
हर महीने कहीं न कहीं छंटनी की खबरें आ रही हैं. कभी किसी स्टार्टअप से, तो कभी किसी बड़ी IT कंपनी से भारी संख्या में कर्मचारियों को हटाने की खबरें सुनने के मिल जाती हैं. ऐसे माहौल में कई लोगों के मन में नौकरी जाने का डर बैठ गया है. यही वजह है कि जॉब लॉस इंश्योरेंस एक बार फिर चर्चा में है. नौकरी छूटने की स्थिति में ये इंश्योरेंस लोगों को एक फाइनेंशियल सेफ्टी नेट देने का काम करता है. आज हम आपको जॉब लॉस इंश्योरेंस के बारे में हर जरूरी जानकारी देने रहे हैं ताकि आपके साथ अगर ऐसी परिस्थिति आती है तो ये आपके काम आ सके. तो चलिए जानते हैं..
क्या होता है जॉब लॉस इंश्योरेंस?
यह एक ऐसा इंश्योरेंस है जो आपकी नौकरी छूटने की स्थिति में कुछ महीनों तक आर्थिक मदद करता है. अगर अचानक जॉब चली जाती है, तो इस पॉलिसी की मदद से आप किराया, EMI, बिल या मेडिकल जैसे जरूरी खर्च मैनेज कर सकते हैं. कई कंपनियां ये इंश्योरेंस पॉलिसी कवर ऑफर कर रही हैं.
किसके लिए है ये इंश्योरेंस कवर?
इस बीमा का फायदा सिर्फ फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले सैलरीड लोगों को मिलता है. यानी अगर आप किसी रजिस्टर्ड कंपनी, चाहे वो MNC हो या स्टार्टअप, में रेगुलर जॉब कर रहे हैं, तो आप इसके लिए एलिजिबल हैं.
कैसे करता है काम?
जॉब लॉस इंश्योरेंस में आपको हर महीने एक फिक्स अमाउंट मिलता है, वो भी लिमिटेड टाइम तक. कुछ पॉलिसी में ये रकम हर महीने 10,000 तक होती है, जबकि कुछ में ये अमाउंट हर महीने बढ़ता भी है. उदाहरण के लिए, पहले महीने 5,000, दूसरे में 10,000 और तीसरे में 15,000 तक.
इसमें सैलरी का करीब 70% तक मिलने का ऑप्शन भी रहता है, लेकिन पेमेंट तभी शुरू होता है जब आप कुछ दिनों से बेरोजगार हों. हर पॉलिसी का वेटिंग पीरियड और कवर लिमिट अलग होता है.
कितना देना होता है प्रीमियम?
प्रीमियम आपकी सैलरी, प्रोफाइल और इंश्योरेंस की टर्म पर डिपेंड करता है. अगर ये पॉलिसी किसी ग्रुप कवर या बैंक के लिंक से ली जाए तो थोड़ा सस्ता पड़ सकता है.
कब मिलता है फायदा?
इस इंश्योरेंस का फायदा तब मिलता है जब आपकी नौकरी अचानक चली जाए यानी आपने खुद इस्तीफा न दिया हो. अगर आपकी कंपनी ने कॉस्ट कटिंग की हो, छंटनी की हो या किसी सरकारी ऑर्डर की वजह से कंपनी बंद हुई हो, तो ऐसे केस में ये बीमा एक्टिवेट हो सकता है.
आजकल तो AI टेक्नोलॉजी की वजह से भी जॉब जाने के केस सामने आ रहे हैं, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि वो भी इस कवर के दायरे में आ सकते हैं.
कब नहीं मिलेगा फायदा?
अगर आपने खुद नौकरी छोड़ी हो, प्रोबेशन पीरियड में थे, खुद से अर्ली रिटायरमेंट लिया हो, पहले से कोई सीरियस बीमारी रही हो या परफॉर्मेंस की वजह से निकाले गए हों, तो बीमा क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. कई कंपनियां छंटनी के बाद कुछ महीने की सैलरी देकर कर्मचारियों से 'स्वैच्छिक इस्तीफा' लेने को कहती हैं, जिससे टेक्निकली यह माना जाता है कि आपने खुद जॉब छोड़ी है. ऐसे केस में बीमा क्लेम मिलना मुश्किल हो सकता है जब तक आप साबित न कर पाएं कि आपको निकाला गया.
अगर आप इस बीमा को नहीं लेना चाहते तो कम से कम 6 महीने का इमर्जेंसी फंड जरूर बनाकर रखें. इसके अलावा लोन EMI से जुड़ा बीमा भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, जिसमें नौकरी जाने की स्थिति में आपकी EMI बीमा कंपनी भरती है. जॉब लॉस इंश्योरेंस नया कॉन्सेप्ट नहीं है, लेकिन मौजूदा हालात में ये पहले से कहीं ज्यादा प्रैक्टिकल और जरूरी हो गया है. खासकर उन लोगों के लिए जो सेक्टर या कंपनी में काम कर रहे हैं जहां छंटनी की अनिश्चितता बनी रहती है.
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