'Farmers debt'

- 28 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार अगस्त 30, 2023 11:06 PM IST
    किसानों की आत्महत्या पर लगातार बहस होती है. सरकारें बदल जाती हैं लेकिन किसानों की आत्महत्याओं के मामले आने खत्म नहीं होते. हर सरकार खुद को किसानों की हितैषी बताती है फिर भी किसान जान दे रहे हैं. आखिर क्यों हो रही है उनकी अनदेखी? यह बड़ा सवाल है. बड़ा सवाल यह भी है कि इस अनदेखी को कैसे खत्म किया जाए. महाराष्ट्र के चंद्रपुर में पिछले सात महीनों में 73 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. इस साल विदर्भ में 1,567 अन्नदाताओं ने जान दे दी है. यवतमाल में 83 दिन में 82 किसानों ने जान दे दी है. अभी भी किसान परेशान हैं, क्योंकि पहले बेमौसम बारिश हुई और फिर उसके बाद बारिश ही नहीं हो रही है. ज़्यादातर किसान आज भी बारिश पर ही निर्भर हैं.
  • India | Reported by: भाषा |शनिवार अक्टूबर 30, 2021 07:59 AM IST
    रिपोर्ट के अनुसार 5,579 किसान आत्महत्या मामलों में से कुल 5,335 पुरुष और 244 महिलाएं थीं. इसमें कहा गया है कि 2020 के दौरान खेतिहर मजदूरों द्वारा की गई 5,098 आत्महत्याओं में से 4,621 पुरुष और 477 महिलाएं थीं. आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आए.
  • India | Reported by: भाषा |शनिवार सितम्बर 11, 2021 07:35 AM IST
    एनएसओ ने जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया. सर्वे के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपये थी.
  • Blogs | सुशील कुमार महापात्र |मंगलवार अक्टूबर 1, 2019 10:51 AM IST
    कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है. अब चुनाव से पहले बहुत कुछ वादे किए जाएंगे. किसानों की समस्या को लेकर बात होगी. किसानों के लिए कई योजनाओं की घोषणा होगी. चुनाव के बाद यह सब वादे खोखले साबित होंगे क्योंकि अगर राजनैतिक दलों ने अपना वादा पूरा किया होता तो आज किसान आत्महत्या नहीं करता.
  • Uttar Pradesh | भाषा |शुक्रवार अगस्त 23, 2019 07:30 AM IST
    इस बीच सहारनपुर के मंडलायुक्त संजय कुमार ने कहा है कि इस मामले में जांच होने के बाद ही वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पायेगी
  • MP-Chhattisgarh | Reported by: अनुराग द्वारी |शनिवार जून 15, 2019 11:51 AM IST
    मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद कर्जमाफी के दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पहले चरण में 50 हजार रुपए तक नियमित कर्ज माफ करने के साथ डिफाल्टर किसानों को दो लाख रुपए तक कर्जमाफी का दावा किया गया है. सरकार का कहना है कि इसके दायरे में 20 लाख किसान हैं लेकिन कई किसानों का अब भी आरोप है कि उन्हें कर्जमाफी का फायदा नहीं मिला है.
  • MP-Chhattisgarh | भाषा |मंगलवार जनवरी 29, 2019 02:00 PM IST
    रमन सिंह ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि पूरे 15 वर्ष के कार्यकाल की कोई भी, कैसी भी जांच करवा ली जाए.
  • File Facts | ख़बर न्यूज़ डेस्क |शुक्रवार नवम्बर 30, 2018 07:56 AM IST
    किसानों को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए एक बार फिर से देशभर के किसान देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जमा हुए हैं. किसानों की कर्जमाफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिए जाने समेत कई मांगों को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान (Kisan Mukti March) दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंच गए हैं. दो दिवसीय किसान मुक्ति मार्च का आज यानी शुक्रवार को दूसरा और आखिरी दिन है और किसान आज अपनी मांगों को लेकर संसद मार्च करेंगे. किसानों ने सरकार और प्रशासन को चेताया है कि अगर उन्हें संसद की ओर जाने से रोका गया तो फिर वे न्यूड प्रदर्शन करेंगे. किसान (Kisan Mukti March) इस बार सिर्फ दो मांगों को लेकर यह आंदोलन कर रहे हैं. उनकी पहली मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और दूसरी अपनी दूसरी मांग में फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा चाहते हैं. ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर लाल टोपी पहने और लाल झंडा लिए किसानों ने 'अयोध्या नहीं, कर्ज माफी चाहिए' जैसे नारे लगाते दिखे.
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार नवम्बर 28, 2018 12:19 AM IST
    14 मई को राजस्थान के एक किसान भागीरथ शर्मा ने मुझे व्हाट्सऐप किया कि फसल बीमा के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है. बैंक ने उनसे 2301 रुपये प्रीमियम की राशि काट ली है मगर बीमा कंपनी कहती है कि 216 रुपया ही प्रीमियम का जमा हुआ है.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार नवम्बर 13, 2018 10:57 PM IST
    हमने पिछले कई सालों में किसानों के कई आंदोलन देखे. 29-30 इस आंदोलन के केंद्र में दो मुद्दे प्रमुख रूप से रहे. फसलों का सही दाम दिया जाए और फसल बिकने की व्यवस्था सही की जाए. मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को अपने वादे के हिसाब से लागत से डेढ़ गुना देने का दावा करती है लेकिन तथ्य कुछ दूसरे भी होते हैं.
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