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This Article is From Mar 07, 2018

बैंकों की कमर टूटी है, अब आपका गुल्लक भी टूटेगा, तमाशा देखते रहिए

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 07, 2018 21:53 pm IST
    • Published On मार्च 07, 2018 21:53 pm IST
    • Last Updated On मार्च 07, 2018 21:53 pm IST
लाखों करोड़ का लोन लेकर बैंकों को दरका देने वालों का नाम न बताने में ही सरकार ने चार साल ख़र्च कर दिए, अब ख़बरें आ रही हैं कि बैंकों ने 17,000 बकायेदारों पर मुकदमा कर दिया है. इन पर 2 लाख 65 हज़ार करोड़ का बक़ाया है. इस फ़ैसले तक पहुंचने से पहले बक़ायादारों को दि‍वालिया होने का रास्ता दिया गया, उसके लिए ट्राइब्यूनल बनाए गए कि वहां इन मामलों का निपटारा होगा. उन सबका क्या होगा पता नहीं क्योंकि अब ख़बर तो यही छपी है कि बैंकों ने अलग-अलग अदालतों ने इन बकायादारों के ख़िलाफ़ केस करना शुरू कर दिया है. अब भी ये बैंक इनके नाम न बताने की मजबूरी से निकलते हुए, ख़ुद ही बता सकते हैं ताकि अलग अलग कोर्ट जाकर 17000 लुटेरों के नाम पता करने में साल न लग जाए. इंडियन एक्सप्रेस के जॉर्ज मैथ्यू ने लिखा है कि इसके बाद भी यह कुल कर्ज़े का यानी NPA का मात्र 31.73 प्रतिशत है. एक झटके में जॉर्ज ने इस तथाकथित बड़ी ख़बर को अद्धा से पव्वा में बदल दिया है.

बैंकों के 8 लाख 38 हज़ार करोड़ के लोन डिफॉल्ट हो गए हैं. केस दर्ज करना ही बड़ी ख़बर हो जाती है हमारे देश में, कोई बताता नहीं कि ऐसे केस का रिज़ल्ट क्या होता है. बैंकों ने सितंबर 2017 तक के 12 महीनों में यानी अक्टूबर 2016 से सितंबर 2017 तक 2000 बकायेदारों पर केस किया गया है जिन पर 47,000 करोड़ की देनदारी थी. डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल में 15,220 केस दर्ज हो गए हैं. 2 लाख 18 हज़ार अधिक से देनदारी का निपटारा होना है.

आपने हाल ही ख़बर पढ़ी थी कि बैंकों का एनपीए 6 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ गया है. 21 सरकारी बैंकों में 11 पीसीए यानी रिज़र्व बैंक की निगरानी में आ गए हैं. एक सज्जन ने बताया कि जब ऐसा होता है तो वह बैंक अपने यहां भर्ती भी नहीं कर सकता. अगर ऐसा है तो इन सब करतूतों की सज़ा वो बेरोज़गार भी भुगत रहा है जो बैंकों में नौकरियां निकलने की आस में गल रहा है.

बैंक बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं. इसकी मार बैंक के कर्मचारियों पर पड़ रही है. अब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. नेताओं से मिलकर डाका डालवाया अफसरों ने और जेल जा रहे हैं मैनेजर. यही होता है जब आप गुनाह होते देखते हुए चुप रहते हैं तो एक दिन ख़ुद भी उसकी सज़ा भुगतने लगते हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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