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नई दिल्ली:
भारत में मोबाइल फोन की बिक्री पिछले 20 सालों में पहली बार घटी है। 'साइबरमीडिया रिसर्च' की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-मार्च 2015 की तिमाही में मोबाइल फोन की बिक्री घट कर 5.3 करोड़ रही है, जबकि अक्टूबर-दिसंबर 2014 तिमाही में मोबाइल फोन की बिक्री 6.2 करोड़ दर्ज हुई थी। इस तरह इसमें 14.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
एक अनुसंधान कंपनी 'ईमार्केटर' द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, तिमाही दर तिमाही आधार पर स्मार्टफोन की बिक्री में 7.14 प्रतिशत की गिरावट आई। सस्ते फीचर वाले फोन की बिक्री भी 18.3 प्रतिशत ही रही। भारत 2014 में स्मार्टफोन क्षेत्र में एशिया प्रशांत क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा बाजार रहा है। क्या यह एक चक्रीय मुद्दा है या फिर एक बड़ी समस्या? क्या यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत की मोबाइल फोन वृद्धि दर कमजोर हो रही है?
विशेषज्ञों का विश्वास है कि चक्रीय खामियां मोबाइल फोन की बिक्री के लिए जिम्मेदार है। बाजार में नए अनाकर्षक मोबाइल फोनों का उतरना, कर संबंधित मुद्दे, बढ़ रही प्रतिस्पर्धा इसके कारण हैं।
साइबरमीडिया में दूरसंचार अनुसंधान के अग्रणी विश्लेषक फैजल कावूसा के मुताबिक, '2014-15 की चौथी तिमाही में नए मोबाइल की घोषणाएं हुईं और कुछ नए ब्रांड बाजार में आए। 2015-16 की पहली तिमाही में ऐसा कुछ बाजार में नया नहीं था, जो ग्राहकों को अपनी ओर खींच सके।' स्थानीय विनिर्माण को बढ़ाने के प्रयास के तहत सरकार ने बजट में मोबाइल फोन पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की। इसे छह प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके दो और कारण थे। पहला, वेंडरों के लिए बिक्री में उतार-चढ़ाव आया है। दरअसल, एक वेंडर एक तिमाही में अच्छी कमाई करता है, जबकि दूसरा अन्य तिमाही में। दूसरा कारण ऑनलाइन बिक्री पर अत्यधिक जोर।
कावूसा ने कहा, 'हालांकि, भारत में इंटरनेट क्रांति का जोर है और ब्रांडों को अपने ऑनलाइन आधार पर ध्यान देने की जरूरत है, जबकि यह ऑनलाइन आधार सिर्फ नए ब्रांड, जैसे Xiaomi के लिए ही कारगर साबित होता दिख रहा है।' साल 2014 में कई नई मोबाइल कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया। इसमें चीन की कंपनियों की संख्या अधिक रही। 18.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ सैमसंग पहले स्थान पर है, जबकि माइक्रोमैक्स 12.1 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।
एक अनुसंधान कंपनी 'ईमार्केटर' द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, तिमाही दर तिमाही आधार पर स्मार्टफोन की बिक्री में 7.14 प्रतिशत की गिरावट आई। सस्ते फीचर वाले फोन की बिक्री भी 18.3 प्रतिशत ही रही। भारत 2014 में स्मार्टफोन क्षेत्र में एशिया प्रशांत क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा बाजार रहा है। क्या यह एक चक्रीय मुद्दा है या फिर एक बड़ी समस्या? क्या यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत की मोबाइल फोन वृद्धि दर कमजोर हो रही है?
विशेषज्ञों का विश्वास है कि चक्रीय खामियां मोबाइल फोन की बिक्री के लिए जिम्मेदार है। बाजार में नए अनाकर्षक मोबाइल फोनों का उतरना, कर संबंधित मुद्दे, बढ़ रही प्रतिस्पर्धा इसके कारण हैं।
साइबरमीडिया में दूरसंचार अनुसंधान के अग्रणी विश्लेषक फैजल कावूसा के मुताबिक, '2014-15 की चौथी तिमाही में नए मोबाइल की घोषणाएं हुईं और कुछ नए ब्रांड बाजार में आए। 2015-16 की पहली तिमाही में ऐसा कुछ बाजार में नया नहीं था, जो ग्राहकों को अपनी ओर खींच सके।' स्थानीय विनिर्माण को बढ़ाने के प्रयास के तहत सरकार ने बजट में मोबाइल फोन पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की। इसे छह प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके दो और कारण थे। पहला, वेंडरों के लिए बिक्री में उतार-चढ़ाव आया है। दरअसल, एक वेंडर एक तिमाही में अच्छी कमाई करता है, जबकि दूसरा अन्य तिमाही में। दूसरा कारण ऑनलाइन बिक्री पर अत्यधिक जोर।
कावूसा ने कहा, 'हालांकि, भारत में इंटरनेट क्रांति का जोर है और ब्रांडों को अपने ऑनलाइन आधार पर ध्यान देने की जरूरत है, जबकि यह ऑनलाइन आधार सिर्फ नए ब्रांड, जैसे Xiaomi के लिए ही कारगर साबित होता दिख रहा है।' साल 2014 में कई नई मोबाइल कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया। इसमें चीन की कंपनियों की संख्या अधिक रही। 18.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ सैमसंग पहले स्थान पर है, जबकि माइक्रोमैक्स 12.1 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।
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