
फ्रीलांसिंग की दुनिया आज तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ टैक्स, TDS और GST जैसे नियमों की समझ होना भी उतना ही जरूरी है. भारत में फ्रीलांसर्स को खुद अपना टैक्स भरना होता है जबकि नौकरीपेशा लोगों का टैक्स उनकी कंपनी सैलरी में से काट कर भरती है, अगर एम्प्लॉई की सालाना टैक्स लायबिलिटी ₹10,000 से ज्यादा हो.
ज्यादातर नए फ्रीलांसर काम पर ध्यान देते हैं, लेकिन टैक्स नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि फ्रीलांसर्स को भी अपनी आमदनी और खर्चों का सही रिकॉर्ड रखना होता है ताकि वे सही ITR (Income Tax Return) भर सकें.
टैक्स से जुड़े नियम हर फ्रीलांसर के लिए जानना जरूरी
अगर आपने भी फ्रीलांसर के तौर पर काम करना शुरू किया है, तो टैक्स नियमों का पालन जरूर करें, वरना सही ITR फाइल न करने पर आपको ब्याज, जुर्माना या टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए आज हम आपको टैक्स से जुड़े नियमों के बारे में बताएंगे जो हर फ्रीलांसर के लिए जानना जरूरी हैं.
TDS क्या है और इसका आपकी इनकम पर क्या असर पड़ता है?
TDS का मतलब होता है- सोर्स पर टैक्स कटौती (Tax Deducted at Source). यह एक तरीका है जिससे सरकार आपकी इनकम पर टैक्स पहले ही काट लेती है, ताकि बाद में टैक्स चोरी न हो. आमतौर पर क्लाइंट आपकी पेमेंट से पहले ही 10% TDS (Tax Deducted at Source) काट लेता है और वह सरकार को आपके PAN नंबर (Permanent Account Number) के तहत जमा कर देता है. आपको अपने क्लाइंट्स से Form 16A लेना चाहिए और उसे Form 26AS से मैच करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कटे हुए टैक्स की जानकारी सही है. इससे आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय काटे गए टैक्स को क्लेम कर सकते हैं और दोबारा टैक्स देने से बच सकते हैं.
क्या सभी फ्रीलांसर्स को GST के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है?
अगर आपकी सालाना इनकम 20 लाख रुपये (या कुछ राज्यों में 10 लाख रुपये) से ज्यादा है, तो आपको GST के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको भारत में अपने कस्टमर्स के इनवॉइस पर 18% GST देना होगा. अगर आपकी सर्विस विदेशों में दी जा रही है, तो वह एक्सपोर्ट मानी जाती है और उस पर GST नहीं लगता, लेकिन फिर भी GST रजिस्ट्रेशन और समय-समय पर रिटर्न फाइल करना जरूरी हो सकता है. नियमों का पालन करने से जहां जुर्मानों से बचा जा सकता है वहीं आपका काम भी बिना रुकावट के चलता रहता है.
टैक्स फाइलिंग कैसे करें?
फ्रीलांसर्स को आमतौर पर ITR-3 या ITR-4 फॉर्म से टैक्स फाइल करना होता है. अगर आप सेक्शन 44ADA के तहत प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन (Presumptive taxation) अपनाते हैं, तो अपनी कुल आमदनी के 50% पर टैक्स का पेमेंट कर सकते हैं. यह तरीका आसान है और इसमें ज्यादा हिसाब भी नहीं लगाना पड़ता है. आपको अपने ऑफिस रेंट, इंटरनेट बिल, सॉफ्टवेयर सब्सक्रिप्शन जैसे प्रोफेशनल खर्चों की रसीदें भी संभाल कर रखनी चाहिए. ये आपकी टैक्सेबल इनकम को कम करने में मदद करती हैं.
अगर टैक्स नियमों का पालन नहीं किया तो क्या होगा?
अगर आप टैक्स या GST के नियमों का पालन नहीं करते, तो आपको जुर्माना, ब्याज और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. अगर आप समय पर एडवांस टैक्स (Advance Tax) नहीं भरते या ITR फाइल नहीं करते, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आ सकता है. जरूरत होने पर भी GST रजिस्ट्रेशन न करवाने पर आपको भारी पेनल्टी देनी पड़ सकती है. इसलिए नियमों का पालन करें, इससे आपकी फाइनेंशियल रिप्यूटेशन तो अच्छी बनती ही है साथ ही भविष्य में क्रेडिट कार्ड, लोन या सरकारी टेंडर मिलने में भी मदद मिल सकती है.
फ्रीलांसिंग में सफल होने के लिए टैक्स नियम समझना जरूरी
शुरुआत में भले ही टैक्स, TDS और GST जैसे नियम आपको थोड़े मुश्किल लग सकते हैं, लेकिन नियमों का पालन करने से आप लंबे समय तक सफल और सुरक्षित फ्रीलांस करियर बना सकते हैं. इससे आप पेनल्टी भरने और कानूनी मुसीबतों से तो बचेंगे ही, साथ ही यह आपको एक भरोसेमंद प्रोफेशनल के रूप में पहचान दिलाता है, जिससे आपको अपना बिजनेस बढ़ाने, लोन लेने या अपने प्रोफेशन को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं