प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना देशभर में आम जन को सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवाई उपलब्ध करवाने हेतु शुरू की गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है. प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों की संख्या में लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले 9 वर्षों में, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों की संख्या में 100 गुना वृद्धि हुई है. 2014 में केवल 80 केंद्र थे जो की अब बढ़ कर 9300 से अधिक हो गए है. 651 जिलों से जन औषधि केंद्रों की संख्या को और बढ़ाने के निवेदन आये हैं. बिक्री में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के साथ जन औषधि नई उंचाइयों को छू रहा है.
वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, 1236 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री हुई है. इससे नागरिकों को 7416 करोड़ रुपये की बचत हुई. यह वर्ष 2021-22 में बेची गई दवाओं के मूल्य की तुलना में 38% की वृद्धि है.
मरीज़ो के आउट-ऑफ-पॉकेट एक्सपेंडिचर कम करने में महत्वपूर्ण योगदान इस योजना का रहा है. कुल मिलाकर, पिछले 9 वर्षों के दौरान नागरिकों को कुल बचत लगभग 20,000 करोड़ रुपये की हुई है. योजना का लाभ उठाने के लिए औसतन 10-12 लाख लोग प्रति दिन जन औषधि केंद्रों पर जाते हैं.
PMBJP के प्रोडक्ट बास्केट का तेजी से विस्तार
PMBJP के प्रोडक्ट बास्केट में 1800 प्रकार की दवायें और 285 मेडिकल उपकरण हैं. कुल उत्पादों की संख्या 2085 है.
गुणवत्ता प्राथमिकता
उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, सभी दवाएं WHO-GMP प्रमाणित सप्लायर्स से ही खरीदी जाती हैं.
सेवा भी, रोज़गार भी
यह योजना केंद्र मालिकों को 5 लाख रुपये का इनसेंटिव प्रदान करती है जो की मासिक बिक्री के 15% की दर से दिया जाता है, 15,000 रुपये प्रति माह की अधिकतम सीमा के साथ यह सुविधा दी जाती है.
विभिन्न श्रेणियों (Catagories) के लिए विशेष प्रावधान
कैटेगरी के अंदर आने वाले सभी लोगों को एक बार 2 लाख रुपये का प्रोत्साहन दिया जाता है. 2,200 से अधिक केंद्र महिला उद्यमियों द्वारा चलाए जा रहे हैं और उनमें से कई केंद्रों में महिला कर्मचारी हैं. पीएमबीआई ने जन औषधि केंद्रों को 176.01 करोड़ रुपये का इनसेंटिव जारी किया है.
सुविधा भी, स्वास्थ्य भी और स्वछता भी
सुविधा सैनिटरी नैपकिन जन औषधि केंद्रों के माध्यम से केवल 1 रुपये/ प्रति पैड में दिए जाते हैं. पिछले 4 वर्षों में, 36.37 करोड़ से अधिक जनऔषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे गए हैं.
जन औषधि केंद्र के मालिक कैसे बनें
PMBI आवेदकों से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करता है. हेड ऑफिस स्तर पर आवेदन का असेसमेंट और वेरिफिकेशन के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों को भेजा जाता है. दूरी वाले नियम का पालन करते हुए डॉक्युमेंट्स का असेसमेंट और वेरिफिकेशन किया जाता है. फिर हेड ऑफिस से आवेदक को प्रारंभिक स्वीकृति पत्र जारी किया जाता है. आवेदक द्वारा दवा लाइसेंस प्रोसेस किया जाता है. PMBI पॉलिसी के अनुसार डॉक्युमेंट्स को पूरा करने के बाद हेड ऑफिस से स्टोर कोड की अंतिम स्वीकृति दी जाती है.
PMBJP के तहत Profit
टैक्स के बाद और सरकार के ग्रांट के बिना वर्ष 2021-22 में 28.30 करोड़ रुपये का लाभ था और ये वर्ष 2022-23 में रुपये 80.76 करोड़ होने की संभावना है.
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