भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ब्याज वसूलने में अनुचित तौर-तरीके अपनाने पर सोमवार को चिंता जताते हुए उन्हें सुधारात्मक कदम उठाने और अतिरिक्त शुल्क लौटाने का निर्देश दिया. आरबीआई के दायरे में आने वाली वित्तीय संस्थाओं (आरई) को उचित व्यवहार संहिता पर जारी दिशानिर्देशों में ऋण मूल्य निर्धारण नीति के संबंध में पर्याप्त स्वतंत्रता देने के साथ ऋणदाताओं द्वारा ब्याज वसूलने में निष्पक्षता और पारदर्शिता की वकालत की गई है. केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी करते हुए कहा कि इसके निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.
आरबीआई ने परिपत्र में कहा, '31 मार्च, 2023 को समाप्त अवधि के लिए विनियमित इकाइयों की भौतिक जांच के दौरान रिजर्व बैंक को ऋणदाताओं द्वारा ब्याज वसूलने में कुछ अनुचित गतिविधियों का सहारा लेने के उदाहरण मिले.'
रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों एवं अन्य कर्जदाताओं की जांच में पाया गया कि कई जगहों पर ऋण की मंजूरी की तारीख या ऋण समझौते के निष्पादन की तारीख से ब्याज वसूला जा रहा है, न कि ग्राहक को धन के वास्तविक वितरण की तारीख से.
ऐसे भी मामले सामने आए जहां चेक की तारीख से ब्याज वसूला गया जबकि ग्राहक को चेक कई दिनों बाद सौंपा गया.
आरबीआई ने कहा कि महीने के दौरान ऋण के वितरण या पुनर्भुगतान के मामले में, कुछ संस्थान बकाया अवधि के बजाय पूरे महीने का ब्याज ले रहे थे. वहीं कुछ मामलों में बैंक अग्रिम में एक या अधिक किस्तें जमा कर रहे थे लेकिन ब्याज वसूलने के लिए पूरी ऋण राशि की गणना कर रहे थे.
आरबीआई ने कहा कि अनुचित तौर-तरीके और ब्याज वसूलने की ऐसी गैर-मानक गतिविधियां ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय निष्पक्षता और पारदर्शिता की भावना के अनुरूप नहीं हैं. रिजर्व बैंक ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा, 'विनियमित इकाइयों को इस तरह लिया गया अतिरिक्त ब्याज एवं अन्य शुल्क ग्राहकों को वापस करने की सलाह दी जाती है.'
केंद्रीय बैंक ने कहा कि ऋण वितरण के लिए चेक जारी करने के बजाय बैंकों को खाते में ऑनलाइन राशि के अंतरण का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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