की लार का इस्तेमाल किया गया था. पीठ का कहना था कि ऐसा तब हुआ होगा, जब पेपर बुक वकील, क्लर्क, शपथ आयुक्त या रजिस्ट्री के अधिकारियों द्वारा तैयार की जा रही थी. यह सरकारी वकील या मुख्य स्थायी परिषद के कार्यालय में भी हो सकता है.
गंदी प्रथा पर लगाम लगाना जरूरी
पीठ ने कहा कि उसने ऐसी चीजें हर दूसरे दिन देखी हैं और इसलिए उसे प्रतिबंध का आदेश देने के लिए बाध्य होना पड़ा. पीठ ने कहा, 'यह बेहद अनहेल्दी सिचुएशन है जो न केवल घृणित और निंदनीय है, बल्कि बुनियादी नागरिक भावना की कमी को भी दर्शाती है.' हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह की गंदी प्रथा पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इससे उन लोगों को संक्रमण हो सकता है, जो ऐसे कागज़ों के संपर्क में आएंगे. पीठ ने कहा कि इसलिए इस प्रथा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पीठ ने सरकारी अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता के कार्यालय को भी निर्देश दिया कि वे अपने कार्यालयों में भी उक्त निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें. उन्हें आदेश के अनुपालन के लिए अपने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने का भी निर्देश दिया.
सोच कर देखिए, पन्ने पर लार के लाल निशान लगे हैं और फिर आप उन्हीं पन्नों को अपने हाथ से पलटें, तो कैसा लगेगा. इस दौरान आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आप किसी के थूक को छू रहे हैं. अगर आप वही अंगुली और अपने मुंह में ले जाते हैं, तो ये आपकी सेहत भी बिगाड़ सकता है. हाई कोर्ट ने भी यही चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि इस गंदी हरकत पर रोक लगाना बेहद जरूरी है. अदालत ने कहा कि लोंगो की ऐसी हरकत से न केवल उनकी गंदी भावना का पता चलता है बल्कि इससे उन पेजों केा छूने वाले को इंफेक्शन भी हो सकता है.
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