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Blog On Police

'Blog On Police' - 10 News Result(s)
  • पुलिस काम कर रही थी, पर्याप्त थी लेकिन पुलिस तो भाग रही थी छिप रही थी

    पुलिस काम कर रही थी, पर्याप्त थी लेकिन पुलिस तो भाग रही थी छिप रही थी

    गृहमंत्री पुलिस की लॉग बुक से बता सकते हैं कि उन 13000 कॉल के बाद कितनी जगहों पर पुलिस पहुँचा? कितने कॉल ऐसे थे जो एक ही जगह से बार बार किए गए और पुलिस नहीं पहुँची?

  • गार्गी कॉलेज में छात्राओं से बदसलूकी पर चुप्‍पी क्‍यों?

    गार्गी कॉलेज में छात्राओं से बदसलूकी पर चुप्‍पी क्‍यों?

    जब शहर में एक बार भीड़ बनती है तो वो एक चुनाव से गायब नहीं होती. वो उन घरों में रहती है जहां उन्हें पनाह मिलती है. अगर जेएनयू मामले में दिल्ली पुलिस ने अपना काम निष्पक्षता से किया होता तो इतनी जल्दी एक और भीड़ गार्गी कॉलेज के कैंपस में धावा नहीं बोलती. लड़कियों के कॉलेज में सैकड़ों की संख्या में मर्दों की भीड़ घुस आती है

  • यूनिवर्सिटी को नज़रों के सामने बर्बाद किया गया

    यूनिवर्सिटी को नज़रों के सामने बर्बाद किया गया

    एक्सप्रेस ने पीटीआई के हवाले से खबर लिखी है कि इन सुरक्षा गार्ड ने एडमिन ब्लॉक में प्रदर्शन में छात्रों पर हमला किया था. उन्हें घसीट कर हटाया और सामान फेंक दिए. उसमें कुछ लड़कियों को चोट भी लगी थी. वो सिक्योरिटी गार्ड 5 जनवरी की शाम कहां थे, जिन्हें जेएनयू की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए लाया गया था और तीन साल से काम कर रहे 400 गार्ड को हटाया गया था.

  • पार्कों में नमाज़ और उद्धत बहुसंख्यकवाद

    पार्कों में नमाज़ और उद्धत बहुसंख्यकवाद

    अगर आप वह वीडियो देखेंगे और सुनेंगे, तो हैरान रह जाएंगे. नोएडा सेक्टर 58 के पार्क में पांच-छह दाढ़ी-टोपी वाले लोग गोल घेरे में बैठकर कुछ पैसा जुटा रहे हैं, कुछ चटाइयां बिछी हुई हैं, एक कर्कश आवाज़ उनसे लगभग बदतमीज़ी से जवाब तलब कर रही है - कहां से आए हो, यहां क्यों आए हो, किससे पूछकर यहां बैठ गए, पुलिस से परमिशन ली है, क्या गड़बड़ करना चाहते हो...?

  • दर्द एक पुलिसवाले का, जब उसने पूछा- तो क्या हम चौकीदार बन जाएं...

    दर्द एक पुलिसवाले का, जब उसने पूछा- तो क्या हम चौकीदार बन जाएं...

    मेरे घर परसों चोरी हुई. यह हमारे घर में बीते कुछ महीनों में तीसरी चोरी रही. हैरानी वाली बात यह कि हर बार एक ही समय पर (सुबह के आठ से नौ बजे के बीच), एक ही मुहल्ले में, एक ही समूह ने, एक ही घर में, एक ही चीज को तीन बार चुराया. और वह चीज थी पानी का मीटर और मोटर. पहली चोरी के बाद सुरक्षा के जुगाड़ किए गए. मजेदार ये रहा कि इन त्वरित जुगाड़ों के बावजूद दो दिन बाद ही फिर से चोरी हुई और करीब करीब छह महीने के अंदर ही एक बार फिर यानी परसों चोरी हुई. किसी तरह इस बार चोरों की शिनाख्त संभव हो सकी.

  • वहशी बाबा का घिनौना आश्रम

    वहशी बाबा का घिनौना आश्रम

    गंदी हो गई... बेआबरू हो गई...शीलभंग हो गया...समाज में तो मेरा चरित्र ही खराब हो गया....कौन अपनायेगा मुझे....तो घुट-घुट कर सलाखों के पीछे जानवरों के से हालात में जी लेते हैं...सोच है उन लड़कियों की जो वहशी वीरेंद्र देव दीक्षित के अनेकों अध्यात्मिक विश्वविद्यालय में अब भी कैद हैं...इससे बाहर निकली प्रेरणा ने बताया तो दहल गया मन...मां-पिता ही तो छोड़ जाते हैं... ऐसे आश्रमों में अपनी छोटी-बड़ी बच्चियों को... आध्यात्मिक ज्ञान मिलेगा बच्चियों को तो इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है...समाज में परिवार का नाम भी होगा.....अच्छा ही तो है लड़कियो का बोझ कुछ कम भी हो जायेगा....न पढ़ाना पड़ेगा, न खिलाना ...

  • सच क्या है, पता नहीं, लेकिन 'प्रभु' की रेल में खामोश हो गई महिला की आवाज़

    सच क्या है, पता नहीं, लेकिन 'प्रभु' की रेल में खामोश हो गई महिला की आवाज़

    वह लड़की ही जानती है कि चलती रेल में उसके साथ क्या हुआ, या वह आदमी जानता है कि उसने लड़की को छुआ, या नहीं छुआ, या गलती से छुआ, लेकिन 'प्रभु' की रेल में महिलाओं की आवाज को बीच में गायब होते ज़रूर देखा।

  • मनीष शर्मा की नज़र से : 'आप' की माफ़ियों का सफरनामा

    दिल्ली में बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) की एक रैली में राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले तो आक्रमक रुख अपनाया और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बार-बार आग्रह करने पर भी पुलिस ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

  • मीडिया पर क्यों निकाला गुस्सा?

    रामपाल जैसे बाबाओं का उद्गम स्थल भले ही मीडिया न हो, लेकिन उनके प्रचार प्रसार का माध्यम तो है ही। किसी नाटक के राजा की तरह सजे धजे ज्योतिषाचार्यों से लैस तमाम चैनल आपको पड़ोसी के घर में दही फेंक आने से लेकर पीला कुर्ता पहनकर सलाह देते रहे हैं।

  • अपनी नाकामी छुपाने के लिए मीडिया पर हमला?

    पत्रकारों पर पुलिस की बरसती लाठियों को देखकर क्या आप हरियाणा के पुलिस महानिदेशक की बात पर यकीन करेंगे कि पुलिस की ऐसी कोई मंशा नहीं थी। क्या लाठियां बिना मंशा आदेश के आटोमेटिक चल जाती हैं?

'Blog On Police' - 10 News Result(s)
  • पुलिस काम कर रही थी, पर्याप्त थी लेकिन पुलिस तो भाग रही थी छिप रही थी

    पुलिस काम कर रही थी, पर्याप्त थी लेकिन पुलिस तो भाग रही थी छिप रही थी

    गृहमंत्री पुलिस की लॉग बुक से बता सकते हैं कि उन 13000 कॉल के बाद कितनी जगहों पर पुलिस पहुँचा? कितने कॉल ऐसे थे जो एक ही जगह से बार बार किए गए और पुलिस नहीं पहुँची?

  • गार्गी कॉलेज में छात्राओं से बदसलूकी पर चुप्‍पी क्‍यों?

    गार्गी कॉलेज में छात्राओं से बदसलूकी पर चुप्‍पी क्‍यों?

    जब शहर में एक बार भीड़ बनती है तो वो एक चुनाव से गायब नहीं होती. वो उन घरों में रहती है जहां उन्हें पनाह मिलती है. अगर जेएनयू मामले में दिल्ली पुलिस ने अपना काम निष्पक्षता से किया होता तो इतनी जल्दी एक और भीड़ गार्गी कॉलेज के कैंपस में धावा नहीं बोलती. लड़कियों के कॉलेज में सैकड़ों की संख्या में मर्दों की भीड़ घुस आती है

  • यूनिवर्सिटी को नज़रों के सामने बर्बाद किया गया

    यूनिवर्सिटी को नज़रों के सामने बर्बाद किया गया

    एक्सप्रेस ने पीटीआई के हवाले से खबर लिखी है कि इन सुरक्षा गार्ड ने एडमिन ब्लॉक में प्रदर्शन में छात्रों पर हमला किया था. उन्हें घसीट कर हटाया और सामान फेंक दिए. उसमें कुछ लड़कियों को चोट भी लगी थी. वो सिक्योरिटी गार्ड 5 जनवरी की शाम कहां थे, जिन्हें जेएनयू की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए लाया गया था और तीन साल से काम कर रहे 400 गार्ड को हटाया गया था.

  • पार्कों में नमाज़ और उद्धत बहुसंख्यकवाद

    पार्कों में नमाज़ और उद्धत बहुसंख्यकवाद

    अगर आप वह वीडियो देखेंगे और सुनेंगे, तो हैरान रह जाएंगे. नोएडा सेक्टर 58 के पार्क में पांच-छह दाढ़ी-टोपी वाले लोग गोल घेरे में बैठकर कुछ पैसा जुटा रहे हैं, कुछ चटाइयां बिछी हुई हैं, एक कर्कश आवाज़ उनसे लगभग बदतमीज़ी से जवाब तलब कर रही है - कहां से आए हो, यहां क्यों आए हो, किससे पूछकर यहां बैठ गए, पुलिस से परमिशन ली है, क्या गड़बड़ करना चाहते हो...?

  • दर्द एक पुलिसवाले का, जब उसने पूछा- तो क्या हम चौकीदार बन जाएं...

    दर्द एक पुलिसवाले का, जब उसने पूछा- तो क्या हम चौकीदार बन जाएं...

    मेरे घर परसों चोरी हुई. यह हमारे घर में बीते कुछ महीनों में तीसरी चोरी रही. हैरानी वाली बात यह कि हर बार एक ही समय पर (सुबह के आठ से नौ बजे के बीच), एक ही मुहल्ले में, एक ही समूह ने, एक ही घर में, एक ही चीज को तीन बार चुराया. और वह चीज थी पानी का मीटर और मोटर. पहली चोरी के बाद सुरक्षा के जुगाड़ किए गए. मजेदार ये रहा कि इन त्वरित जुगाड़ों के बावजूद दो दिन बाद ही फिर से चोरी हुई और करीब करीब छह महीने के अंदर ही एक बार फिर यानी परसों चोरी हुई. किसी तरह इस बार चोरों की शिनाख्त संभव हो सकी.

  • वहशी बाबा का घिनौना आश्रम

    वहशी बाबा का घिनौना आश्रम

    गंदी हो गई... बेआबरू हो गई...शीलभंग हो गया...समाज में तो मेरा चरित्र ही खराब हो गया....कौन अपनायेगा मुझे....तो घुट-घुट कर सलाखों के पीछे जानवरों के से हालात में जी लेते हैं...सोच है उन लड़कियों की जो वहशी वीरेंद्र देव दीक्षित के अनेकों अध्यात्मिक विश्वविद्यालय में अब भी कैद हैं...इससे बाहर निकली प्रेरणा ने बताया तो दहल गया मन...मां-पिता ही तो छोड़ जाते हैं... ऐसे आश्रमों में अपनी छोटी-बड़ी बच्चियों को... आध्यात्मिक ज्ञान मिलेगा बच्चियों को तो इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है...समाज में परिवार का नाम भी होगा.....अच्छा ही तो है लड़कियो का बोझ कुछ कम भी हो जायेगा....न पढ़ाना पड़ेगा, न खिलाना ...

  • सच क्या है, पता नहीं, लेकिन 'प्रभु' की रेल में खामोश हो गई महिला की आवाज़

    सच क्या है, पता नहीं, लेकिन 'प्रभु' की रेल में खामोश हो गई महिला की आवाज़

    वह लड़की ही जानती है कि चलती रेल में उसके साथ क्या हुआ, या वह आदमी जानता है कि उसने लड़की को छुआ, या नहीं छुआ, या गलती से छुआ, लेकिन 'प्रभु' की रेल में महिलाओं की आवाज को बीच में गायब होते ज़रूर देखा।

  • मनीष शर्मा की नज़र से : 'आप' की माफ़ियों का सफरनामा

    दिल्ली में बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) की एक रैली में राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले तो आक्रमक रुख अपनाया और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बार-बार आग्रह करने पर भी पुलिस ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

  • मीडिया पर क्यों निकाला गुस्सा?

    रामपाल जैसे बाबाओं का उद्गम स्थल भले ही मीडिया न हो, लेकिन उनके प्रचार प्रसार का माध्यम तो है ही। किसी नाटक के राजा की तरह सजे धजे ज्योतिषाचार्यों से लैस तमाम चैनल आपको पड़ोसी के घर में दही फेंक आने से लेकर पीला कुर्ता पहनकर सलाह देते रहे हैं।

  • अपनी नाकामी छुपाने के लिए मीडिया पर हमला?

    पत्रकारों पर पुलिस की बरसती लाठियों को देखकर क्या आप हरियाणा के पुलिस महानिदेशक की बात पर यकीन करेंगे कि पुलिस की ऐसी कोई मंशा नहीं थी। क्या लाठियां बिना मंशा आदेश के आटोमेटिक चल जाती हैं?