Pil Dismissed Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान मंडपम और एकता मॉल परियोजनाओं पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज की
- Wednesday October 15, 2025
- Reported by: आशीष भार्गव
राजस्थान राज्य सरकार और रीको (RIICO) ने इस आवेदन का विरोध करते हुए अदालत को अवगत कराया कि संबंधित भूमि वर्ष 1979 में औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की गई थी, जिसकी वैधता की पुष्टि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने की है, और यह भूमि 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में स्पष्ट रूप से औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अंकित है.
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ndtv.in
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यौन उत्पीड़न के मामले में महिला आयोग को आदेश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
- Monday November 19, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
याचिका में कहा गया था कि #metoo के जितने भी मामले आए हैं, उनमें CrpC की धारा 154 के तहत संज्ञान लेकर FIR दर्ज की जाए और मामले की जांच कर दोषी को सजा दी जाए . इसके साथ ही कहा गया था कि ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ रेप या छेडछाड़ जैसी धाराएं लगाई जाएं. सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि यौन उत्पीडन के मामलों के ट्रायल के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें. इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला अधिकार आयोग ऐसी पीडिताओं को वित्तीय, कानूनी सहायता और सुरक्षा के साथ-साथ उनकी पहचान को छिपाने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी.
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राजस्थान राज्य सरकार और रीको (RIICO) ने इस आवेदन का विरोध करते हुए अदालत को अवगत कराया कि संबंधित भूमि वर्ष 1979 में औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की गई थी, जिसकी वैधता की पुष्टि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने की है, और यह भूमि 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में स्पष्ट रूप से औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अंकित है.
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यौन उत्पीड़न के मामले में महिला आयोग को आदेश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
- Monday November 19, 2018
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याचिका में कहा गया था कि #metoo के जितने भी मामले आए हैं, उनमें CrpC की धारा 154 के तहत संज्ञान लेकर FIR दर्ज की जाए और मामले की जांच कर दोषी को सजा दी जाए . इसके साथ ही कहा गया था कि ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ रेप या छेडछाड़ जैसी धाराएं लगाई जाएं. सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि यौन उत्पीडन के मामलों के ट्रायल के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें. इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला अधिकार आयोग ऐसी पीडिताओं को वित्तीय, कानूनी सहायता और सुरक्षा के साथ-साथ उनकी पहचान को छिपाने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी.
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