क्या होम लोन लेने जा रहे हैं...? ध्यान रखें इन 5 बातों का...

अगर आप होम लोन लेकर घर खरीदने का रास्ता तलाश रहे हैं, तो कुछ बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखना आपके लिए ज़रूरी है...

क्या होम लोन लेने जा रहे हैं...? ध्यान रखें इन 5 बातों का...

होम लोन के लिए अर्ज़ी देते वक्त ध्यान रखें कुछ खास बातों का...

नई दिल्ली:

ज़िन्दगीभर का सपना, यानी नया घर खरीदने के लिए हमेशा बड़ी रकम की ज़रूरत पड़ती है, और अधिकतर खरीदारों को इसके लिए वित्तीय मदद की ज़रूरत भी होती है. इस बड़े ख्वाब को पूरा करने के लिए समूची ज़रूरी रकम जोड़ पाने से पहले ही मकानमालिक बनने का सपना पूरा करने में होम लोन आपकी मदद कर सकता है, और फायदेमंद यह है कि होम लोन से आपको टैक्स में भी बचत करने का मौका मिलता है.

सो, अगर आप होम लोन लेकर घर खरीदने का रास्ता तलाश रहे हैं, तो कुछ बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखना आपके लिए ज़रूरी है...

CIBIL स्कोर अच्छा हो
एक अच्छा CIBIL स्कोर, जो आदर्श स्थिति में 750 से ज़्यादा होना चाहिए, उधार लेने वाले को लोन मिलने का रास्ता आसान करता है. CIBIL स्कोर की बदौलत कर्ज़े की अवधि को भी मनमाफिक रखने में मदद मिलती है, और इसका असर ब्याज़ दर पर भी पड़ता है.

सो, अगर आप होम लोन लेने का विचार बना रहे हैं, तो सुझाव है कि आप पहले से चल रहे सभी लोन चुकता कर दें, और अपना CIBIL स्कोर बेहतर करने के लिए अनुशासित वित्तीय लेनदेन करें.

सभी दस्तावेज़ मौजूद हों
होम लोन के लिए अर्ज़ी देते वक्त उधार मांगने वाले को कुछ काग़ज़ात जमा करने ही होते हैं, जिनमें आय का सबूत, बैंक के स्टेटमेंट और प्रॉपर्टी के काग़ज़ात शामिल हैं. इन्हीं दस्तावेज़ी सबूतों के आधार पर उधार देने वाला अर्ज़ी को सिद्धांततः मंज़ूरी दिया करता है. लोन को अंतिम मंज़ूरी प्रॉपर्टी का पॉज़िटिव वेरिफिकेशन होने पर ही मिलती है.

EMI प्रबंधन
बाज़ार में अस्थिरता, बीमारी या किसी भी अन्य वजह से आय में अचानक कमी आने की स्थिति में उधार लेने वाले की पुनर्भुगतान क्षमता पर असर पड़ सकता है. सो, अहम है कि ऋण लेते वक्त ही उसे चुकाने के लिए 'प्लान बी' तैयार रखा जाए.

पुनर्भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए सुझाया जाता है कि कुछ रकम, जो कम से कम 6 माह की EMI जितनी रकम होनी चाहिए, जमा करके रख ली जाए. यह रकम आपको मदद करेगी, अगर कोई एमरजेंसी आ जाती है, और आप बिना किसी से नया उधार लिए अपना कर्ज़ चुकाते रह सकेंगे.

डाउन पेमेंट
आमतौर पर बैंक प्रॉपर्टी की कुल कीमत का एक हिस्सा ही लोन के रूप में दिया करते हैं. आमतौर पर बैंक या ऋण देने वाले वित्तीय संस्थान उधार लेने वाले की योग्यता और अन्य फैक्टरों को निगाह में रखकर प्रॉपर्टी की कीमत का 75 से 90 फीसदी हिस्सा ही लोन के रूप में मंज़ूर करते हैं. शेष रकम को ऋण लेने वाले को ही डाउन पेमेंट के तौर पर खरीद के वक्त चुकाना होता है.

अच्छी-खासी रकम को डाउन पेमेंट के तर पर चुकाकर आप अपनी मासिक EMI या कर्ज़े की अवधि को घटा सकते हैं.

ऋण से जुड़े नियम और शर्तें
होम लोन को अंतिम रूप देने से पहले ही बेहद ज़रूरी है कि अपने लोन से जुड़ी सभी शर्तों और नियमों से अच्छी तरह परिचित हो जाएं.

हो सकता है, EMI की रकम ज़्यादा बड़ी न दिखने की वजह से आपको लोन बढ़िया लगने लगे, लेकिन संभव है कि उधार देने वाले ने कुछ ढके-छिपे शुल्क थोप दिए हों या प्रोसेसिंग फीस के तौर पर मोटी रकम वसूल कर रहा हो. सो, उधार लेने वालों को बाज़ार में उपलब्ध सभी विकल्पों को परखना चाहिए, ताकि सबसे अच्छा विकल्प चुन सकें.

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