
आज के दौर में प्रीपेड गिफ्ट वाउचर और कार्ड (Pre-paid gift vouchers and cards) का चलन काफी बढ़ गया है. कंपनियां टारगेट को पूरा करने के लिए चैनल पार्टनर, कस्टमर और एम्प्लॉई को रिवॉर्ड देने के लिए इंसेंटिव के तौर पर गिफ्ट वाउचर और प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल कर रही हैं. इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सेक्टर में भी कस्टमर इंगेजमेंट और बिक्री बढ़ाने के लिए वाउचर का काफी इस्तेमाल किया जाता है.
हालांकि, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) व्यवस्था के तहत वाउचर की टैक्स लायबिलिटी को समझना जरूरी है. इसे लेकर अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग मत थे लेकिन CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs) के सर्कुलर के बाद इसे समझना अब आसान हो गया है. आज हम इसी के बारे में आपको बताएंगे.
GST के तहत वाउचर की परिभाषा क्या है?
GST कानून के तहत, वाउचर को एक ऐसे इंस्ट्रूमेंट के तौर पर डिजाइन किया गया है जो विक्रेता पर वस्तुओं या सेवाओं की सप्लाई के लिए इसे स्वीकार करने का दायित्व बनाता है. प्रीपेड वाउचर (Prepaid Voucher), जैसे कि गिफ्ट कार्ड और डिजिटल वॉलेट, को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के तौर पर मान्यता दी है.
आपको बता दें कि GST के तहत वाउचर की टैक्सेबिलिटी पर पहले कई विरोधाभासी फैसले देखने को मिल चुके हैं:
- प्रीमियर सेल प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड (कर्नाटक हाई कोर्ट): हाई कोर्ट ने माना कि वाउचर, प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) होने के कारण, न तो गुड्स की कैटेगरी में आते हैं और न ही सर्विसेज की और इसलिए, GST के दायरे से बाहर हैं.
- मिंत्रा डिजाइन्स (पी.) लिमिटेड (कर्नाटक AUTHORITY FOR ADVANCE RULING - AAAR): इस फैसले ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के नजरिए का पालन किया, जिसमें कहा गया था कि वाउचर न तो सामान हैं और न ही सेवाएं. इसलिए, वाउचर पर कोई GST नहीं लगेगी.
- कल्याण ज्वैलर्स इंडिया लिमिटेड (उच्च न्यायालय के फैसले के बाद तमिलनाडु AAAR ): इसके विपरीत, तमिलनाडु AAAR ने माना कि वाउचर अंतर्निहित वस्तुओं या सेवाओं (Goods or services) के लिए एडवांस पेमेंट के तौर पर देखे जाते हैं और अंतर्निहित आपूर्ति (underlying supply) पर लागू दर के हिसाब से इनपर टैक्स लगाया जाना चाहिए.
वाउचर की टैक्सेबिलिटी पर CBIC का बयान
वाउचर पर GST को लेकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 31 दिसंबर, 2024 को एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर से लंबे समय से गिफ्ट कार्ड्स और वाउचर्स पर टैक्सेशन को लेकर जो कन्फ्यूजन था उससे निजात मिली. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कहा है कि वाउचर को दो तरह की कैटेगरी में रखा गया है.
1. प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (Pre-paid Instruments) : अगर वाउचर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट के तौर पर मान्यता देता है, तो वे 'पैसे' की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं, जिसे गुड्स और सर्विसेज के दायरे से बाहर रखा गया है. इसलिए, ऐसे वाउचर पर GST नहीं लगेगा.
2. एक्शनेबल क्लेम (Actionable Claims): अगर वाउचर को RBI प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के तौर पर मान्यता नहीं देता, तो उन्हें एक्शनेबल क्लेम (Actionable Claims) के तौर पर माना जा सकता है. चूंकि नियमों के मुताबिक, एक्शनेबल क्लेम पर भी GST लागू नहीं होता, इसलिए इन पर भी लागू नहीं होगा.
"किसी भी तरह के वाउचर से जुड़े लेन-देन को GST कैटेगरी में नहीं माना जाएगा"
CBIC ने अलग-अलग वाउचर डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल के लिए फ्रेम वर्क तैयार किया: CBIC ने कहा है कि वाउचर किसी भी तरह का हो उससे जुड़े लेन-देन को GST कैटेगरी में नहीं माना जाएगा. हालांकि, इन वाउचर का इस्तेमाल करके लिए गए सामान या सेवाएं GST के अधीन हो सकती हैं. CBIC ने वाउचर डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दो प्राइमरी मॉडल की रूपरेखा तैयार की है.
1. प्रिंसिपल-टू-प्रिंसिपल मॉडल (Principal-to-Principal Model): डिस्ट्रीब्यूटर और सब-डिस्ट्रीब्यूटर के बीच लेनदेन GST के अधीन नहीं आता है, क्योंकि वाउचर न तो सामान हैं और न ही सेवाएं.
2. कमीशन/एजेंसी मॉडल (Commission/Agency Model): जारीकर्ताओं की ओर से वाउचर डिस्ट्रीब्यूशन की सुविधा प्रदान करने वाले एजेंट अर्जित कमीशन या शुल्क पर GST के अधीन आते हैं. इन एजेंटों द्वारा कमीशन या शुल्क के बदले प्रदान की जाने वाली सुविधा सेवा को सेवाओं की आपूर्ति के तौर पर देखा जाता है. इसलिए इससे कमाए कमीशन या शुल्क पर GST लागू होगा.
अनरिडीम्ड वाउचर (Unredeemed Vouchers)
CBIC ने साफ किया है कि अनरिडीम्ड वाउचर, जिन्हें अक्सर ब्रेकेज (Breakage) कहा जाता है, सामान या सेवाओं की आपूर्ति नहीं हैं. इसलिए, अनरिडीम्ड वाउचर (Unredeemed Vouchers) से जुड़ी राशि GST के तहत टैक्सेबल नहीं है. CBIC के इस स्पष्टीकरण से वाउचर इश्यू करने वाली कंपनियों को काफी राहत मिली है, क्योंकि उन्हें पहले अनरिडीम्ड वाउचर पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता था.
एडिशनल सर्विसेज पर GST
अतिरिक्त सेवाओं (Additional Services) के लिए GST के संबंध में, CBIC ने कहा कि यदि डिस्ट्रीब्यूटर या सर्विस प्रोवाइडर वाउचर जारीकर्ताओं को एडवरटाइजिंग, को-ब्रांडिंग या मार्केटिंग जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं, तो वे सेवा शुल्क (Service Charge) ले सकते हैं. यह शुल्क GST के अधीन है, जिसका मतलब है कि लागू दरों के मुताबिक इस पर टैक्स देना होगा.
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