'Blog issue'

- 78 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, राजीव रंजन |मंगलवार दिसम्बर 13, 2022 12:28 PM IST
    सेना के एक बयान में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की झड़प में "दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं". जिसके बाद दोनों पक्ष "तुरंत क्षेत्र से हट गए".
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अक्टूबर 26, 2022 02:04 AM IST
    खबर बताती है कि जिन लोगों ने लोन लिया उसे बिजनेस में नहीं लगाया. ऐसे लोगों ने भी लोन लिया जिनका बिजनेस पहले से बंद हो गया था और ऐसे लोगों ने भी लिया जो बिजनेस नहीं कर रहे थे.
  • India | रवीश कुमार |गुरुवार अक्टूबर 6, 2022 01:28 PM IST
    भारत टी-शर्ट के बाद निक्कर चर्चा में प्रवेश कर चुका है, थोड़ा इंतज़ार कर लीजिए, अंडर वेयर की भी बारी आएगी? यह समय कपड़ा उद्योग के लिए बहुत अच्छा है, वे अपने गंजी बनियान लेकर राजनीतिक दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे खड़े हो जाएं ताकि साथ-साथ विज्ञापन भी होता रहे. टी शर्ट विदेशी ब्रांड का था इसलिए वेबसाइट से उसकी कीमत की तस्वीर निकल गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के बड़े नेता, मंत्री कुर्ते के ऊपर जो रंगीन जैकेट पहनते हैं, दिन में तीन बार पहनते हैं, उसका कपड़ा कितना महंगा होता है, उसकी कीमत क्या होती होगी? 
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार अगस्त 26, 2022 11:53 PM IST
    चीफ जस्टिस एनवी रमना आज रिटायर हो गए. उनके कार्यकाल में देश को कई अहम याचिकाओं पर निर्णय नहीं मिला, कई सारे सवालों के जवाब नहीं मिले लेकिन खुद भी चीफ जस्टिस एनवी रमना, न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका को लेकर कई गंभीर सवाल उठा गए. उन टिप्पणियों के ज़रिए सार्वजनिक बहस को मज़बूती तो मिली लेकिन उन्हीं प्रश्नों पर कोर्ट के फैसलों से जवाब नहीं मिलने से रह गया. चीफ जस्टिस के कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था लेकिन उनकी कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण इतिहास बना गया. इसके बाद भी कई ऐसे मामले रहे जो इतिहास में दर्ज होने का इंतज़ार करते रहे. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस बात के लिए माफी चाहते हैं कि अपने कार्यकाल में इस बात पर ध्यान नहीं दे सके कि मुकदमों को जल्दी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सके. उन्होंने कहा कि सोलह महीने में केवल 50 दिन मिले जिसमें वे प्रभावी और पूर्णकालिक तरीके से सुनवाई कर पाए. कोविड के काऱण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया.
  • Blogs | प्रियदर्शन |सोमवार जून 6, 2022 09:50 PM IST
    जिस नुपुर शर्मा को बीजेपी अब 'फ्रिंज एलीमेंट' बता रही है, वह अरसे तक राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बीजेपी का पक्ष रखती रही. खुद को दुनिया का सबसे बड़ा दल बताने वाली बीजेपी ने ऐसे फ्रिंज एलीमेंट को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता क्यों बना रखा था? क्या इसलिए नहीं कि बीते कुछ वर्षों में संघ परिवार और बीजेपी ने जो उन्माद पैदा किया है, उसकी कोख से ही ऐसी राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय प्रवक्ता निकलती है?
  • Blogs | रवीश कुमार |शनिवार मई 14, 2022 06:22 AM IST
    टीवी पर महंगाई की चर्चा मिशन नहीं है, न ही टैगलाइन में मिशन महंगाई वापसी है लेकिन मिशन मान्यूमेंट वापसी एक नया टैगलाइन चलाया जा रहा है. ऐसे टाइटल कहां से आते हैं? क्या ट्विटर पर चलने वाले हैशटैग के उठाकर टीवी के स्क्रीन पर चिपका दिया जाता है? ट्विटर पर हमने देखा कि हैशटैग मान्यूमेंट वापसी को लेकर कोई 20 ट्वीट हैं, इसके बाद भी एक न्यूज़ चैनल अपनी तरफ से मिशन लगा देता है ताकि मान्यता मिले और दर्शकों को लगे कि इस मिशन को पूरा करना उनका भी काम है. आए होंगे महंगाई देखने लेकिन चैनल उन्हें मिशन का काम पकड़ा रहे हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार फ़रवरी 4, 2022 11:50 PM IST
    दिल्ली जैसे महंगे शहर में डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ महीनों काम करते रहें और 3-3 महीने से वेतन न मिले? यह संभव है. अगर हर चौराहा अमृत लोटा नाम से एक योजना लांच कर दी जाए तो अमृत काल में लोग नज़दीक के चौराहे पर रखे अमृत लोटे से एक बूंद अमृत पी लेंगे और अमर हो जाएंगे.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जनवरी 28, 2022 11:40 PM IST
    रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार जनवरी 27, 2022 11:30 PM IST
    क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार जनवरी 11, 2022 10:55 PM IST
    अगर आप प्राइम टाइम के नियमित दर्शक हैं तो पिछले सात साल के दौरान आपने हमें कई बार कहते सुना होगा कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज़रिए झूठ का जाल बिछा दिया गया है ताकि हर दूसरे लड़के में दंगाई बनने की संभावना पैदा हो जाए. धर्म के नाम पर नफरत का ऐसा माहौल बन जाए कि हर सवाल करने वाला या सरकार का विरोधी उसकी आड़ में निपटा दिया जाए. कुछ सड़क पर उतर कर दंगा करें तो कुछ सोशल मीडिया पर वैसी भाषा लिखने बोलने लग जाएं जो हर नरसंहार या दंगों के पहले बोली जाती है. व्हाट्सएप के फैमिली ग्रुप में रिटायर्ड अंकिलों और NRI अंकिल नफरत की दुनिया के चौकीदार हैं. इस एक सेगमेंट के एक हिस्से ने बच्चों को बर्बाद करने और ज़हर से भरने का जो काम किया है उतना किसी ने नहीं किया है.
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