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स्वदेशीकरण की राजनीति और इसके विरोधाभास
- Tuesday October 22, 2024
- रणधीर कुमार गौतम
सवाल ये भी है कि क्या हम ये मान लें कि हमारे पारंपरिक पहनावे “सौम्य” और “सभ्य” नहीं हैं? और अगर ऐसा है तो फिर हमारे सभी राजनेता उन सांस्कृतिक पहनावों से ही क्यों राजनीतिक सामाजिक जीवन में आते हैं, जिन्हें कार्यालयी जीवन में “असभ्य” और “असौम्य” माना जाता है?
- ndtv.in
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सेक्युलर दलों से नाराज क्यों हैं मुसलमान?
- Tuesday September 3, 2024
- Edited by: राजेश कुमार आर्य
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मिली कामयाबी में देश के मुसलमानों को बड़ा हाथ बताया जा रहा है. लेकिन मुसलमान धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाले दलों के रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं. इस नाराजगी के कारणों की पड़ताल कर रहे हैं सैयद जैगम मुर्तजा.
- ndtv.in
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Live Blog: अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सेना संघर्ष मुद्दे पर संसद में भारी हंगामा
- Tuesday December 13, 2022
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, राजीव रंजन
सेना के एक बयान में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की झड़प में "दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं". जिसके बाद दोनों पक्ष "तुरंत क्षेत्र से हट गए".
- ndtv.in
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क्या हम भारतीय लोकतंत्र में मना सकते हैं ऐसा जश्न?
- Wednesday October 26, 2022
- रवीश कुमार
खबर बताती है कि जिन लोगों ने लोन लिया उसे बिजनेस में नहीं लगाया. ऐसे लोगों ने भी लोन लिया जिनका बिजनेस पहले से बंद हो गया था और ऐसे लोगों ने भी लिया जो बिजनेस नहीं कर रहे थे.
- ndtv.in
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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : असली मुद्दों से भटके, अब कपड़ों पर अटके...
- Thursday October 6, 2022
- रवीश कुमार
भारत टी-शर्ट के बाद निक्कर चर्चा में प्रवेश कर चुका है, थोड़ा इंतज़ार कर लीजिए, अंडर वेयर की भी बारी आएगी? यह समय कपड़ा उद्योग के लिए बहुत अच्छा है, वे अपने गंजी बनियान लेकर राजनीतिक दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे खड़े हो जाएं ताकि साथ-साथ विज्ञापन भी होता रहे. टी शर्ट विदेशी ब्रांड का था इसलिए वेबसाइट से उसकी कीमत की तस्वीर निकल गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के बड़े नेता, मंत्री कुर्ते के ऊपर जो रंगीन जैकेट पहनते हैं, दिन में तीन बार पहनते हैं, उसका कपड़ा कितना महंगा होता है, उसकी कीमत क्या होती होगी?
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट में बड़े मुद्दों पर सुनवाई न होने को लेकर बहस, जांच एजेंसियों की भूमिका पर विपक्ष आक्रामक
- Friday August 26, 2022
- रवीश कुमार
चीफ जस्टिस एनवी रमना आज रिटायर हो गए. उनके कार्यकाल में देश को कई अहम याचिकाओं पर निर्णय नहीं मिला, कई सारे सवालों के जवाब नहीं मिले लेकिन खुद भी चीफ जस्टिस एनवी रमना, न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका को लेकर कई गंभीर सवाल उठा गए. उन टिप्पणियों के ज़रिए सार्वजनिक बहस को मज़बूती तो मिली लेकिन उन्हीं प्रश्नों पर कोर्ट के फैसलों से जवाब नहीं मिलने से रह गया. चीफ जस्टिस के कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था लेकिन उनकी कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण इतिहास बना गया. इसके बाद भी कई ऐसे मामले रहे जो इतिहास में दर्ज होने का इंतज़ार करते रहे. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस बात के लिए माफी चाहते हैं कि अपने कार्यकाल में इस बात पर ध्यान नहीं दे सके कि मुकदमों को जल्दी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सके. उन्होंने कहा कि सोलह महीने में केवल 50 दिन मिले जिसमें वे प्रभावी और पूर्णकालिक तरीके से सुनवाई कर पाए. कोविड के काऱण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया.
- ndtv.in
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किसकी वजह से भारत को देनी पड़ी सफ़ाई?
- Monday June 6, 2022
- प्रियदर्शन
जिस नुपुर शर्मा को बीजेपी अब 'फ्रिंज एलीमेंट' बता रही है, वह अरसे तक राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बीजेपी का पक्ष रखती रही. खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दल बताने वाली बीजेपी ने ऐसे फ्रिंज एलीमेंट को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता क्यों बना रखा था? क्या इसलिए नहीं कि बीते कुछ वर्षों में संघ परिवार और बीजेपी ने जो उन्माद पैदा किया है, उसकी कोख से ही ऐसी राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय प्रवक्ता निकलती है?
- ndtv.in
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क्या आप भी जमीन के नीचे कुछ खोज रहे हैं? अपने घर में देखिए, मुद्दे ही मुद्दे हैं...
- Saturday May 14, 2022
- रवीश कुमार
टीवी पर महंगाई की चर्चा मिशन नहीं है, न ही टैगलाइन में मिशन महंगाई वापसी है लेकिन मिशन मान्यूमेंट वापसी एक नया टैगलाइन चलाया जा रहा है. ऐसे टाइटल कहां से आते हैं? क्या ट्विटर पर चलने वाले हैशटैग के उठाकर टीवी के स्क्रीन पर चिपका दिया जाता है? ट्विटर पर हमने देखा कि हैशटैग मान्यूमेंट वापसी को लेकर कोई 20 ट्वीट हैं, इसके बाद भी एक न्यूज़ चैनल अपनी तरफ से मिशन लगा देता है ताकि मान्यता मिले और दर्शकों को लगे कि इस मिशन को पूरा करना उनका भी काम है. आए होंगे महंगाई देखने लेकिन चैनल उन्हें मिशन का काम पकड़ा रहे हैं.
- ndtv.in
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डॉक्टर को सैलरी नहीं, मनरेगा में मजदूरी नहीं, क्या यही है आजादी का अमृत महोत्सव
- Friday February 4, 2022
- रवीश कुमार
दिल्ली जैसे महंगे शहर में डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ महीनों काम करते रहें और 3-3 महीने से वेतन न मिले? यह संभव है. अगर हर चौराहा अमृत लोटा नाम से एक योजना लांच कर दी जाए तो अमृत काल में लोग नज़दीक के चौराहे पर रखे अमृत लोटे से एक बूंद अमृत पी लेंगे और अमर हो जाएंगे.
- ndtv.in
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नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?
- Friday January 28, 2022
- रवीश कुमार
रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.
- ndtv.in
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8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्यों नहीं आती?
- Thursday January 27, 2022
- रवीश कुमार
क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?
- ndtv.in
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टेक फ़ॉग ऐप से सावधान! आपके बच्चों को दंगाई बना देगा
- Tuesday January 11, 2022
- रवीश कुमार
अगर आप प्राइम टाइम के नियमित दर्शक हैं तो पिछले सात साल के दौरान आपने हमें कई बार कहते सुना होगा कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज़रिए झूठ का जाल बिछा दिया गया है ताकि हर दूसरे लड़के में दंगाई बनने की संभावना पैदा हो जाए. धर्म के नाम पर नफरत का ऐसा माहौल बन जाए कि हर सवाल करने वाला या सरकार का विरोधी उसकी आड़ में निपटा दिया जाए. कुछ सड़क पर उतर कर दंगा करें तो कुछ सोशल मीडिया पर वैसी भाषा लिखने बोलने लग जाएं जो हर नरसंहार या दंगों के पहले बोली जाती है. व्हाट्सएप के फैमिली ग्रुप में रिटायर्ड अंकिलों और NRI अंकिल नफरत की दुनिया के चौकीदार हैं. इस एक सेगमेंट के एक हिस्से ने बच्चों को बर्बाद करने और ज़हर से भरने का जो काम किया है उतना किसी ने नहीं किया है.
- ndtv.in
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UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा
- Thursday January 6, 2022
- रवीश कुमार
भारत में महंगाई के सपोर्टर की तरह क्या बेरोज़गारी के भी सपोर्टर हैं? जब भी लाखों की संख्या में नौजवान सरकारी भर्ती की परीक्षा को लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस की सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कोसने वाले आ जाते हैं कि सरकार कितनों को नौकरी देगी, अपना बिजनेस क्यों नहीं करते.
- ndtv.in
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बेअदबी, हत्या और चुप्पी की साज़िश
- Tuesday December 21, 2021
- प्रियदर्शन
ऐसे गुरु और ऐसे पंथ की बेअदबी नहीं हो सकती. कोई चाहे भी तो नहीं कर सकता. वे बहुत ऊंचे हैं- किताबों, तख़्तों और इमारतों से बहुत ऊंचे. लेकिन जब उनकी इज़्ज़त के नाम पर, उनके अदब के नाम पर कोई अपने हाथ में कानून लेता है, निर्ममता से किसी की हत्या करता है तो धर्म जैसे कुछ छोटा हो जाता है, कुछ सिकुड़ जाता है.
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बात जो वॉट्सएप से आगे न बढ़नी थी, न बढ़ी...
- Monday April 27, 2020
- संजय किशोर
सोशल मीडिया पर वर्चुअल योद्धा सिर्फ नारा बुलंद करते हैं-“वीर तुम बढ़े चलो, हम तुम्हारे साथ हैं.” मगर आगे कोई नहीं आता. शायद इसलिए भी क्योंकि आगे बढ़कर कोई परचम थाम भी ले तो उसके पीछे कोई नहीं जाएगा. खासकर जब मामला संवेदनशील हो. पुलिस और प्रशासन से जुड़ा हुआ हो. कौन कोर्ट, कचहरी और पुलिस के पचड़ों में पड़ना चाहता है. किसके पास फ़ुर्सत है. जो सचमुच उस दर्ज़ी को अवैध क़ब्ज़े से बेदख़ल करना चाहते, वे खुद आगे बढ़कर शिकायत दर्ज करा सकते थे. अपने रसूख़ का इस्तेमाल कर उसको हटवा सकते थे. लेकिन बात वॉट्सएप से आगे न बढ़नी थी, न बढ़ी.
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स्वदेशीकरण की राजनीति और इसके विरोधाभास
- Tuesday October 22, 2024
- रणधीर कुमार गौतम
सवाल ये भी है कि क्या हम ये मान लें कि हमारे पारंपरिक पहनावे “सौम्य” और “सभ्य” नहीं हैं? और अगर ऐसा है तो फिर हमारे सभी राजनेता उन सांस्कृतिक पहनावों से ही क्यों राजनीतिक सामाजिक जीवन में आते हैं, जिन्हें कार्यालयी जीवन में “असभ्य” और “असौम्य” माना जाता है?
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सेक्युलर दलों से नाराज क्यों हैं मुसलमान?
- Tuesday September 3, 2024
- Edited by: राजेश कुमार आर्य
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मिली कामयाबी में देश के मुसलमानों को बड़ा हाथ बताया जा रहा है. लेकिन मुसलमान धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाले दलों के रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं. इस नाराजगी के कारणों की पड़ताल कर रहे हैं सैयद जैगम मुर्तजा.
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Live Blog: अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सेना संघर्ष मुद्दे पर संसद में भारी हंगामा
- Tuesday December 13, 2022
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, राजीव रंजन
सेना के एक बयान में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की झड़प में "दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं". जिसके बाद दोनों पक्ष "तुरंत क्षेत्र से हट गए".
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क्या हम भारतीय लोकतंत्र में मना सकते हैं ऐसा जश्न?
- Wednesday October 26, 2022
- रवीश कुमार
खबर बताती है कि जिन लोगों ने लोन लिया उसे बिजनेस में नहीं लगाया. ऐसे लोगों ने भी लोन लिया जिनका बिजनेस पहले से बंद हो गया था और ऐसे लोगों ने भी लिया जो बिजनेस नहीं कर रहे थे.
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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : असली मुद्दों से भटके, अब कपड़ों पर अटके...
- Thursday October 6, 2022
- रवीश कुमार
भारत टी-शर्ट के बाद निक्कर चर्चा में प्रवेश कर चुका है, थोड़ा इंतज़ार कर लीजिए, अंडर वेयर की भी बारी आएगी? यह समय कपड़ा उद्योग के लिए बहुत अच्छा है, वे अपने गंजी बनियान लेकर राजनीतिक दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे खड़े हो जाएं ताकि साथ-साथ विज्ञापन भी होता रहे. टी शर्ट विदेशी ब्रांड का था इसलिए वेबसाइट से उसकी कीमत की तस्वीर निकल गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के बड़े नेता, मंत्री कुर्ते के ऊपर जो रंगीन जैकेट पहनते हैं, दिन में तीन बार पहनते हैं, उसका कपड़ा कितना महंगा होता है, उसकी कीमत क्या होती होगी?
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सुप्रीम कोर्ट में बड़े मुद्दों पर सुनवाई न होने को लेकर बहस, जांच एजेंसियों की भूमिका पर विपक्ष आक्रामक
- Friday August 26, 2022
- रवीश कुमार
चीफ जस्टिस एनवी रमना आज रिटायर हो गए. उनके कार्यकाल में देश को कई अहम याचिकाओं पर निर्णय नहीं मिला, कई सारे सवालों के जवाब नहीं मिले लेकिन खुद भी चीफ जस्टिस एनवी रमना, न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका को लेकर कई गंभीर सवाल उठा गए. उन टिप्पणियों के ज़रिए सार्वजनिक बहस को मज़बूती तो मिली लेकिन उन्हीं प्रश्नों पर कोर्ट के फैसलों से जवाब नहीं मिलने से रह गया. चीफ जस्टिस के कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था लेकिन उनकी कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण इतिहास बना गया. इसके बाद भी कई ऐसे मामले रहे जो इतिहास में दर्ज होने का इंतज़ार करते रहे. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस बात के लिए माफी चाहते हैं कि अपने कार्यकाल में इस बात पर ध्यान नहीं दे सके कि मुकदमों को जल्दी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सके. उन्होंने कहा कि सोलह महीने में केवल 50 दिन मिले जिसमें वे प्रभावी और पूर्णकालिक तरीके से सुनवाई कर पाए. कोविड के काऱण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया.
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किसकी वजह से भारत को देनी पड़ी सफ़ाई?
- Monday June 6, 2022
- प्रियदर्शन
जिस नुपुर शर्मा को बीजेपी अब 'फ्रिंज एलीमेंट' बता रही है, वह अरसे तक राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बीजेपी का पक्ष रखती रही. खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दल बताने वाली बीजेपी ने ऐसे फ्रिंज एलीमेंट को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता क्यों बना रखा था? क्या इसलिए नहीं कि बीते कुछ वर्षों में संघ परिवार और बीजेपी ने जो उन्माद पैदा किया है, उसकी कोख से ही ऐसी राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय प्रवक्ता निकलती है?
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क्या आप भी जमीन के नीचे कुछ खोज रहे हैं? अपने घर में देखिए, मुद्दे ही मुद्दे हैं...
- Saturday May 14, 2022
- रवीश कुमार
टीवी पर महंगाई की चर्चा मिशन नहीं है, न ही टैगलाइन में मिशन महंगाई वापसी है लेकिन मिशन मान्यूमेंट वापसी एक नया टैगलाइन चलाया जा रहा है. ऐसे टाइटल कहां से आते हैं? क्या ट्विटर पर चलने वाले हैशटैग के उठाकर टीवी के स्क्रीन पर चिपका दिया जाता है? ट्विटर पर हमने देखा कि हैशटैग मान्यूमेंट वापसी को लेकर कोई 20 ट्वीट हैं, इसके बाद भी एक न्यूज़ चैनल अपनी तरफ से मिशन लगा देता है ताकि मान्यता मिले और दर्शकों को लगे कि इस मिशन को पूरा करना उनका भी काम है. आए होंगे महंगाई देखने लेकिन चैनल उन्हें मिशन का काम पकड़ा रहे हैं.
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डॉक्टर को सैलरी नहीं, मनरेगा में मजदूरी नहीं, क्या यही है आजादी का अमृत महोत्सव
- Friday February 4, 2022
- रवीश कुमार
दिल्ली जैसे महंगे शहर में डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ महीनों काम करते रहें और 3-3 महीने से वेतन न मिले? यह संभव है. अगर हर चौराहा अमृत लोटा नाम से एक योजना लांच कर दी जाए तो अमृत काल में लोग नज़दीक के चौराहे पर रखे अमृत लोटे से एक बूंद अमृत पी लेंगे और अमर हो जाएंगे.
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नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?
- Friday January 28, 2022
- रवीश कुमार
रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.
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8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्यों नहीं आती?
- Thursday January 27, 2022
- रवीश कुमार
क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?
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टेक फ़ॉग ऐप से सावधान! आपके बच्चों को दंगाई बना देगा
- Tuesday January 11, 2022
- रवीश कुमार
अगर आप प्राइम टाइम के नियमित दर्शक हैं तो पिछले सात साल के दौरान आपने हमें कई बार कहते सुना होगा कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज़रिए झूठ का जाल बिछा दिया गया है ताकि हर दूसरे लड़के में दंगाई बनने की संभावना पैदा हो जाए. धर्म के नाम पर नफरत का ऐसा माहौल बन जाए कि हर सवाल करने वाला या सरकार का विरोधी उसकी आड़ में निपटा दिया जाए. कुछ सड़क पर उतर कर दंगा करें तो कुछ सोशल मीडिया पर वैसी भाषा लिखने बोलने लग जाएं जो हर नरसंहार या दंगों के पहले बोली जाती है. व्हाट्सएप के फैमिली ग्रुप में रिटायर्ड अंकिलों और NRI अंकिल नफरत की दुनिया के चौकीदार हैं. इस एक सेगमेंट के एक हिस्से ने बच्चों को बर्बाद करने और ज़हर से भरने का जो काम किया है उतना किसी ने नहीं किया है.
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UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा
- Thursday January 6, 2022
- रवीश कुमार
भारत में महंगाई के सपोर्टर की तरह क्या बेरोज़गारी के भी सपोर्टर हैं? जब भी लाखों की संख्या में नौजवान सरकारी भर्ती की परीक्षा को लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस की सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कोसने वाले आ जाते हैं कि सरकार कितनों को नौकरी देगी, अपना बिजनेस क्यों नहीं करते.
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बेअदबी, हत्या और चुप्पी की साज़िश
- Tuesday December 21, 2021
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ऐसे गुरु और ऐसे पंथ की बेअदबी नहीं हो सकती. कोई चाहे भी तो नहीं कर सकता. वे बहुत ऊंचे हैं- किताबों, तख़्तों और इमारतों से बहुत ऊंचे. लेकिन जब उनकी इज़्ज़त के नाम पर, उनके अदब के नाम पर कोई अपने हाथ में कानून लेता है, निर्ममता से किसी की हत्या करता है तो धर्म जैसे कुछ छोटा हो जाता है, कुछ सिकुड़ जाता है.
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बात जो वॉट्सएप से आगे न बढ़नी थी, न बढ़ी...
- Monday April 27, 2020
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सोशल मीडिया पर वर्चुअल योद्धा सिर्फ नारा बुलंद करते हैं-“वीर तुम बढ़े चलो, हम तुम्हारे साथ हैं.” मगर आगे कोई नहीं आता. शायद इसलिए भी क्योंकि आगे बढ़कर कोई परचम थाम भी ले तो उसके पीछे कोई नहीं जाएगा. खासकर जब मामला संवेदनशील हो. पुलिस और प्रशासन से जुड़ा हुआ हो. कौन कोर्ट, कचहरी और पुलिस के पचड़ों में पड़ना चाहता है. किसके पास फ़ुर्सत है. जो सचमुच उस दर्ज़ी को अवैध क़ब्ज़े से बेदख़ल करना चाहते, वे खुद आगे बढ़कर शिकायत दर्ज करा सकते थे. अपने रसूख़ का इस्तेमाल कर उसको हटवा सकते थे. लेकिन बात वॉट्सएप से आगे न बढ़नी थी, न बढ़ी.
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