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This Article is From Dec 27, 2017

वहशी बाबा का घिनौना आश्रम

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 27, 2017 20:08 pm IST
    • Published On दिसंबर 27, 2017 19:56 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 27, 2017 20:08 pm IST
गंदी हो गई... बेआबरू हो गई...शीलभंग हो गया...समाज में तो मेरा चरित्र ही खराब हो गया....कौन अपनायेगा मुझे....तो घुट-घुट कर सलाखों के पीछे जानवरों के से हालात में जी लेते हैं...सोच है उन लड़कियों की जो वहशी वीरेंद्र देव दीक्षित के अनेकों अध्यात्मिक विश्वविद्यालय में अब भी कैद हैं...इससे बाहर निकली प्रेरणा ने बताया तो दहल गया मन...मां-पिता ही तो छोड़ जाते हैं... ऐसे आश्रमों में अपनी छोटी-बड़ी बच्चियों को... आध्यात्मिक ज्ञान मिलेगा बच्चियों को तो इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है...समाज में परिवार का नाम भी होगा.....अच्छा ही तो है लड़कियों का बोझ कुछ कम भी हो जायेगा....न पढ़ाना पड़ेगा, न खिलाना ...

जब प्रेरणा और राष्ट्रिय महिला आयोग की सुषमा साहू से मुलाकात हुई तो हमारे समाज में वो हकीकत सामने आ खड़ी हुई, जो गाहे-बगाहे सुनने को मिल ही जाती हैं.....मैं जब प्रेरणा के सामने पंहुची ऑफिस में तो सकते में रह गई थी.....दो महिलाओं से मुलाकात करनी थी...एक पीड़ित बताई गई थी ...लेकिन मेरे सामने जो लड़की बैठी थी वो तो कहीं से भी दुखी, हताश, पीड़ित नहीं लगी....जीन्स कोट में मौजूद, हौसले के साथ सौम्य तरीके से बात करने वाली क्या इतना कुछ झेल चुकी होगी....डबल एम.ए, डबल बीए, बैंक के इम्तेहान और नौकरी भी....वाकई काबिले तारीफ लगी प्रेरणा.....मैंने जब बात आगे बढ़ाई ...तो कहा कि बोझ थी न परिवार पर ...सबसे बड़ी तीन बहनो में एक छोटा भाई भी है....आश्रम से बाहर निकलने पर, घर से भी बाहर कर दिया गया...खुद को पाला भी पढ़ाया भी...अब छोटे भाई बहनों को भी पढ़ा रही हूं और आश्रम में फंसी बहन को छुड़ाने की कोशिशों में भी लगी हूं....

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से आई दो शिकयतों से ढोंगी बाबा का पर्दाफाश हुआ...सालों से आश्रम के आसपास से आई शिकायतों पर कार्यवाई नहीं होती थी.....जेलनुमा बिल्डिंग में खिड़कियां तक ढंकी होती....चीखों की आवाजें आती पर कोई सुननेवाले नहीं होता...शिकायतों पर जब महिला आयोग ने हिम्मत कर सबूत जुटाये तो वो खुद सिहर गई....सुषमा साहू ने बताया कि जब वो पुलिस के साथ पंहुची तो बड़ी मुश्किल से अन्दर जा पाई थी....उनको तमाम फोन आने लगे ...दबाव कई तरफ से पड़ने लगा ..... की कोई अपराध करने जा रही हो....

अन्दर पंहुचने पर छोटी-छोटी बच्चियां और लड़कियां भी नशे की अवस्था में मिली...लोहे की मोटी सलाखों के पीछे पढ़ाई और अध्यात्म के नाम पर बाबा के अभद्र प्रवचन.....एक वक्त के खाने में नशे वाली खिचड़ी मिली और रात में दूध भी नशे वाला...फिर रात में वीरेन्द दीक्षित वो करतूत करता जिसके कारण अब कानून उसके पीछे पड़ गया है.....कुछ लड़कियों को तो रात में आश्रम से कड़ी सुरक्षा में बाहर भेजा जाता जो तड़के सुबह तक आ जाती.....देह व्यापार से कमाई कर वीरेन्द दीक्षित को समर्पित करती.....ढोंगी बाबा 10 रुपये के स्टांप पेपर पर पहले से लिखवा लेता है कि तन-मन-धन से बाबा को समर्पित है....

इस वहशी के इरादे इतने घिनौने कि सभी बच्चियों के जन्म-प्रमाण पत्र 18 साल एक दिन के बने होते हैं....उसकी अपना ही फॉरमेट है...चाहे वो 5 साल की ही क्यों न हो....बच्चियों को एक दूसरे से बात तक की इजाजत नहीं होती.....एक दूसरे की मुखबरी करती है क्योंकि किसी पर भरोसा ही नहीं रहता....आश्रम में उम्रदराज महिलायें बच्चियों को काबू में रखती ....रात में हवस की शिकार बच्चियों की चीख पुकार शायद बहरे कानो पर ही पड़ती ....

प्रेरणा ने बताया ये ढोंगी...थॉमस या डेविड नाम से देश भर में घूमता है ....कई राज्यों और घरों में इसके आश्रम हैं....हम कब जानेंगे कि धर्म की आड़ में, देवताओं के नाम पर वहशी भी घूम सकते हैं.......... हाईकोर्ट की सख्ती के बाद ही अब पुलिस ढोंगी को ढूंढ रही है....4 जनवरी तक का समय कोर्ट ने दिया है....लेकिन इस वहशी की हवस और करतूत के साथ-साथ हमारे समाज में लड़कियों को बोझ समझना भी एक गम्भीर समस्या है......बच्चियों को पढ़ाने से परिवार अब भी हिचकते हैं.....शिक्षा में हम अब तक सेक्स ऐजुकेशन के नाम पर सकुचाते हैं....गलत व्यवहार की शिकार बच्चियां समाज के डर से खुद को ही दोषी मानने लगती हैं....आवाज उठाती हैं तो चरित्र पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं....इन त्रासदियों के बीच गर हौसले से कोई निकल आये तो उसे प्रेरणा ही कहेंगे...उमीद कि जल्द से जल्द ढोंगी को पकड़ा जाये और सजा सबक साबित हो...

निधि कुलपति एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एडिटर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
 

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