
Women Property Rights: संपत्ति के बंटवारे में अक्सर सिर्फ भाइयों का ही जिक्र होता है, इसमें बहनों को शामिल नहीं किया जाता है. यही वजह है कि पैतृक संपत्ति में महिलाओं के अधिकारी को लेकर हर बार बहस होती है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी फैसला सुना चुका है, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को उनका हक नहीं मिल पाता. आज हम आपको बताएंगे कि पिता की मौत के बाद बेटियों का संपत्ति पर कितना अधिकार होता है और वो कब इस पर दावा कर सकती हैं.
क्या है संपत्ति बंटवारे का कानून?
- जब भी किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसके बाद उसकी संपत्ति को कैसे बांटा जाएगा, इसे हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) में बताया गया है.
- इस कानून के तहत पहली बार सेक्शन 14 के तहत महिलाओं को संपत्ति का पूरा अधिकार दिया गया था.
- इस सेक्शन में महिला का संपत्ति पर मालिकाना अधिकार और कब्जा होना जरूरी बताया गया है.
- इसमें वसीयत और विरासत में मिली संपत्ति हो सकती है. ये संपत्ति शादी से पहले या बाद की हो सकती हैं.
- उत्तराधिकार अधिनियम में साल 2005 में संशोधन किया गया, जिसके बाद पत्नी और बेटियों को बेटों के बराबर संपत्ति का हकदार माना गया.
- किसी महिला के पिता की मौत अगर 2005 से पहले भी हुई है तो वो भी महिला को संपत्ति में अधिकार मिलेगा. शादी के बाद भी ये अधिकार बरकरार रहेगा.
वसीयत नहीं है तो क्या होगा?
अगर किसी व्यक्ति की मौत वसीयत लिखे बिना होती है तो उसकी बेटी को संपत्ति में बराबर का हक होगा. यानी महिला अपने पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती है. अब अगर महिला के नाम पर संपत्ति है और उसकी कोई संतान नहीं है तो इसमें दो तरह के नियम हैं.
- अगर महिला को पिता से संपत्ति मिली है तो उसकी मौत के बाद वापस पिता की दूसरी संतान या उत्तराधिकारी को मिलेगी.
- अगर महिला को पति से संपत्ति मिली है और उसके बच्चे नहीं हैं तो मौत के बाद संपत्ति पति के किसी भाई या फिर रिश्तेदार को मिल सकती है.
हालांकि अगर पिता अपनी संपत्ति को देने से खुद इनकार कर दे तो ऐसे में बेटी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती है. ये पिता की खुद की कमाई गई संपत्ति हो सकती है. कुल मिलाकर बेटियों का पिता की और परिवार की पैतृक संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है.
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