म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) को छोटे निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर तरीका माना जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि एक तो इनके जरिए छोटे निवेशकों को प्रोफेशनल फंड मैनेजर के अनुभव और सूझबूझ का लाभ मिलता है और दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत बेहद छोटी रकम से की जा सकती है. इतना ही नहीं, इस छोटी रकम पर भी किसी बड़े पोर्टफोलियो की तरह डायवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है. म्यूचुअल फंड को खरीदने की तरह ही इन्हें बेचना भी आसान होता है. ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो यह शेयर बाजार से कम जोखिम में बेहतर रिटर्न हासिल करने का सबसे आसान और आजमाया हुआ तरीका हैं. लेकिन म्यूचुअल फंड (Mutual Funds Invest) में निवेश का पूरा लाभ तभी मिल सकता है.जब इनमें नियमित रूप से और लंबे समय तक निवेश किया जाए. ऐसा करने का सबसे सही तरीका है सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP. इसके जरिए निवेशक अपने चुने हुए म्यूचुअल फंड में हर महीने तय रकम निवेश करते हैं.
गिरते बाजार में SIP जारी रखना है जरूरी
इक्विटी फंड में पैसे लगाने हों तो एकमुश्त निवेश की तुलना में SIP यानी किस्तों में निवेश को हमेशा इन्वेस्टमेंट का बेहतर और स्मार्ट तरीका (Best Investment Option) माना जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें आपको एवरेजिंग का फायदा मिलता है. इससे न सिर्फ बाजार में उथल-पुथल के दौरान आर्थिक नुकसान की आशंका कम हो जाती है, बल्कि उल्टे लंबी अवधि में उसका फायदा भी मिलता है. लेकिन ऐसा तभी हो सकता है, जब आप बाजार में गिरावट के दौरान भी अपने SIP को बंद न करें.
लंबे समय में हासिल कर सकते हैं बेहतर रिटर्न
जब आप SIP में नियमित निवेश करते हैं, तो हर महीने म्यूचुअल फंड की यूनिट्स खरीद रहे होते हैं, फिर चाहे बाजार ऊपर हो या नीचे. इसका मतलब यह है कि जब बाजार गिर रहा होता है, तो आपको उतनी ही रकम में म्यूचुअल फंड की ज्यादा यूनिट्स मिल जाती हैं. इससे आपकी यूनिट्स की एवरेज कॉस्ट यानी औसत लागत घट जाती है. अगर निवेश की इस रणनीति पर लगातार अमल किया जाए, तो लंबे समय में काफी अच्छे रिटर्न हासिल हो सकते हैं.
लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट पर फोकस जरूरी
SIP के जरिए निवेश करते समय लंबी अवधि तक लगातार निवेश करने की रणनीति पर टिके रहना जरूरी है. तभी आप बेहतर रिटर्न (SIP High Return) हासिल कर सकते हैं. बाजार में गिरावट से घबराकर अपने SIP के मंथली इनवेस्टमेंट को रोकना गलत फैसला साबित हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने का मतलब है कि आप कम कीमत पर ज्यादा यूनिट खरीदने का मौका गवां रहे हैं.शॉर्ट टर्म में भले ही बाजार में गिरावट दिख रही हो, लेकिन आमतौर पर लंबी अवधि में भारतीय बाजार ने पॉजिटिव रिटर्न ही दिए हैं. इसके अलावा कंपाउंडिंग का कमाल भी लंबी अवधि तक लगातार निवेश करने पर ही देखने को मिलता है.
मार्केट को ‘टाइम' करने की कोशिश न करें
लंबे समय के लिए निवेश करने वालों को शेयर बाजार को ‘टाइम' करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यानी उन्हें इस चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए कि वे बाजार में तभी निवेश करेंगे जब वो अपने सबसे निचले स्तर पर हो और जब बाजार सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचेगा तो मुनाफा वसूली कर लेंगे. दरअसल, बाजार कब सबसे निचले स्तर पर है और कब सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचेगा, इसका पक्का अनुमान लगा पाना लगभग असंभव है. लिहाजा, अगर कोई निवेशक ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे फायदे की जगह नुकसान होने की आशंका अधिक रहती है.
SIP को लंबे समय तक लगातार जारी रखना न सिर्फ लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न देता है, बल्कि ऐसा करने पर अनुशासित ढंग से नियमित बचत करने की आदत भी पड़ती है, जो वेल्थ क्रिएशन के लिए बेहद जरूरी है. इसलिए, अगर आपने सही फंड का चुनाव किया है, तो बाजार के शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव से परेशान हुए बिना SIP को जारी रखें. इससे आपको एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का पूरा फायदा मिलेगा और बाजार को ‘टाइम' करने की कोशिश में अपनी नींद खराब किए बिना आप लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न हासिल कर पाएंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह BQ PRIME से प्रकाशित की गई है.)
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