
केंद्र सरकार ने मेट्रो शहरों और मिलियन-प्लस यानी 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में जन औषधि केंद्र खोलने से संबंधित न्यूनतम दूरी की शर्त को समाप्त कर दिया है. यानी अब बड़े-शहरों में हर गली-मुहल्ले में बीते 10 सितंबर से ही ये फैसला प्रभावी हो गया है. इसका उद्देश्य सस्ती जेनेरिक दवाइयों की पहुंच को बढ़ाना और प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (PMBJP) के तहत 31 मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र स्थापित करना है.
अब दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और अहमदाबाद जैसे सात महानगरों में नए जन औषधि केंद्र एक-दूसरे के करीब खुल सकेंगे. 46 अन्य बड़े शहरों में भी दूरी की शर्त हटाई गई है. इससे दवाइयों की उपलब्धता आसान होगी और उद्यमियों को भी नया अवसर मिलेगा.
कितनी महत्वपूर्ण है ये योजना?
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का मकसद है-सस्ती जेनेरिक दवाएं आम जनता तक पहुंचाना. बाजार में जो दवाइयां 100-200 रुपये में मिलती हैं, वे जन औषधि केंद्र पर 20-50 रुपये में उपलब्ध होती हैं. सरकार का दावा है कि यहां मिलने वाली दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 50% से 90% तक सस्ती होती हैं.
इस बदलाव से खासकर शहरी इलाकों में ड्रग डेजर्ट की समस्या खत्म होगी, स्वास्थ्य खर्च घटेगा और नए केंद्र खुलने से रोजगार भी बढ़ेगा. वर्तमान में देशभर में करीब 17,000 जन औषधि केंद्र चल रहे हैं, जहां 2,047 प्रकार की दवाइयां और 300 सर्जिकल आइटम्स मिलते हैं.
आम लोगों की भी खूब बचत
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसा, स्टोर संचालक इबरार अहमद बताते हैं कि पहले लोग महंगी दवा देखकर मायूस हो जाते थे, अब सस्ती दवा मिलने से संतुष्ट होकर जाते हैं. छपरा जिले के इसुआपुर में ग्राहक हरेंद्र सिंह कहते हैं- पहले 500 रुपये की दवा लगती थी, अब वही महज 80 रुपये में मिल जाती है. इसी तरह, मरीज दीदार वारिस का कहना है- बाजार में 200 रुपये की दवा, जन औषधि केंद्र पर 50 रुपये में मिल जाती है. जन औषधि केंद्र आम जनता को सस्ता इलाज देने के साथ-साथ रोजगार और उद्यमिता का बड़ा अवसर भी दे रहे हैं.
जन औषधि केंद्र खोलने की शर्तें
1. योग्यता- फार्मासिस्ट के लिए D Pharma या B Pharma का प्रमाणपत्र होना चाहिए.
2. जगह- कम से कम 120 वर्ग फुट जगह जरूरी.
3. कैटेगरी-
- डॉक्टर, फार्मासिस्ट और रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर
- ट्रस्ट, एनजीओ और प्राइवेट हॉस्पिटल
- राज्य सरकार द्वारा नामित व्यक्ति/संस्था
4. आवेदन शुल्क – 5,000 रुपये
सरकार की ओर से मिलने वाली मदद
- हर महीने 5 लाख रुपये तक की बिक्री पर 15% इंसेंटिव या अधिकतम 15,000 रुपये तक की सहायता.
- खास कैटेगरी को 2 लाख रुपये की एकमुश्त मदद.
- फर्नीचर के लिए 1.5 लाख रुपये और कंप्यूटर-प्रिंटर के लिए 50,000 रुपये.
- दवाइयों की बिक्री पर 20% तक कमीशन.
आवेदन की प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
1. सबसे पहले janaushadhi.gov.in पर जाएं.
2. होमपेज पर ‘Apply for Kendra' ऑप्शन पर क्लिक करें.
3. नया पेज खुलेगा. अगर रजिस्ट्रेशन है तो लॉगिन करें, वरना Register Now पर क्लिक करें.
4. नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पासवर्ड डालकर नया अकाउंट बनाएं.
5. रजिस्ट्रेशन पूरा होने पर ईमेल पर यूजर आईडी और पासवर्ड आएगा.
6. लॉगिन करने के बाद एप्लिकेशन फॉर्म भरें.
- स्टेप 1: Application Form
- स्टेप 2: Download Letter of Principal Approval
- स्टेप 3: Drug License Submission
- स्टेप 4: Store Code Generation
7. बेसिक डिटेल्स और प्रस्तावित केंद्र का पता भरें. जरूरी डॉक्यूमेंट्स (PDF, 5MB से छोटे) अपलोड करें.
8. लोकेशन मैप पर ड्रैग-ड्रॉप करके दुकान का पता टैग करें.
9. 5,000 रुपये का आवेदन शुल्क ऑनलाइन पेमेंट गेटवे से जमा करें.
10. आवेदन सबमिट होते ही ईमेल पर पुष्टि आ जाएगी.
किसी भी समय पोर्टल पर लॉगिन करके Application Status देखा जा सकता है या हेल्पलाइन 1800 180 8080 पर संपर्क किया जा सकता है.
कितनी होती है कमाई?
जन औषधि केंद्र चलाने वालों को शुरुआती सेटअप के लिए सरकार से फर्नीचर और कंप्यूटर खरीदने की मदद मिलती है. दवाइयों की सेल पर कमीशन और सरकारी इंसेंटिव दोनों मिलते हैं. उदाहरण के लिए अगर महीने में 5 लाख रुपये की दवाइयां बिकती हैं तो 15,000 रुपये तक का इंसेंटिव. दवाइयों पर औसतन 20% कमीशन मिलता है. यानी कि ये व्यवसाय न केवल सेवा जैसा है बल्कि एक फायदे का बिजनेस मॉडल भी है.
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