जो बैंकर कल तक अपना नाम और चेहरा छिपा कर बोल रहे थे. अपनी यातना के साथ किसी अंधेरे में छिपे थे, आज उसी अंधेरे के रंग का टी शर्ट पहनकर उजाले में आ गए. अब आप इन्हें देख सकते हैं, इनका नाम जान सकते हैं, इन्हें बोलते हुए सुन सकते हैं. काले टी शर्ट में जमा हुए बैंकर सिर्फ सैलरी के लिए आवाज़ नहीं लगा रहे हैं बल्कि बैंकों के भीतर तनाव का जो जाल बुना गया है उससे निकलने की कोशिश कर रहे हैं. वी बैंकर्स नया समूह है, ज़्यादातर युवा हैं. वी बैंकर्स का मानना है कि उनकी सैलरी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर की जाए. जब चेयरमैन और कार्यकारी निदेशक को सातवें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन मिलता है तो बैंकर को क्यों नहीं मिल रहा है.