'इलाहाबाद की संधि' क्या थी? जिसके बाद अग्रेंज़ों ने भारत पर किया राज

Story created by Renu Chouhan

12/08/2024

12 अगस्त 1765, ये वो तारीख है जब मुगलों ने भारत के अहम राज्य अंग्रेजों को सौंप दिए और इसे नाम दिया गया 'इलाहाबाद की संधि'.

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इलाहाबाद की एक नहीं बल्कि 2 संधियां हुईं. लेकिन 12 अगस्त को हुई ये पहली संधि थी, जो रॉबर्ट क्लाइव और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच हई.


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इस संधि में ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिल गई.



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दीवानी से मतलब राजस्व या वित्त व्यवस्था संभालने से है. दरअसल, मुगलकाल में प्रशासनिक तौर पर दो अधिकारी होते थे.

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पहला दीवान और दूसरा सूबेदार या गवर्नर. दीवान पैसों के मामले संभालता था और गवर्नर सेना, पुलिस आदि यानी न्याय व्यवस्था संभालता था.

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ये दोनों ही अधिकारी मिलकर काम करते थे और मुगल केंद्रीय प्रशासन के प्रति उत्तरदायी होते थे.


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इसके अलावा कंपनी यानी अंग्रेज़ों ने मुगल सम्राट को 26 लाख रुपये सालाना पेंशन देना स्वीकार कर लिया.

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अंग्रेज़ों ने अवध के नबाव के कड़ा और इलाहाबाद के जिले लेकर मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय को दे दिया.

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इलाहाबाद संधि के बाद तीन राज्यों की दीवानी अंग्रेज़ों के हाथों में आई, इसी के साथ भारत में अंग्रेज़ों की नींव पड़ी.

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