दूध, मक्खन और घी के बढ़ते दामों पर सरकार की नज़र, तैयार है एक्शन प्लान

सिंह ने कहा कि हम इम्पोर्ट को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं क्योंकि इससे किसानों को अच्छे दाम नहीं मिलते हैं. लेकिन ये बात सही है कि मक्खन और घी के दाम लगातार बढ़े हैं हम दामों पर नजर रखे हैं और अगर इम्पोर्ट की जरूरत पड़ेगी तो देखेंगे.  उत्पादन में कमी देखी जा रही है

नई दिल्ली:

दूध, मक्खन, घी और सूखे दूध के दामों में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. दूध से ज्यादा घी और मक्खन के दाम बढ़े हैं. दूध और मक्खन के दाम अभी और बढ़ेंगे और क्या  दाम नियंत्रित करने के लिए सरकार घी और मक्खन का आयात कर सकती है इस पर आज सरकार की ओर से बयान दिया गया है. 

बुधवार को पशुपालन मंत्रालय की प्रेस कान्फ्रेंस पशुओं के रोग से संबंधित नए एक्शन प्लान की जानकारी देने के लिए थी, लेकिन वहां सवाल दूध और मक्खन के बढ़ते दाम पर होने लगे. इस साल फरवरी में पांचवीं बार दूध के दाम में तीन रुपए की बढ़ोतरी हुई जिससे सालभर के भीतर दूध की कीमतों में 10 रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. पशुपालन मंत्रालय ने सफाई दी है कि पशुओं के चारे के दाम 21 फीसदी तक बढ़े हैं इसके चलते दूध के दाम बढ़े हैं.

पशुपालन मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा  कि दूध और मिल्क प्रोडक्शन के दाम इसलिए बढ़े हैं क्योंकि मांग और उत्पादन में अंतर है. कोविड के चलते दूध की डिमांड 10 फीसदी तक बढ़  गई है जबकि सप्लाई केवल एक से दो फीसदी तक ही बढ़ी है. दूसरा फॉडर यानी चारे का दाम भी बढ़ा है. फॉडर का क्रापिंग एरिया चार फीसदी पर ही टिका है.

उल्लेखनीय है कि दूध ही नहीं घी और मक्खन के दाम में करीब 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हो चुकी है. पशुओं की महामारी लंपी और कोविड के चलते घी और मक्खन का उत्पादन भी कम हुआ है. लिहाजा दाम अगर इसी तरह बढ़ें तो सरकार के पास आयात करने का विकल्प भी मौजूद है.

सिंह ने कहा कि हम इम्पोर्ट को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं क्योंकि इससे किसानों को अच्छे दाम नहीं मिलते हैं. लेकिन ये बात सही है कि मक्खन और घी के दाम लगातार बढ़े हैं हम दामों पर नजर रखे हैं और अगर इम्पोर्ट की जरूरत पड़ेगी तो देखेंगे.  उत्पादन में कमी देखी जा रही है.

बता दें कि दूध, घी और मक्खन के दाम के लिए गर्मी का ये महीना खासा अहम है. अगर दक्षिण के राज्यों में दूध का उत्पादन नहीं बढ़ा तो दूध, घी,मक्खन और सूखे से दूध लोगों को महंगा पड़ सकता है.

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दरअसल दूध के उत्पादन में हम दुनिया में नंबर एक पर हैं लेकिन आबादी के लिहाज से हमारी डिमांड आठ से दस फीसदी बढ़ रही है जबकि दूध की सप्लाई एक से दो फीसदी बढ़ी है ऊपर से चारे के दाम ने पशुपालकों और आम लोगों दोनों को परेशान किया है़ .