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Condition Of Banks

'Condition Of Banks' - 8 News Result(s)
  • नौकरियां नहीं हैं, बैंक के पास पैसे नहीं हैं, फिर इतने उत्पातियों को काम कौन दे रहा है?

    नौकरियां नहीं हैं, बैंक के पास पैसे नहीं हैं, फिर इतने उत्पातियों को काम कौन दे रहा है?

    भारत की चार बड़ी कंपनियों ने इस बार 76 फीसदी कम भर्तियां की हैं. 2016 में 59,427 लोग इन चारों कंपनियों से बाहर हुए थे. 2018 में सिर्फ 13,972 लोग ही रखे गए हैं. इंफोसिस, विप्रो, टाटा कंसलटेंसी, एचसीएल. बिजनेस स्टैंडर्ड के रोमिता मजुमदार और बिभू रंजन मिश्रा ने लिखा है कि इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है फिर भी भर्तियां कम हो रही हैं.

  • बैंकरों का विरोध प्रदर्शन, आखिर क्यों बैंकर बेचें बीमा पॉलिसी?

    बैंकरों का विरोध प्रदर्शन, आखिर क्यों बैंकर बेचें बीमा पॉलिसी?

    पिछले दो साल से बैंक से संबंधित ख़बरों को दिलचस्पी से पढ़ता रहा हूं. चेयरमैनों के इंटरव्यू से बातें तो बड़ी बड़ी लगती थीं लेकिन बैंक के भीतर की वे समस्याएं कभी नहीं दिखीं जो बैंकर के जीवन में बहुत बड़ी हो गई हैं. बैंक सीरीज़ के दौरान सैकड़ों बैंकरों से बात करते हुए हमारी आज की ज़िंदगी को वो भयावह तस्वीर दिखी जिसे हम जानते हैं, सहते हैं मगर भूल गए हैं कि ये दर्द है. इसे एक हद के बाद सहा नहीं जाना चाहिए.

  • सरकारी बैंकों में पैसा नहीं, सरकार का झूठ जमा है...

    सरकारी बैंकों में पैसा नहीं, सरकार का झूठ जमा है...

    अनगितन बैंकरों ने अपने नैतिक संकट के बारे में लिखा है. वे अपने ज़मीर पर झूठ का यह बोझ बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. मुद्रा लोन लेने वाला नहीं है मगर बैंकर पर दबाव डाला जा रहा है कि बिना जांच पड़ताल के ही किसी को भी लोन दे दो. मैं दावा नहीं कर रहा मगर बैंकरों के ज़मीर की आवाज़ के ज़रिए जो बात बाहर आ रही है, उसे भी सुना जाना चाहिए.

  • हमारे बैंकिंग सिस्टम की बदहाली कब होगी ख़त्म?

    हमारे बैंकिंग सिस्टम की बदहाली कब होगी ख़त्म?

    सैलरी तो कम है ही, बैंकरों के तनाव का कारण है कि कम स्टाफ में तरह तरह के लक्ष्यों का थोप दिया जाना. कई जगह तो इंटरनेट की स्पीड इतनी कम है कि उससे भी वे काम नहीं कर पाते हैं. कुछ बैंकों की हमने टूटी हुई कुर्सियों की तस्वीरें देखीं.

  • कैसे हैं हमारे बैंकों में कामकाज के हालात?

    कैसे हैं हमारे बैंकों में कामकाज के हालात?

    एक सवाल आप ख़ुद से कीजिए. 24 साल की उम्र में भगत सिंह नाम का नौजवान फांसी पर चढ़ गया. क्या इसलिए कि 2018 के साल में उसके हिन्दुस्तान में लाखों की संख्या में बैंकर और उनमें भी महिला बैंकर ख़ुद को कहें कि वे ग़ुलाम हैं. वे झूठ की बुनियाद पर खड़े आंकड़ों का संसार कब तक बचाए रखेंगे, कभी न कभी यह आंकड़ों की छत उन्हीं के सर पर गिरने वाली है. गिर रही है.

  • बैंकों के भीतर ग़ुलामी... किसी जेपी दत्ता को बुलाओ, इनकी दास्तां पर फिल्म बनवाओ

    बैंकों के भीतर ग़ुलामी... किसी जेपी दत्ता को बुलाओ, इनकी दास्तां पर फिल्म बनवाओ

    "यदि कोई कार्मिक बीमार होते हैं और चिकित्सा अवकाश में प्रस्थान करते हैं तो वे मुख्यालय में ही रहकर अपना इलाज करवाएं और संबंधित कॉपी क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित करेंगे अन्यथा आपके चिकित्सा अवकाश को स्वीकृति नहीं दी जाएगी औऱ आपको अवैतनिक किया जाएगा."

  • बैंक सीरीज का 9वां भाग : महिला दिवस पर महिला बैंकरों की दास्तान

    बैंक सीरीज का 9वां भाग : महिला दिवस पर महिला बैंकरों की दास्तान

    बैंक सीरीज़ का यह 9 वां अक है. यह सीरीज सैलरी से शुरू हुई थी, लेकिन जब धीरे-धीरे महिला बैंकर खुलने लगीं और अपनी बात बताने लगीं तो हर दिन उनकी कोई दास्तां मुझे गुस्से और हैरानी से भर देता है कि आज के समय में क्या इतनी महिलाओं को गुलाम बनाया जा सकता है. सैंकड़ों की संख्या में महिला बैंकरों ने अपना जो हाल बनाया है वो किसी भी प्रोफेसर किसी भी फेमिनिस्ट के लिए एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिस तक पहुंचने में उन्हें वर्षों लग जाएंगे. 

  • बैंकों की कमर टूटी है, अब आपका गुल्लक भी टूटेगा, तमाशा देखते रहिए

    बैंकों की कमर टूटी है, अब आपका गुल्लक भी टूटेगा, तमाशा देखते रहिए

    लाखों करोड़ का लोन लेकर बैंकों को दरका देने वालों का नाम न बताने में ही सरकार ने चार साल ख़र्च कर दिए, अब ख़बरें आ रही हैं कि बैंकों ने 17,000 बकायेदारों पर मुकदमा कर दिया है. इन पर 2 लाख 65 हज़ार करोड़ का बक़ाया है.

'Condition Of Banks' - 8 News Result(s)
  • नौकरियां नहीं हैं, बैंक के पास पैसे नहीं हैं, फिर इतने उत्पातियों को काम कौन दे रहा है?

    नौकरियां नहीं हैं, बैंक के पास पैसे नहीं हैं, फिर इतने उत्पातियों को काम कौन दे रहा है?

    भारत की चार बड़ी कंपनियों ने इस बार 76 फीसदी कम भर्तियां की हैं. 2016 में 59,427 लोग इन चारों कंपनियों से बाहर हुए थे. 2018 में सिर्फ 13,972 लोग ही रखे गए हैं. इंफोसिस, विप्रो, टाटा कंसलटेंसी, एचसीएल. बिजनेस स्टैंडर्ड के रोमिता मजुमदार और बिभू रंजन मिश्रा ने लिखा है कि इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है फिर भी भर्तियां कम हो रही हैं.

  • बैंकरों का विरोध प्रदर्शन, आखिर क्यों बैंकर बेचें बीमा पॉलिसी?

    बैंकरों का विरोध प्रदर्शन, आखिर क्यों बैंकर बेचें बीमा पॉलिसी?

    पिछले दो साल से बैंक से संबंधित ख़बरों को दिलचस्पी से पढ़ता रहा हूं. चेयरमैनों के इंटरव्यू से बातें तो बड़ी बड़ी लगती थीं लेकिन बैंक के भीतर की वे समस्याएं कभी नहीं दिखीं जो बैंकर के जीवन में बहुत बड़ी हो गई हैं. बैंक सीरीज़ के दौरान सैकड़ों बैंकरों से बात करते हुए हमारी आज की ज़िंदगी को वो भयावह तस्वीर दिखी जिसे हम जानते हैं, सहते हैं मगर भूल गए हैं कि ये दर्द है. इसे एक हद के बाद सहा नहीं जाना चाहिए.

  • सरकारी बैंकों में पैसा नहीं, सरकार का झूठ जमा है...

    सरकारी बैंकों में पैसा नहीं, सरकार का झूठ जमा है...

    अनगितन बैंकरों ने अपने नैतिक संकट के बारे में लिखा है. वे अपने ज़मीर पर झूठ का यह बोझ बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. मुद्रा लोन लेने वाला नहीं है मगर बैंकर पर दबाव डाला जा रहा है कि बिना जांच पड़ताल के ही किसी को भी लोन दे दो. मैं दावा नहीं कर रहा मगर बैंकरों के ज़मीर की आवाज़ के ज़रिए जो बात बाहर आ रही है, उसे भी सुना जाना चाहिए.

  • हमारे बैंकिंग सिस्टम की बदहाली कब होगी ख़त्म?

    हमारे बैंकिंग सिस्टम की बदहाली कब होगी ख़त्म?

    सैलरी तो कम है ही, बैंकरों के तनाव का कारण है कि कम स्टाफ में तरह तरह के लक्ष्यों का थोप दिया जाना. कई जगह तो इंटरनेट की स्पीड इतनी कम है कि उससे भी वे काम नहीं कर पाते हैं. कुछ बैंकों की हमने टूटी हुई कुर्सियों की तस्वीरें देखीं.

  • कैसे हैं हमारे बैंकों में कामकाज के हालात?

    कैसे हैं हमारे बैंकों में कामकाज के हालात?

    एक सवाल आप ख़ुद से कीजिए. 24 साल की उम्र में भगत सिंह नाम का नौजवान फांसी पर चढ़ गया. क्या इसलिए कि 2018 के साल में उसके हिन्दुस्तान में लाखों की संख्या में बैंकर और उनमें भी महिला बैंकर ख़ुद को कहें कि वे ग़ुलाम हैं. वे झूठ की बुनियाद पर खड़े आंकड़ों का संसार कब तक बचाए रखेंगे, कभी न कभी यह आंकड़ों की छत उन्हीं के सर पर गिरने वाली है. गिर रही है.

  • बैंकों के भीतर ग़ुलामी... किसी जेपी दत्ता को बुलाओ, इनकी दास्तां पर फिल्म बनवाओ

    बैंकों के भीतर ग़ुलामी... किसी जेपी दत्ता को बुलाओ, इनकी दास्तां पर फिल्म बनवाओ

    "यदि कोई कार्मिक बीमार होते हैं और चिकित्सा अवकाश में प्रस्थान करते हैं तो वे मुख्यालय में ही रहकर अपना इलाज करवाएं और संबंधित कॉपी क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित करेंगे अन्यथा आपके चिकित्सा अवकाश को स्वीकृति नहीं दी जाएगी औऱ आपको अवैतनिक किया जाएगा."

  • बैंक सीरीज का 9वां भाग : महिला दिवस पर महिला बैंकरों की दास्तान

    बैंक सीरीज का 9वां भाग : महिला दिवस पर महिला बैंकरों की दास्तान

    बैंक सीरीज़ का यह 9 वां अक है. यह सीरीज सैलरी से शुरू हुई थी, लेकिन जब धीरे-धीरे महिला बैंकर खुलने लगीं और अपनी बात बताने लगीं तो हर दिन उनकी कोई दास्तां मुझे गुस्से और हैरानी से भर देता है कि आज के समय में क्या इतनी महिलाओं को गुलाम बनाया जा सकता है. सैंकड़ों की संख्या में महिला बैंकरों ने अपना जो हाल बनाया है वो किसी भी प्रोफेसर किसी भी फेमिनिस्ट के लिए एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिस तक पहुंचने में उन्हें वर्षों लग जाएंगे. 

  • बैंकों की कमर टूटी है, अब आपका गुल्लक भी टूटेगा, तमाशा देखते रहिए

    बैंकों की कमर टूटी है, अब आपका गुल्लक भी टूटेगा, तमाशा देखते रहिए

    लाखों करोड़ का लोन लेकर बैंकों को दरका देने वालों का नाम न बताने में ही सरकार ने चार साल ख़र्च कर दिए, अब ख़बरें आ रही हैं कि बैंकों ने 17,000 बकायेदारों पर मुकदमा कर दिया है. इन पर 2 लाख 65 हज़ार करोड़ का बक़ाया है.