Mughal Rule
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21 अप्रैल का इतिहास: पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर की जीत से भारत में मुगल शासन की पड़ी थी नींव
- Tuesday April 21, 2020
- Reported by: भाषा
21 अप्रैल का दिन देश के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया. 1526 में वह 21 अप्रैल का ही दिन था, जब काबुल के शासक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर और दिल्ली की सल्तनत के सम्राट इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई. इस लड़ाई में बाबर ने जहां तोपों का इस्तेमाल किया वहीं लोदी ने हाथियों की परंपरागत ताकत के दम पर जंग लड़ी, लेकिन बाबर की सेना संख्या में कम होने के बावजूद लोदी की सेना पर भारी पड़ी. इस लड़ाई में लोदी मारा गया और भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी.
- ndtv.in
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क्या शाहीन बाग से मुगल राज आ जाएगा?
- Friday February 7, 2020
- रवीश कुमार
शाहीन बाग का धरना शांतिपूर्ण ही रहा, कोई हिंसा नहीं हुई फिर भी इस धरने को लेकर सरकार के मंत्री से लेकर बीजेपी के सांसदों ने क्या-क्या नहीं कहा. इस धरने को लेकर खतरे की ऐसी-ऐसी कल्पना पेश की गई जैसे लगा कि भारत में कोई शासन व्यवस्था ही नहीं है. किसी मोहल्ले की भीड़ आकर दिल्ली पर मुगल राज कायम कर देगी. मुगलों का राज मोहल्ले से नहीं निकला था. इतिहास का इस तरह से देखा जाना आबादी के उस हिस्से को बीमार करने लगेगा जिन्हें यह समझाया जा रहा है कि एक मोहल्ले में धरने पर बैठे लोग हिन्दुस्तान जैसे विशाल मुल्क पर मुगल राज कायम कर देंगे. इस शाहीन बाग को बदनाम करने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ.
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21 अप्रैल का इतिहास: पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर की जीत से भारत में मुगल शासन की पड़ी थी नींव
- Tuesday April 21, 2020
- Reported by: भाषा
21 अप्रैल का दिन देश के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया. 1526 में वह 21 अप्रैल का ही दिन था, जब काबुल के शासक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर और दिल्ली की सल्तनत के सम्राट इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई. इस लड़ाई में बाबर ने जहां तोपों का इस्तेमाल किया वहीं लोदी ने हाथियों की परंपरागत ताकत के दम पर जंग लड़ी, लेकिन बाबर की सेना संख्या में कम होने के बावजूद लोदी की सेना पर भारी पड़ी. इस लड़ाई में लोदी मारा गया और भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी.
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- Friday February 7, 2020
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शाहीन बाग का धरना शांतिपूर्ण ही रहा, कोई हिंसा नहीं हुई फिर भी इस धरने को लेकर सरकार के मंत्री से लेकर बीजेपी के सांसदों ने क्या-क्या नहीं कहा. इस धरने को लेकर खतरे की ऐसी-ऐसी कल्पना पेश की गई जैसे लगा कि भारत में कोई शासन व्यवस्था ही नहीं है. किसी मोहल्ले की भीड़ आकर दिल्ली पर मुगल राज कायम कर देगी. मुगलों का राज मोहल्ले से नहीं निकला था. इतिहास का इस तरह से देखा जाना आबादी के उस हिस्से को बीमार करने लगेगा जिन्हें यह समझाया जा रहा है कि एक मोहल्ले में धरने पर बैठे लोग हिन्दुस्तान जैसे विशाल मुल्क पर मुगल राज कायम कर देंगे. इस शाहीन बाग को बदनाम करने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ.
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