No Religion Certificate
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मद्रास हाई कोर्ट ने छात्र को ‘नो कास्ट, नो रिलीजन’ प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया
- Tuesday August 16, 2022
- Reported by: भाषा
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने मंगलवार को संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अम्बात्तुर स्थित एक स्कूल में दाखिले के लिये एक छात्र को ‘कोई जाति नहीं, कोई धर्म नहीं (नो कास्ट, नो रिलीजन)’ प्रमाणपत्र जारी करें.
- ndtv.in
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तमिलनाडु के दंपति ने नन्ही बेटी को स्कूल भेजने के लिए लिया ‘जाति नहीं, धर्म नहीं’ सर्टिफिकेट
- Monday May 30, 2022
- Reported by: भाषा
दंपति-नरेश कार्तिक और गायत्री अपनी बेटी विल्मा को स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते थे, लेकिन सभी स्कूलों ने जाति और धर्म प्रमाण पत्र जमा करने पर जोर दिया. लेकिन, दंपति ने कहा कि वे प्रमाण पत्र प्राप्त करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बेटी स्कूलों में प्यार और समानता सीखना चाहती है.
- ndtv.in
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स्नेहा बनीं भारत की पहली ऐसी महिला जिनकी 'ना कोई जाति ना कोई धर्म', 9 साल में जीती जंग
- Friday February 15, 2019
- Written by: रेणु चौहान
पेशे से वकील स्नेहा भारत की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिनकी अब ना कोई जाति है और ना ही धर्म. स्नेहा ने खुद ये 'No Caste, No Religion' सर्टिफिकेट बनवाया है, जिसके लिए उन्हें 9 साल का समय लगा. हाल ही में 5 फरवरी को स्नेहा को उनका 'नो कास्ट, नो रिलिजन' प्रमाणपत्र मिला.
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मद्रास हाई कोर्ट ने छात्र को ‘नो कास्ट, नो रिलीजन’ प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया
- Tuesday August 16, 2022
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मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने मंगलवार को संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अम्बात्तुर स्थित एक स्कूल में दाखिले के लिये एक छात्र को ‘कोई जाति नहीं, कोई धर्म नहीं (नो कास्ट, नो रिलीजन)’ प्रमाणपत्र जारी करें.
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तमिलनाडु के दंपति ने नन्ही बेटी को स्कूल भेजने के लिए लिया ‘जाति नहीं, धर्म नहीं’ सर्टिफिकेट
- Monday May 30, 2022
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दंपति-नरेश कार्तिक और गायत्री अपनी बेटी विल्मा को स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते थे, लेकिन सभी स्कूलों ने जाति और धर्म प्रमाण पत्र जमा करने पर जोर दिया. लेकिन, दंपति ने कहा कि वे प्रमाण पत्र प्राप्त करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बेटी स्कूलों में प्यार और समानता सीखना चाहती है.
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- Friday February 15, 2019
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पेशे से वकील स्नेहा भारत की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिनकी अब ना कोई जाति है और ना ही धर्म. स्नेहा ने खुद ये 'No Caste, No Religion' सर्टिफिकेट बनवाया है, जिसके लिए उन्हें 9 साल का समय लगा. हाल ही में 5 फरवरी को स्नेहा को उनका 'नो कास्ट, नो रिलिजन' प्रमाणपत्र मिला.
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