Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार जनवरी 29, 2019 01:03 AM IST इस तरह के बयान फिल्मों में मोहल्ले के दादा टाइप के किरदार दिया करते थे मगर अब फिल्मों में भी इस तरह के सीन कम हो गए हैं. देश में संविधान है, कानून है, पुलिस है, कोर्ट है. इसके बाद भी एक केंदीय मंत्री यह कहते हैं कि हिन्दू लड़की को छूने वाले हाथ का वजूद खत्म कर देना चाहिए. यानी वे भीड़ को या अपने समर्थकों को कह रहे हैं कि कानून की ज़रूरत नहीं है. इस बयान से एक और मतलब निकल सकता है कि कोई हिन्दू लड़की के अलावा किसी और की लड़की को छू सकता है. मेरी लड़की और उसकी लड़की के इस बंटवारे को समझना चाहिए. एक सांसद और मंत्री को यह कहना चाहिए कि हमने ऐसी व्यवस्था बना दी है कि वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है मगर वो तो यह कह रहे हैं कि व्यवस्था को छोड़ो, हिन्दू लड़की को छूने वाले हाथ का वजूद खत्म कर दिया जाएगा.